बीकानेर. कला संस्कृति मंत्रालय की ओर से प्रदेश में पहली बार बीकानेर में आयोजित 14वें राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव औपचारिक उद्घाटन सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया. इस दौरान अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने मौजूद लोगों का राजस्थानी भाषा में राम राम सा कहकर अभिवादन किया.
इस दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मंच पर रखे नगाडे़ को बजाकर राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव का औपचारिक उद्घाटन किया. इस दौरान राज्यपाल कलराज मिश्र, केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल, शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला और महापौर सुशीला कंवर राजपुरोहित मौजूद रहे.
गोल्फ कार्ट में बैठकर भ्रमणः राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गोल्फ कार्ट गाड़ी में बैठ कर पूरे करणी सिंह स्टेडियम में सातों सांस्कृतिक केंद्रों का अवलोकन किया. इस दौरान पारंपरिक नृत्य और वेशभूषा के साथ कलाकारों ने राष्ट्रपति का अभिवादन किया.
बीकानेर का किया जिक्रः राष्ट्रपति ने बीकानेर और बीकानेररियत का जिक्र करते हुए कहा कि हममें से बहुत से लोग बीकानेर को बीकानेरी खाद्य पदार्थों के कारण जानते होंगे. लेकिन इतिहास में बीकानेर के महल और किले महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं. उसके अलावा बीकानेर ऊंट से जुड़े नृत्यों और त्योहारों के लिए भी जाना जाता है.
प्राचीन कला शैली का जिक्रः राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कला संस्कृति का हमारे जीवन में महत्व होने की बात कहते हुए कहा कि प्राचीन काल से ही हमारी कला शैली उच्च स्तर की रही है. सिन्धु घाटी की सभ्यता के समय से ही नृत्य, संगीत, चित्रकारी, वास्तुकला जैसी अनेक कलाएं भारत में विकसित थीं. भारतीय संस्कृति में अध्यात्म की भी महत्वपूर्ण भूमिका है.
तकनीक से कला का जुड़ाव जरूरीः राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी परंपरा और विज्ञान का कला संस्कृति से जुड़ाव होना जरूरी है. आज का युग प्रौद्योगिकी का युग है. हर क्षेत्र में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की सहायता से नए-नए प्रयोग किए जा रहे हैं. कला और संस्कृति के क्षेत्र में भी टेक्नोलॉजी को अपनाया जा रहा है. इन्टरनेट के माध्यम से नए और युवा कलाकारों की प्रतिभा भी देश के कोने-कोने तक फैल रही है.
हम नई तकनीक का उपयोग करके देश की कला, परम्पराओं और संस्कृति का प्रसार व्यापक रूप से कर सकते हैं. आज के डिजिटल युग में अपनी कला और संस्कृति की धरोहर को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना आसान नहीं है. उन कलाकारों को कला से जुड़े लोगों को आगे आना होगा, ताकि आने वाली पीढ़ी हमारी इस विरासत को सहेज सके और समझ सकें.
युवा पीढ़ी के लिए आदर्शः ग्रामीण अंचलों में फैली प्रतिभा और कलाकारों को तपस्वी के रूप में बताते हुए उन्होंने कहा कि आज की युवा पीढ़ी को इनसे सीखने की जरूरत है. क्योंकि इन्होंने अपनी कला के प्रति तपस्या की है. सच्चे कलाकारों का जीवन तपस्या का उदाहरण होता है, किसी भी काम को लगन और समर्पण के साथ करने की सीख इन कलाकारों से युवाओं को लेनी चाहिए.
इस दौरान पदमश्री अनवर खान ने सोने की धरती राजस्थानी गीत की राष्ट्रपति के सामने प्रस्तुति दी. वहीं इसके अलग-अलग राज्यों के कलाकारों ने विविधता में एकता का संदेश देते हुए सौरव संस्कृति नृत्य की प्रस्तुति दी.
प्रोटोकॉल तोड़ लोगों से मिली राष्ट्रपति - करीब 13 साल बाद बीकानेर की धरती पर देश के प्रथम नागरिक के रूप में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सोमवार को पहुंची थी. इस दौरान उन्होंने केंद्रीय कला संस्कृति मंत्रालय की ओर से आयोजित राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव का उद्घाटन किया. साथ ही आयोजन प्रांगण में मौजूद लोगों को राष्ट्रपति ने संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने राजस्थानी अभिवादन राम राम सा कहा.
साथ ही बीकानेर के खानपान और संस्कृति का भी उन्होंने अपने संबोधन में जिक्र किया. कार्यक्रम के दौरान पदमश्री अनवर खां की प्रस्तुति पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल से भी राष्ट्रपति कुछ जानकारी लेते हुए नजर आई. कार्यक्रम स्थल के बाद राष्ट्रपति मुर्मू वापसी के क्रम में वहां मौजूद लोगों के पास जाकर उनसे मुलाकात की.
पेंटिंग कला दीर्घा का किया निरीक्षण - कार्यक्रम स्थल करणी सिंह स्टेडियम में राष्ट्रपति के दौरे के मद्देनजर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे. अपने संबोधन से पूर्व राष्ट्रपति ने पेंटिंग कला दीर्घा का निरीक्षण किया और इस दौरान केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल उनके साथ दिखे. वहीं, मौके पर राज्यपाल कलराज मिश्र भी मौजूद रहे.