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मध्य प्रदेशः प्री-मैच्योर बेबी और 104 साल की वृद्धा ने जीती कोरोना की जंग

कोरोना के कहर के बीच मध्य प्रदेश से ऐसी खबर सामने आई है जो महामारी से लड़ने का जज्बा दे रही है. भोपाल में जहां एक 15 दिन की प्री-मैच्योर बेबी ने कोरोना वायरस से जंग जीत ली, तो वहीं, सागर में 104 साल की वृद्धा ने महामारी को अपने दृढ मनोबल और शारीरिक सक्रियता से महामारी को मात दे दी.

कोरोना वायरस से जंग जीत ली
कोरोना वायरस से जंग जीत ली
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Published : May 21, 2021, 8:24 AM IST

भोपाल/सागरः कोरोना महामारी ने पिछले एक साल में ऐसा कहर बरपाया है कि लोग इस बीमारी के नाम से खौफजदा हो गए हैं. अगर कोई व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव हो जाता है तो उसका और उसके परिवार का मनोबल टूट जाता है. कई कोरोना प्रकरण तो ऐसे सामने आए हैं कि बीमारी के डर से लोगों ने दम तोड़ दिया. इन परिस्थितियों के बीच कई ऐसी खबरें भी आती हैं, जो कोरोना से लड़ने का जज्बा देती हैं. मध्य प्रदेश में 15 दिन की प्री-मैच्योर बेबी (समय से पूर्व जन्मने वाली बच्ची) और 104 साल की वृद्धा ने कोरोना वायरस से जंग जीत ली है. ये दोनों मामले भोपाल और सागर के हैं.

15 दिन की प्री-मैच्योर बेबी ने जीती जंग

मध्य प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने भोपाल स्थित निजी पीपुल्स अस्पताल पहुंचकर कोरोना से ठीक हुई 15 दिन की इस प्री-मैच्योर बेबी से मिले. यह बच्ची उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद की रहवासी है और आज वह अपने पिता के साथ घर वापस लौटगी.

सारंग ने मीडिया से कहा कि आज हमारे लिए यह बहुत खुशी की बात है कि हमारी सरकार से अनुबंधित पीपुल्स मेडिकल कॉलेज से यह बच्ची छुट्टी मिलने के बाद जा रही है जो इलाहाबाद की रहने वाली है. उसकी मां गर्भवती थी. जब इलाहाबाद में उसको इलाज नहीं मिला, तब उन्हें परिजन यहां लेकर आए. मां की तबीयत ज्यादा खराब थी. उसको बहुत ही सीवियर निमोनिया था. उसका सीटी स्कोर 23 था और वह कोरोना संक्रमित थी. उसकी मां तो नहीं बच पाई, परंतु यहां के डॉक्टरों ने सर्जरी के माध्यम से बेटी को बचा लिया.

पढ़ेंः कोवैक्सीन की अतिरिक्त 20 करोड़ खुराक का उत्पादन करेगा भारत बायोटेक

उन्होंने बताया कि दुर्भाग्य से वह बच्ची भी कोरोना संक्रमित थी. पीपुल्स मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने मेहनत की और वह बच्ची अब कोरोना वायरस से उबर चुकी है. उसकी रिपोर्ट अब निगेटिव है.

सारंग ने कहा कि आज वह बच्ची अपने पिता के साथ इलाहाबाद अपने घर जा रही है. उन्होंने कहा कि ये हमारी मध्य प्रदेश सरकार के लिए बड़ी उपलब्धि है कि कोरोना वायरस महामारी की इस भीषण समस्या के बीच प्रदेश के बाहर के लोगों को भी जरूरत पड़ी तो हमने इलाज मुहैया कराया. उसका जीता जागता उदाहरण यह बच्ची है. यह बच्ची स्वस्थ हो गई, यह हमारे लिए बहुत ही खुशी का पल है. आज वह छुट्टी मिलने के बाद जा रही है. मैं उसके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं.

104 साल की सुंदर बाई ने कोरोना को दी मात

अन्य एक मामले में सागर के भाग्योदय चैरिटेबल तीर्थ अस्पताल में इलाजरत बीना निवासी सुंदर बाई जैन (104) कोरोना से जंग जीतकर स्वस्थ हो गई हैं. महज 10 दिनों में वह कोरोना की बीमारी से उबर आई हैं. आधार कार्ड के अनुसार उनकी जन्मतिथि 19 मई 1917 है. सुंदर बाई जैन को 10 मई को भर्ती कराया गया.

कोरोना मुझसे मजबूत नहीं

उनकी उम्र के लिहाज से लग रहा था कि उम्र के कारण रिकवर होना मुश्किल है. लेकिन सुंदरबाई ने कहा कि कोरोना मुझसे ज्यादा मजबूत नहीं है, आप लोग चिंता नहीं करना, हम इस बीमारी को जीत लेंगे. उन्होंने कहा कि कोरोना तन की बीमारी नहीं है, मन की बीमारी है. कोरोना का नाम सुनकर लोग डर जाते हैं. इससे डरना नहीं, लड़ना है. ताकि, लोग इस बीमारी से लड़कर विजय प्राप्त कर सकें.

यह भी पढ़ेंः वैक्सीन की प्रभावकारिता के चलते टीकाकरण से बच रहे हेल्थ वर्कर?

दृढ़ मनोबल और शारीरिक सक्रियता से वह स्वस्थ हुई

सुंदर बाई का इलाज कर रहे चिकित्सक डॉ. सौरभ जैन ने बताया कि इस महिला को जब भर्ती कराया गया था, उस समय वह काफी कमजोर लग रहीं थीं, लेकिन इलाज शुरू होने के बाद जल्द ही उनकी सेहत में सुधार आने लगा. इसकी एक बड़ी वजह मरीज का मानसिक रूप से काफी मजबूत एवं शारीरिक रूप से सक्रिय होना रहा. उन्होंने कहा कि सुंदर बाई को उम्र से जुड़ी समस्याओं के रहते हुए भी जल्दी ठीक होना भी एक काफी सकारात्मक पहलू है.

जैन ने कहा कि सुंदर बाई की सक्रियता भर्ती किए जाने के 5 दिन बाद से ही काफी बढ़ गई थी. वह खूब बातचीत भी करने लगीं. पिछले तीन दिनों से वह घर जाने के लिए बेसब्र भी हो रहीं थीं.

10 मई को कोरोना पीड़िता सुंदर बाई जैन को हमारे अस्पताल में भर्ती कराया गया था. लगभग 10 दिन के इलाज के बाद वह पूर्णता स्वस्थ हो गई. उन्होंने कहा कि सुंदर बाई ने इलाज में सभी को सहयोग दिया. उनकी अस्पताल से छुट्टी कर दी गई और उनके परिजन उन्हें बीना ले गए हैं.

- पीटीआई

भोपाल/सागरः कोरोना महामारी ने पिछले एक साल में ऐसा कहर बरपाया है कि लोग इस बीमारी के नाम से खौफजदा हो गए हैं. अगर कोई व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव हो जाता है तो उसका और उसके परिवार का मनोबल टूट जाता है. कई कोरोना प्रकरण तो ऐसे सामने आए हैं कि बीमारी के डर से लोगों ने दम तोड़ दिया. इन परिस्थितियों के बीच कई ऐसी खबरें भी आती हैं, जो कोरोना से लड़ने का जज्बा देती हैं. मध्य प्रदेश में 15 दिन की प्री-मैच्योर बेबी (समय से पूर्व जन्मने वाली बच्ची) और 104 साल की वृद्धा ने कोरोना वायरस से जंग जीत ली है. ये दोनों मामले भोपाल और सागर के हैं.

15 दिन की प्री-मैच्योर बेबी ने जीती जंग

मध्य प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने भोपाल स्थित निजी पीपुल्स अस्पताल पहुंचकर कोरोना से ठीक हुई 15 दिन की इस प्री-मैच्योर बेबी से मिले. यह बच्ची उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद की रहवासी है और आज वह अपने पिता के साथ घर वापस लौटगी.

सारंग ने मीडिया से कहा कि आज हमारे लिए यह बहुत खुशी की बात है कि हमारी सरकार से अनुबंधित पीपुल्स मेडिकल कॉलेज से यह बच्ची छुट्टी मिलने के बाद जा रही है जो इलाहाबाद की रहने वाली है. उसकी मां गर्भवती थी. जब इलाहाबाद में उसको इलाज नहीं मिला, तब उन्हें परिजन यहां लेकर आए. मां की तबीयत ज्यादा खराब थी. उसको बहुत ही सीवियर निमोनिया था. उसका सीटी स्कोर 23 था और वह कोरोना संक्रमित थी. उसकी मां तो नहीं बच पाई, परंतु यहां के डॉक्टरों ने सर्जरी के माध्यम से बेटी को बचा लिया.

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उन्होंने बताया कि दुर्भाग्य से वह बच्ची भी कोरोना संक्रमित थी. पीपुल्स मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने मेहनत की और वह बच्ची अब कोरोना वायरस से उबर चुकी है. उसकी रिपोर्ट अब निगेटिव है.

सारंग ने कहा कि आज वह बच्ची अपने पिता के साथ इलाहाबाद अपने घर जा रही है. उन्होंने कहा कि ये हमारी मध्य प्रदेश सरकार के लिए बड़ी उपलब्धि है कि कोरोना वायरस महामारी की इस भीषण समस्या के बीच प्रदेश के बाहर के लोगों को भी जरूरत पड़ी तो हमने इलाज मुहैया कराया. उसका जीता जागता उदाहरण यह बच्ची है. यह बच्ची स्वस्थ हो गई, यह हमारे लिए बहुत ही खुशी का पल है. आज वह छुट्टी मिलने के बाद जा रही है. मैं उसके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं.

104 साल की सुंदर बाई ने कोरोना को दी मात

अन्य एक मामले में सागर के भाग्योदय चैरिटेबल तीर्थ अस्पताल में इलाजरत बीना निवासी सुंदर बाई जैन (104) कोरोना से जंग जीतकर स्वस्थ हो गई हैं. महज 10 दिनों में वह कोरोना की बीमारी से उबर आई हैं. आधार कार्ड के अनुसार उनकी जन्मतिथि 19 मई 1917 है. सुंदर बाई जैन को 10 मई को भर्ती कराया गया.

कोरोना मुझसे मजबूत नहीं

उनकी उम्र के लिहाज से लग रहा था कि उम्र के कारण रिकवर होना मुश्किल है. लेकिन सुंदरबाई ने कहा कि कोरोना मुझसे ज्यादा मजबूत नहीं है, आप लोग चिंता नहीं करना, हम इस बीमारी को जीत लेंगे. उन्होंने कहा कि कोरोना तन की बीमारी नहीं है, मन की बीमारी है. कोरोना का नाम सुनकर लोग डर जाते हैं. इससे डरना नहीं, लड़ना है. ताकि, लोग इस बीमारी से लड़कर विजय प्राप्त कर सकें.

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दृढ़ मनोबल और शारीरिक सक्रियता से वह स्वस्थ हुई

सुंदर बाई का इलाज कर रहे चिकित्सक डॉ. सौरभ जैन ने बताया कि इस महिला को जब भर्ती कराया गया था, उस समय वह काफी कमजोर लग रहीं थीं, लेकिन इलाज शुरू होने के बाद जल्द ही उनकी सेहत में सुधार आने लगा. इसकी एक बड़ी वजह मरीज का मानसिक रूप से काफी मजबूत एवं शारीरिक रूप से सक्रिय होना रहा. उन्होंने कहा कि सुंदर बाई को उम्र से जुड़ी समस्याओं के रहते हुए भी जल्दी ठीक होना भी एक काफी सकारात्मक पहलू है.

जैन ने कहा कि सुंदर बाई की सक्रियता भर्ती किए जाने के 5 दिन बाद से ही काफी बढ़ गई थी. वह खूब बातचीत भी करने लगीं. पिछले तीन दिनों से वह घर जाने के लिए बेसब्र भी हो रहीं थीं.

10 मई को कोरोना पीड़िता सुंदर बाई जैन को हमारे अस्पताल में भर्ती कराया गया था. लगभग 10 दिन के इलाज के बाद वह पूर्णता स्वस्थ हो गई. उन्होंने कहा कि सुंदर बाई ने इलाज में सभी को सहयोग दिया. उनकी अस्पताल से छुट्टी कर दी गई और उनके परिजन उन्हें बीना ले गए हैं.

- पीटीआई

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