नई दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व नेता रिपुन बोरा (Former Congress leader Ripun Bora) कहा है कि प्रशांत किशोर ने मुझे तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने पर बधाई दी है. आगामी चुनावों के लिए कांग्रेस की रणनीति बनाने पर काम कर रहे किशोर तृणमूल कांग्रेस के भी राजनीतिक सलाहकार हैं. तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के बाद अपने पहले संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे बोरा ने कहा कि वह पिछले 40 साल से कांग्रेस से जुड़े थे, लेकिन पार्टी के आंतरिक कलह से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को लाभ मिल रहा है.
उन्होंने कहा कि मैंने अपने इस्तीफे में कांग्रेस पार्टी छोड़ने के कारण का उल्लेख किया था. मैंने कांग्रेस के मंचों पर अपनी समस्या नियमित रूप से उठाई, लेकिन कुछ भी नहीं हुआ. मेरा मानना था कि सबसे पुरानी पार्टी होने के नाते कांग्रेस सत्तारूढ़ भाजपा से टक्कर लेने में सक्षम है. भाजपा इस महान राष्ट्र की सभी संस्थाओं को तबाह कर रही है. बोरा ने कहा कि लेकिन भाजपा के खिलाफ काम करने के बजाय कांग्रेस आंतरिक कलह से जूझ रही है और भाजपा को असम तथा शेष देश में फायदा उठाने दे रही है.
बोरा ने असम की एक राज्यसभा सीट के लिए कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था लेकिन हार गये थे. राज्य में पार्टी के विधायकों की पर्याप्त संख्या होने के बावजूद क्रॉस-वोटिंग के कारण उन्हें असफलता मिली. उन्होंने कहा कि अनेक दोस्तों और शुभचिंतकों ने मुझे फोन किया. यहां तक कि प्रशांत किशोर ने भी मुझसे बात की और मेरे कदम के लिए बधाई दी. तृणमूल कांग्रेस की राज्यसभा सदस्य और कांग्रेस की एक और पूर्व नेता सुष्मिता देव ने कहा कि बोरा असम के वरिष्ठ नेता हैं.
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उन्होंने आरोप लगाया कि हाल में हुए राज्यसभा चुनाव में उनकी पार्टी उनके लिए नहीं लड़ी. उन्होंने कहा कि उनके राज्यसभा सीट हारने के बाद पूर्वोत्तर क्षेत्र से कांग्रेस का एक भी नेता राज्यसभा में नहीं बचा है. कांग्रेस राज्यसभा के लिए खड़े हुए अंतिम व्यक्ति के लिए भी नहीं लड़ी. तृणमूल कांग्रेस की प्रवक्ता और पार्टी की त्रिपुरा इकाई की प्रभारी देव ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस में अनेक रणनीतिकार हैं जो पार्टी के लिए काम कर रहे हैं और किशोर उनमें से एक हैं. उन्होंने कहा कि हमारे एक रणनीतिकार पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा. बोरा ने कहा कि उन्हें लगता है कि केवल तृणमूल कांग्रेस ही भाजपा का मुकाबला कर सकती है. हालांकि उन्होंने साफ किया कि उनके कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी तथा पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी समेत पार्टी नेताओं के साथ कोई मतभेद नहीं हैं.