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पंजाब में बिजली संकट से निपटना CM भगवंत मान के लिए चुनौती - electricity shortage big challange for Bhagwant mann

पंजाब में मार्च महीने में ही थर्मल पावर प्लांट ठप होने लगे हैं, इससे बिजली संकट गहरा सकता है. पावर काम भले ही दावा कर रहा है कि बिजली संकट नहीं होगा लेकिन बीते वर्षों में जो हाल रहा है, उसे देखते हुए सीएम भगवंत मान के लिए भी इससे निपटना चुनौती होगा.

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सीएम भगवंत मान
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Published : Mar 19, 2022, 10:37 PM IST

चंडीगढ़ : पंजाब में अभी भगवंत मान की सरकार को बने कुछ ही दिन हुए हैं कि राज्य में बिजली संकट गहराना शुरू हो गया है. हालात यह हैं कि गर्मियां शुरू होने से पहले ही प्राइवेट थर्मल प्लांट ठप होते नजर आ रहे हैं. ऐसे में गर्मी बढ़ने के साथ जनता को बिजली मुहैय्या कराना सीएम भगवंत मान के लिए चुनौती होगी.

दरअसल पंजाब में गर्मियां शुरू होते ही आम लोगों, उद्योगों और किसानों को बिजली की चिंता सताने लगती है. एक तरफ पंजाब सरकार के सामने किसानों को धान की फसल के लिए दी जाने वाली बिजली की चुनौती होती है, वहीं दूसरी तरफ अगर बिजली किसानों को दी जाए तो उद्योगों को दी जाने वाली बिजली की चिंता सताने लगती है. इन सबसे ऊपर आम लोगों को घरेलू बिजली 24 घंटे मुहैया कराना भी सरकार के लिए बड़ी चुनौती होती है. यह पहली बार नहीं है कि पंजाब सरकार के आगे इस तरह की चुनौती सामने आई हो. बिजली पंजाब में हर साल गर्मियों के दिनों में एक अहम मुद्दा बनती है जिसका जवाब पंजाब सरकार को देना पड़ता है.
पिछले साल चन्नी सरकार के सामने भी खड़ा हुआ था संकट : पिछले साल भी चन्नी सरकार के दौरान कुछ ऐसा ही हुआ था जब कोयला संकट के चलते कई-कई घंटो के कट ने उद्योगों और किसानों को ही नहीं बल्कि आम लोगों को भी खूब परेशान किया था. हालात यह बन गए थे कि पंजाब को रोज 1000 मेगावाट बिजली की संकट का सामना करना पड़ रहा था और इसके लिए पावर कॉम बिना बताए 3 से 4 घंटे के कट लगाने को मजबूर हो गया था. पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को खुद प्रेस कॉन्फ्रेंस करके यह कहना पड़ा था कि कोयले की कमी के कारण पूरे देश में बिजली की कमी हो रही है.

मान को भी करना पड़ सकता है संकट का सामना
अभी मार्च का महीना चल रहा है. एसी पूरी तरह से चलाने शुरू नहीं हुए हैं बावजूद इसके बिजली की मांग पिछले साल के मुकाबले इस साल कहीं ज्यादा बढ़ गई है. पिछले साल इस सीजन में 7000 मेगावाट बिजली खर्च हो रही थी जो इस साल 8000 मेगावाट को क्रॉस कर रही है. इस समय प्रदेश में तीन निजी थर्मल प्लांट गोविंद लाल साहब, राजपुरा और तलवंडी साबो काम कर रहे हैं और इनमें मार्च के महीने में ही कोयला संकट पैदा होने लगा है.

तलवंडी साबो थर्मल प्लांट की एक यूनिट बंद होने की वजह से राज्य में कई जगहों पर छोटे-छोटे कट भी शुरू हो गए हैं. हालांकि पावर कॉम के लहरा मोहब्बत और रोपड़ थर्मल प्लांट को लेकर अभी चिंता की स्थिति नहीं है क्योंकि यहां करीब 18 से 24 दिन का कोयला अभी बचा हुआ है. हालांकि इन थर्मल प्लांट की भी 8 में से 4 यूनिट ही काम कर रही हैं. गर्मी बढ़ने के साथ एसी का लोड और बढ़ेगा वहीं, जून के महीने में किसानों को धान की फसल लगाने के लिए भी बिजली की पूरी सप्लाई चाहिए होगी. इसके साथ ही उद्योगों को भी बिजली कट से बचाना होगा. ऐसे में राज्य के मुख्यमंत्री भगवंत मान के सामने यह एक बड़ा चैलेंज रहने वाला है.

कोयले की कीमतों में उतार-चढ़ाव से भी पड़ता है प्रभाव
जानकारों के मुताबिक कोल इंडिया लिमिटेड ने पब्लिक सेक्टर थर्मल प्लांटों के लिए ₹4000 प्रति मीट्रिक टन का एग्रीमेंट किया है जबकि निजी थर्मल प्लांट ऑनलाइन बोली के जरिए कोयला खरीदते हैं. गर्मियों में कोयले की मांग बढ़ने से कोयले की कीमतें भी लगातार बढ़ रही हैं जिसकी वजह से कोयला संकट हो रहा है. इसमें देखना यह है कि अगर मार्च के महीने में ही कोयले की किल्लत शुरू हो गई है तो आने वाले समय में सरकार इसका हल कैसे निकालेगी.

क्या संकटमोचक बनेगा पावर कॉम
पावर कॉम पंजाब में जून से लेकर सितंबर तक के महीने में बिजली सप्लाई को पूरे तौर पर मुकम्मल करने की बात कह रहा है. पावर कॉम के अधिकारियों का दावा है कि पिछली बार बिजली की सर्वाधिक मांग 14000 मेगावाट तक पहुंची थी जबकि इस बार बिजली की सप्लाई के लिए 15500 मेगावाट बिजली का प्रबंध किया गया है. उन्होंने दावा किया है कि इस बार मेघालय, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु जैसे राज्यों से 2000 से 2500 मेगावाट तक बिजली खरीदी गई है. पावर कॉम का दावा है कि पंजाब में इस बार बिजली संकट नहीं होगा क्योंकि बिजली का पर्याप्त प्रबंध है. फिलहाल अब देखना यह है कि पंजाब में बिजली संकट का हल नए सीएम भगवंत मान निकाल पाते हैं या इस बार भी बिजली संकट यहां बड़ा मुद्दा बनने वाला है.

पढ़ें- पंजाब में गहराया बिजली संकट, उद्योगों पर असर पड़ने की संभावना

पढ़ें- बिजली सौदों पर विधानसभा में लाया जाए श्वेत पत्र : नवजोत सिद्धू

पढ़ें- मुफ्त बिजली की घोषणाओं के बीच पंजाब में गहराया बिजली संकट, जानें कारण

चंडीगढ़ : पंजाब में अभी भगवंत मान की सरकार को बने कुछ ही दिन हुए हैं कि राज्य में बिजली संकट गहराना शुरू हो गया है. हालात यह हैं कि गर्मियां शुरू होने से पहले ही प्राइवेट थर्मल प्लांट ठप होते नजर आ रहे हैं. ऐसे में गर्मी बढ़ने के साथ जनता को बिजली मुहैय्या कराना सीएम भगवंत मान के लिए चुनौती होगी.

दरअसल पंजाब में गर्मियां शुरू होते ही आम लोगों, उद्योगों और किसानों को बिजली की चिंता सताने लगती है. एक तरफ पंजाब सरकार के सामने किसानों को धान की फसल के लिए दी जाने वाली बिजली की चुनौती होती है, वहीं दूसरी तरफ अगर बिजली किसानों को दी जाए तो उद्योगों को दी जाने वाली बिजली की चिंता सताने लगती है. इन सबसे ऊपर आम लोगों को घरेलू बिजली 24 घंटे मुहैया कराना भी सरकार के लिए बड़ी चुनौती होती है. यह पहली बार नहीं है कि पंजाब सरकार के आगे इस तरह की चुनौती सामने आई हो. बिजली पंजाब में हर साल गर्मियों के दिनों में एक अहम मुद्दा बनती है जिसका जवाब पंजाब सरकार को देना पड़ता है.
पिछले साल चन्नी सरकार के सामने भी खड़ा हुआ था संकट : पिछले साल भी चन्नी सरकार के दौरान कुछ ऐसा ही हुआ था जब कोयला संकट के चलते कई-कई घंटो के कट ने उद्योगों और किसानों को ही नहीं बल्कि आम लोगों को भी खूब परेशान किया था. हालात यह बन गए थे कि पंजाब को रोज 1000 मेगावाट बिजली की संकट का सामना करना पड़ रहा था और इसके लिए पावर कॉम बिना बताए 3 से 4 घंटे के कट लगाने को मजबूर हो गया था. पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को खुद प्रेस कॉन्फ्रेंस करके यह कहना पड़ा था कि कोयले की कमी के कारण पूरे देश में बिजली की कमी हो रही है.

मान को भी करना पड़ सकता है संकट का सामना
अभी मार्च का महीना चल रहा है. एसी पूरी तरह से चलाने शुरू नहीं हुए हैं बावजूद इसके बिजली की मांग पिछले साल के मुकाबले इस साल कहीं ज्यादा बढ़ गई है. पिछले साल इस सीजन में 7000 मेगावाट बिजली खर्च हो रही थी जो इस साल 8000 मेगावाट को क्रॉस कर रही है. इस समय प्रदेश में तीन निजी थर्मल प्लांट गोविंद लाल साहब, राजपुरा और तलवंडी साबो काम कर रहे हैं और इनमें मार्च के महीने में ही कोयला संकट पैदा होने लगा है.

तलवंडी साबो थर्मल प्लांट की एक यूनिट बंद होने की वजह से राज्य में कई जगहों पर छोटे-छोटे कट भी शुरू हो गए हैं. हालांकि पावर कॉम के लहरा मोहब्बत और रोपड़ थर्मल प्लांट को लेकर अभी चिंता की स्थिति नहीं है क्योंकि यहां करीब 18 से 24 दिन का कोयला अभी बचा हुआ है. हालांकि इन थर्मल प्लांट की भी 8 में से 4 यूनिट ही काम कर रही हैं. गर्मी बढ़ने के साथ एसी का लोड और बढ़ेगा वहीं, जून के महीने में किसानों को धान की फसल लगाने के लिए भी बिजली की पूरी सप्लाई चाहिए होगी. इसके साथ ही उद्योगों को भी बिजली कट से बचाना होगा. ऐसे में राज्य के मुख्यमंत्री भगवंत मान के सामने यह एक बड़ा चैलेंज रहने वाला है.

कोयले की कीमतों में उतार-चढ़ाव से भी पड़ता है प्रभाव
जानकारों के मुताबिक कोल इंडिया लिमिटेड ने पब्लिक सेक्टर थर्मल प्लांटों के लिए ₹4000 प्रति मीट्रिक टन का एग्रीमेंट किया है जबकि निजी थर्मल प्लांट ऑनलाइन बोली के जरिए कोयला खरीदते हैं. गर्मियों में कोयले की मांग बढ़ने से कोयले की कीमतें भी लगातार बढ़ रही हैं जिसकी वजह से कोयला संकट हो रहा है. इसमें देखना यह है कि अगर मार्च के महीने में ही कोयले की किल्लत शुरू हो गई है तो आने वाले समय में सरकार इसका हल कैसे निकालेगी.

क्या संकटमोचक बनेगा पावर कॉम
पावर कॉम पंजाब में जून से लेकर सितंबर तक के महीने में बिजली सप्लाई को पूरे तौर पर मुकम्मल करने की बात कह रहा है. पावर कॉम के अधिकारियों का दावा है कि पिछली बार बिजली की सर्वाधिक मांग 14000 मेगावाट तक पहुंची थी जबकि इस बार बिजली की सप्लाई के लिए 15500 मेगावाट बिजली का प्रबंध किया गया है. उन्होंने दावा किया है कि इस बार मेघालय, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु जैसे राज्यों से 2000 से 2500 मेगावाट तक बिजली खरीदी गई है. पावर कॉम का दावा है कि पंजाब में इस बार बिजली संकट नहीं होगा क्योंकि बिजली का पर्याप्त प्रबंध है. फिलहाल अब देखना यह है कि पंजाब में बिजली संकट का हल नए सीएम भगवंत मान निकाल पाते हैं या इस बार भी बिजली संकट यहां बड़ा मुद्दा बनने वाला है.

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