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स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा, नई जलविद्युत परियोजनाओं को ISTS शुल्क से छूट - नई जलविद्युत परियोजनाओं को छूट

स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने नई जलविद्युत परियोजनाओं (hydro power projects) के लिए 18 साल तक अंतर-राज्यीय पारेषण शुल्क (Inter-State Transmission system charges) से छूट दे दी है.

hydro power projects
जलविद्युत परियोजना
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Published : Dec 2, 2022, 9:33 PM IST

नई दिल्ली : बिजली मंत्रालय ने स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए शुक्रवार को महत्वपूर्ण कदम उठाया. इसके तहत नई जलविद्युत परियोजनाओं (new hydropower projects) के लिए अंतर-राज्यीय पारेषण शुल्क (Inter-State Transmission system charges) से इनके चालू होने की तिथि से 18 साल की छूट देने की घोषणा की गई है.

यह छूट सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं के लिए पहले से है. सरकार ने 2030 तक स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों से पांच लाख मेगावॉट बिजली उत्पादन क्षमता सृजित करने का लक्ष्य रखा है. बिजली मंत्रालय ने बयान में कहा, 'नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से बिजली जरूरतें हासिल करने की भारत सरकार की प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए एक और कदम उठाया गया है. मंत्रालय ने नई जलविद्युत परियोजनाओं से उत्पादित बिजली के पारेषण पर लगने वाले अंतर-राज्यीय पारेषण प्रणाली (आईएसटीएस) शुल्क से छूट को लेकर आदेश जारी किया है.'

बयान के अनुसार, स्वच्छ, हरित और टिकाऊ होने के कारण जलविद्युत परियोजनाएं हमारी स्वच्छ ऊर्जा बदलाव यात्रा में महत्वपूर्ण होंगी. यह सौर और पवन ऊर्जा के ग्रिड के जरिए भरोसेमंद तरीके से पारेषण के लिए भी आवश्यक है. इसका कारण नियंत्रण से बाहर बाह्य तत्वों के कारण सौर और पवन ऊर्जा का हर समय निरंतर आधार पर उपलब्ध नहीं होना है.

सरकार ने जलविद्युत की खासियत को देखते हुए पनबिजली परियोजनाओं को मार्च, 2019 में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत घोषित किया. हालांकि, जो अंतर-राज्यीय पारेषण शुल्क से छूट सौर और पवन ऊर्जा को मिली थी, वह जलविद्युत परियोजनाओं को नहीं दी गई.

बिजली मंत्रालय ने इस अंतर को दूर करने तथा जलविद्युत परियोजनाओं को समान अवसर उपलब्ध कराने को लेकर अब इस क्षेत्र की नई परियोजनाओं को आईएसटीएस शुल्क से छूट देने का निर्णय किया है. इसमें वे परियोजनाएं आएंगी, जिनका निर्माण कार्य का आवंटन किया जा चुका है और बिजली खरीद समझौते पर 30 जून, 2025 तक हस्ताक्षर किए जाएंगे.

उन परियोजनाओं के मामले में जहां निर्माण कार्य आवंटित किए जा चुके हैं और बिजली खरीद समझौते पर हस्ताक्षर 30 जून, 2025 के बाद होंगे, वहीं पारेषण को लेकर आईएसटीएस शुल्क लगेगा.

मंत्रालय के अनुसार, इस कदम से जलविद्युत परियोजनाओं को गति मिलने की उम्मीद है. ये परियोजनाएं देश की जल सुरक्षा को बेहतर बनाने में मदद करेगी और साथ जलविद्युत क्षमता वाले उत्तर पूर्वी राज्यों, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्यों में विकास को बढ़ावा देगी.

पढ़ें- विद्युत मंत्रालय ने शक्ति नीति के तहत 4,500 मेगावॉट बिजली खरीद की योजना शुरू की

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : बिजली मंत्रालय ने स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए शुक्रवार को महत्वपूर्ण कदम उठाया. इसके तहत नई जलविद्युत परियोजनाओं (new hydropower projects) के लिए अंतर-राज्यीय पारेषण शुल्क (Inter-State Transmission system charges) से इनके चालू होने की तिथि से 18 साल की छूट देने की घोषणा की गई है.

यह छूट सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं के लिए पहले से है. सरकार ने 2030 तक स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों से पांच लाख मेगावॉट बिजली उत्पादन क्षमता सृजित करने का लक्ष्य रखा है. बिजली मंत्रालय ने बयान में कहा, 'नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से बिजली जरूरतें हासिल करने की भारत सरकार की प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए एक और कदम उठाया गया है. मंत्रालय ने नई जलविद्युत परियोजनाओं से उत्पादित बिजली के पारेषण पर लगने वाले अंतर-राज्यीय पारेषण प्रणाली (आईएसटीएस) शुल्क से छूट को लेकर आदेश जारी किया है.'

बयान के अनुसार, स्वच्छ, हरित और टिकाऊ होने के कारण जलविद्युत परियोजनाएं हमारी स्वच्छ ऊर्जा बदलाव यात्रा में महत्वपूर्ण होंगी. यह सौर और पवन ऊर्जा के ग्रिड के जरिए भरोसेमंद तरीके से पारेषण के लिए भी आवश्यक है. इसका कारण नियंत्रण से बाहर बाह्य तत्वों के कारण सौर और पवन ऊर्जा का हर समय निरंतर आधार पर उपलब्ध नहीं होना है.

सरकार ने जलविद्युत की खासियत को देखते हुए पनबिजली परियोजनाओं को मार्च, 2019 में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत घोषित किया. हालांकि, जो अंतर-राज्यीय पारेषण शुल्क से छूट सौर और पवन ऊर्जा को मिली थी, वह जलविद्युत परियोजनाओं को नहीं दी गई.

बिजली मंत्रालय ने इस अंतर को दूर करने तथा जलविद्युत परियोजनाओं को समान अवसर उपलब्ध कराने को लेकर अब इस क्षेत्र की नई परियोजनाओं को आईएसटीएस शुल्क से छूट देने का निर्णय किया है. इसमें वे परियोजनाएं आएंगी, जिनका निर्माण कार्य का आवंटन किया जा चुका है और बिजली खरीद समझौते पर 30 जून, 2025 तक हस्ताक्षर किए जाएंगे.

उन परियोजनाओं के मामले में जहां निर्माण कार्य आवंटित किए जा चुके हैं और बिजली खरीद समझौते पर हस्ताक्षर 30 जून, 2025 के बाद होंगे, वहीं पारेषण को लेकर आईएसटीएस शुल्क लगेगा.

मंत्रालय के अनुसार, इस कदम से जलविद्युत परियोजनाओं को गति मिलने की उम्मीद है. ये परियोजनाएं देश की जल सुरक्षा को बेहतर बनाने में मदद करेगी और साथ जलविद्युत क्षमता वाले उत्तर पूर्वी राज्यों, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्यों में विकास को बढ़ावा देगी.

पढ़ें- विद्युत मंत्रालय ने शक्ति नीति के तहत 4,500 मेगावॉट बिजली खरीद की योजना शुरू की

(पीटीआई-भाषा)

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