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Positive Story: जहां कभी गरजती थी नक्सलियों की बंदूकें, वहां की 5 बेटियां देश की रक्षा करेंगी.. जानें बेटियों के संघर्ष की कहानी - Bihar News

बिहार के गया के जिस इलाके में कभी नक्सलियों की बंदूकें गरजा करती थी. अब वहां की बेटियां देश की रक्षा में योगदान देगी. गया के इमामगंज का इलाका पूरी तरह से नक्सल प्रभावित क्षेत्र रहा है. लेकिन पहली बार यहां की बहादुर बेटियों ने वह कर दिखाया है, जिस माहौल को तैयार करने के लिए सरकारें लाखों-करोड़ों खर्च कर रही है. इस इलाके की पांच बहादुर बेटियां BSF, ITBP और बिहार पुलिस में चयनित हुई (first time daughters reached indian army) हैं. पढ़ें गया से संवाददाता रत्नेश कुमार की रिपोर्ट

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 7, 2023, 6:29 PM IST

Updated : Sep 7, 2023, 10:14 PM IST

देखें यह विशेष रिपोर्ट.

गया : बिहार के गया जिले का इमामगंज नक्सल प्रभावित रहा है. लेकिन वक्त के साथ अब यहां नक्सली गतिविधियां थोड़ी कमजोर पड़ने लगी है. एक समय ऐसा था, जब यहां नक्सलियों के बंदूक की गूंज से इलाके के लोग सहमे रहते थे. शाम ढलते ही घर से निकलना कोई मुनासिब नहीं समझता था. घर की बेटियों को दरवाजे से बाहर पांव रखने में डर लगता था. लेकिन अब इस इलाके की पांच बेटियों के हौसले ने अब पुरानी तस्वीर बदल कर रख दी हैं.

ये भी पढ़ें: Defence Training in Gaya: नक्सल इलाके में युवा पीढ़ी को डिफेंस लाइन से जोड़ने की कवायद, रिटायर जवान दे रहे हैं ट्रेंनिंग

पहली बार यहां की बेटियां सेना में पहुंची : पहली बार सेना में जाकर बेटियों ने इतिहास रच दिया है. इस इलाके की एक दो नहीं बल्कि पांच बेटियां डिफेंस में चयनित हुई है. जिस इलाके में नक्सलियों की कभी समानांतर सरकार चलती थी, आज वहां की बेटियां देश की सुरक्षा में एक कदम बढ़ा चुकी है. यह एक बड़ा उदाहरण है. दरअसल, दक्षिणी बिहार का इमामगंज ऐसा इलाका है, जहां पूरे क्षेत्र पर कभी नक्सलियों ने अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया था. जहां न तो शिक्षा थी और न ही रोजगार. इसे लेकर युक्क युवतियां मुख्य मार्ग से गुमराह होकर हाथों में हथियार और जंगल की राह अख्तियार कर लेते थे और अपने भविष्य को मौत के हवाले कर देते थे.

5 बेटियों के संघर्ष की कहानी : नक्सल प्रभावित रहे इस इलाके की पांच बेटियों ने जहां इतिहास रचा है. वहीं उनके संघर्ष की कहानी भी काफी लंबी है. इन पांच बेटियों में किसी के पिता खेत में मजदूरी करते हैं तो किसी की मां लकड़ी बिनती है. तो किसी के पिता लाइनमैन का कम कर अपनी बेटी के हौसले को पंख लगा इतिहास रचना का काम किया है.

शोभा कुमारी का ITBP में चयन : इमामगंज के पथरा गांव की रहने वाली शोभा कुमारी का आइटीबीपी में चयन हुआ है. शोभा कुमारी के पिता काफी गरीब है. गांव में यह अपने नाना रंजीत प्रसाद के यहां रहती है. और रंजीत प्रसाद खेती मजदूरी कर अपनी नतिनी शोभा कुमारी को इस मुकाम तक पहुंचने में मदद किया.

ईटीवी भारत GFX.
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'मैं काफी गरीब से परिवार से हूं. मेरे पास अपनी एक साइकिल तक नहीं है. बस किसी तरह दूसरों की मदद से अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए रोज मेहनत करती थी. इसमें रिटायर आर्मी मनजीत कुमार की अकादमी का बड़ा सहयोग मिला और आज आइटीबीपी में जॉइनिंग लेटर आ गया है.'' - शोभा कुमारी (ITBP में चयन)

पिता मजदूर, बेटी संजू का BSF में चयन : संजू कुमारी बीएसएफ में चयनित हुई है. संजू की कहानी काफी संघर्ष भरी है. इसके पिता बंधु दास मजदूर हैं. वे दूसरों के खेतों में मजदूरी करते हैं. इमामगंज के गांव की रहने वाली संजू कुमारी बताती है कि वह सोच भी नहीं सकती थी, कि वह बीएसएफ की जवान बनेगी. किंतु रिटायर आर्मी मनजीत कुमार के अकादमी ने उसे लक्ष्य तक पहुंचने में काफी मदद की.

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''मैं रोज साइकिल से आती थी और ट्रेनिंग लेकर जाती थी. परिवार को दो शाम का खाना भी ठीक से नहीं नसीब नहीं होता हैं, लेकिन आज हुआ किसी प्रकार संघर्ष कर मुकाम तक पहुंची हूं.'' - संजू कुमारी (BSF में चयन)

किसान की बेटी पूनम ने भी दिखाया जज्बा : किसान राजेश दास तिलवारी गांव के रहने वाले हैं. उनकी पुत्री पूनम कुमारी ने भी इस बार कमाल कर दिखाया है. इमामगंज जैसे इलाके में उन पांच बहादुर बेटियों में पूनम भी है, जिसका बीएसएफ में चयन हुआ है. पूनम कुमारी की भी संघर्ष की कहानी बाकी लड़कियों की तरह है. वह भी प्रतिदिन 10 से 12 किलोमीटर ट्रेनिंग लेने के लिए रोज रिटायर आर्मी मनजीत कुमार के अकादमी में जाती थी. आर्थिक स्थिति से कमजोर पूनम देश की रक्षा में अपना योगदान देगी.

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लाइनमैन की बेटी नैंसी देश की रक्षा में देगी योगदान : वही लाइनमैन का काम करने वाले की बेटी नैंसी कुमारी भी बीएसएफ में चयनित हुई है. नैंसी कुमारी भी गरीब परिवार से है और काफी संघर्ष करके उसने अपने लक्ष्य को पाया है. नैंसी का सपना था कि वो एक दिन सेना की वर्दी पहने और उसे देश सेवा का मौका मिले. रोजाना साइकिल चलाकर अकादमी पहुंचती थी और खूब पसीना बहाती थी. आखिरकार सफल हुईं.

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मजदूर की बेटी का बिहार पुलिस में सलेक्शन : आरती कुमारी का चयन बिहार पुलिस मद्ध निषेध विभाग में हुआ है. आरती के पिता मिथिलेश दास मजदूर हैं और मां लकड़ी बीनती है. लेकिन नक्सल प्रभावित इस इलाके की बेटी ने अपनी बहादुरी का परिचय देते हुए बार में उन लड़कियों में शामिल हुई है, जिनका चयन डिफेंस में हुआ है.

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मां ने आरती उतारी, गांव वालों ने किया स्वागत : वहीं पांच बेटियों की बहादुरी से इमामगंज और आसपास के गांव में जश्न का माहौल है. किसी की मां ने अपनी बेटी की आरती उतारी तो किसी ने विजय टीका लगाया, किसी की मां अपनी बेटी के सफल होने की खुशी में मिठाइयां बांट रही है. बेटियों की सफलता के बाद उनके परिवार और गांव में जश्न का माहौल बना हुआ है.

5 बेटियों की सफलता के पीछे मनजीत सिंह : वहीं इसके पीछे मनजीत फिजिकल अकादमी का भी बड़ा योगदान रहा जो बच्चों को निशुल्क ट्रेनिंग दे रही है. यहां लड़कियों को फिजिकल ट्रेनिंग पूरी तरह से निशुल्क दी जा रही है. मनजीत फिजिकल अकादमी के द्वारा लिखित परीक्षा की भी तैयारी कराई जाती है. बता दें कि मनजीत कुमार रिटायर आर्मी है और इमामगंज इलाके के ही रहने वाले हैं.

''मेरा सपना था और यूं कहिए कि ये मैंने अपना लक्ष्य बना रखा कि अपने इलाके की बेटियों को सेना में जरूर भेजूंगा. अब सपना सच होने लगा है.'' - मनजीत कुमार, फिजिकल अकादमी

देखें यह विशेष रिपोर्ट.

गया : बिहार के गया जिले का इमामगंज नक्सल प्रभावित रहा है. लेकिन वक्त के साथ अब यहां नक्सली गतिविधियां थोड़ी कमजोर पड़ने लगी है. एक समय ऐसा था, जब यहां नक्सलियों के बंदूक की गूंज से इलाके के लोग सहमे रहते थे. शाम ढलते ही घर से निकलना कोई मुनासिब नहीं समझता था. घर की बेटियों को दरवाजे से बाहर पांव रखने में डर लगता था. लेकिन अब इस इलाके की पांच बेटियों के हौसले ने अब पुरानी तस्वीर बदल कर रख दी हैं.

ये भी पढ़ें: Defence Training in Gaya: नक्सल इलाके में युवा पीढ़ी को डिफेंस लाइन से जोड़ने की कवायद, रिटायर जवान दे रहे हैं ट्रेंनिंग

पहली बार यहां की बेटियां सेना में पहुंची : पहली बार सेना में जाकर बेटियों ने इतिहास रच दिया है. इस इलाके की एक दो नहीं बल्कि पांच बेटियां डिफेंस में चयनित हुई है. जिस इलाके में नक्सलियों की कभी समानांतर सरकार चलती थी, आज वहां की बेटियां देश की सुरक्षा में एक कदम बढ़ा चुकी है. यह एक बड़ा उदाहरण है. दरअसल, दक्षिणी बिहार का इमामगंज ऐसा इलाका है, जहां पूरे क्षेत्र पर कभी नक्सलियों ने अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया था. जहां न तो शिक्षा थी और न ही रोजगार. इसे लेकर युक्क युवतियां मुख्य मार्ग से गुमराह होकर हाथों में हथियार और जंगल की राह अख्तियार कर लेते थे और अपने भविष्य को मौत के हवाले कर देते थे.

5 बेटियों के संघर्ष की कहानी : नक्सल प्रभावित रहे इस इलाके की पांच बेटियों ने जहां इतिहास रचा है. वहीं उनके संघर्ष की कहानी भी काफी लंबी है. इन पांच बेटियों में किसी के पिता खेत में मजदूरी करते हैं तो किसी की मां लकड़ी बिनती है. तो किसी के पिता लाइनमैन का कम कर अपनी बेटी के हौसले को पंख लगा इतिहास रचना का काम किया है.

शोभा कुमारी का ITBP में चयन : इमामगंज के पथरा गांव की रहने वाली शोभा कुमारी का आइटीबीपी में चयन हुआ है. शोभा कुमारी के पिता काफी गरीब है. गांव में यह अपने नाना रंजीत प्रसाद के यहां रहती है. और रंजीत प्रसाद खेती मजदूरी कर अपनी नतिनी शोभा कुमारी को इस मुकाम तक पहुंचने में मदद किया.

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'मैं काफी गरीब से परिवार से हूं. मेरे पास अपनी एक साइकिल तक नहीं है. बस किसी तरह दूसरों की मदद से अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए रोज मेहनत करती थी. इसमें रिटायर आर्मी मनजीत कुमार की अकादमी का बड़ा सहयोग मिला और आज आइटीबीपी में जॉइनिंग लेटर आ गया है.'' - शोभा कुमारी (ITBP में चयन)

पिता मजदूर, बेटी संजू का BSF में चयन : संजू कुमारी बीएसएफ में चयनित हुई है. संजू की कहानी काफी संघर्ष भरी है. इसके पिता बंधु दास मजदूर हैं. वे दूसरों के खेतों में मजदूरी करते हैं. इमामगंज के गांव की रहने वाली संजू कुमारी बताती है कि वह सोच भी नहीं सकती थी, कि वह बीएसएफ की जवान बनेगी. किंतु रिटायर आर्मी मनजीत कुमार के अकादमी ने उसे लक्ष्य तक पहुंचने में काफी मदद की.

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''मैं रोज साइकिल से आती थी और ट्रेनिंग लेकर जाती थी. परिवार को दो शाम का खाना भी ठीक से नहीं नसीब नहीं होता हैं, लेकिन आज हुआ किसी प्रकार संघर्ष कर मुकाम तक पहुंची हूं.'' - संजू कुमारी (BSF में चयन)

किसान की बेटी पूनम ने भी दिखाया जज्बा : किसान राजेश दास तिलवारी गांव के रहने वाले हैं. उनकी पुत्री पूनम कुमारी ने भी इस बार कमाल कर दिखाया है. इमामगंज जैसे इलाके में उन पांच बहादुर बेटियों में पूनम भी है, जिसका बीएसएफ में चयन हुआ है. पूनम कुमारी की भी संघर्ष की कहानी बाकी लड़कियों की तरह है. वह भी प्रतिदिन 10 से 12 किलोमीटर ट्रेनिंग लेने के लिए रोज रिटायर आर्मी मनजीत कुमार के अकादमी में जाती थी. आर्थिक स्थिति से कमजोर पूनम देश की रक्षा में अपना योगदान देगी.

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लाइनमैन की बेटी नैंसी देश की रक्षा में देगी योगदान : वही लाइनमैन का काम करने वाले की बेटी नैंसी कुमारी भी बीएसएफ में चयनित हुई है. नैंसी कुमारी भी गरीब परिवार से है और काफी संघर्ष करके उसने अपने लक्ष्य को पाया है. नैंसी का सपना था कि वो एक दिन सेना की वर्दी पहने और उसे देश सेवा का मौका मिले. रोजाना साइकिल चलाकर अकादमी पहुंचती थी और खूब पसीना बहाती थी. आखिरकार सफल हुईं.

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मजदूर की बेटी का बिहार पुलिस में सलेक्शन : आरती कुमारी का चयन बिहार पुलिस मद्ध निषेध विभाग में हुआ है. आरती के पिता मिथिलेश दास मजदूर हैं और मां लकड़ी बीनती है. लेकिन नक्सल प्रभावित इस इलाके की बेटी ने अपनी बहादुरी का परिचय देते हुए बार में उन लड़कियों में शामिल हुई है, जिनका चयन डिफेंस में हुआ है.

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मां ने आरती उतारी, गांव वालों ने किया स्वागत : वहीं पांच बेटियों की बहादुरी से इमामगंज और आसपास के गांव में जश्न का माहौल है. किसी की मां ने अपनी बेटी की आरती उतारी तो किसी ने विजय टीका लगाया, किसी की मां अपनी बेटी के सफल होने की खुशी में मिठाइयां बांट रही है. बेटियों की सफलता के बाद उनके परिवार और गांव में जश्न का माहौल बना हुआ है.

5 बेटियों की सफलता के पीछे मनजीत सिंह : वहीं इसके पीछे मनजीत फिजिकल अकादमी का भी बड़ा योगदान रहा जो बच्चों को निशुल्क ट्रेनिंग दे रही है. यहां लड़कियों को फिजिकल ट्रेनिंग पूरी तरह से निशुल्क दी जा रही है. मनजीत फिजिकल अकादमी के द्वारा लिखित परीक्षा की भी तैयारी कराई जाती है. बता दें कि मनजीत कुमार रिटायर आर्मी है और इमामगंज इलाके के ही रहने वाले हैं.

''मेरा सपना था और यूं कहिए कि ये मैंने अपना लक्ष्य बना रखा कि अपने इलाके की बेटियों को सेना में जरूर भेजूंगा. अब सपना सच होने लगा है.'' - मनजीत कुमार, फिजिकल अकादमी

Last Updated : Sep 7, 2023, 10:14 PM IST

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