पटना : कहते हैं राजनीति में सही समय पर सही चाल चलना बहुत जरूरी होता है. अगर उसमें चूक गए फिर आप धाराशायी हो जाएंगे. एक बात और भी है, अगर आपने फैसले लेने में कोई गलती कर दी तो फिर अंजाम बहुत बुरा होता है. कुछ ऐसा ही वीआईपी चीफ मुकेश सहनी (vip chief mukesh sahni) के साथ होता दिख रहा है. कहां मुकेश सहनी ढ़ाई साल का मुख्यमंत्री बनने चले थे. अब तो बिहार विधानसभा में ही उनकी पार्टी ही शून्य हो गयी है.
मुकेश सहनी की पार्टी के तीन विधायक ने बागी होकर भाजपा का दामन थाम लिया. हाई वोल्टेज ड्रामे के बाद तीनों विधायक पहले विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष भाजपा के साथ जाने की औपचारिकता पूरी की और फिर उसके बाद भाजपा दफ्तर में तीनों विधायकों का मिलन समारोह हुआ. विधायक राजू सिंह, मिश्री लाल यादव और सवारना सिंह ने वीआईपी पार्टी छोड़ दिया और वो भाजपा में शामिल (all three vip mla join bjp) हो गए. इस तरह विधानसभा में वीआईपी का गणित शून्य हो गया है.
मुकेश सहनी कुछ दिन पहले तक तेजस्वी यादव को ढ़ाई साल का मुख्यममंत्री बनने का ऑफर दे रहे थे. बीजेपी के खिलाफ में बोल रहे थे. बीजेपी ने मौका देखते ही पार्टी को ही तोड़ दिया. हालांकि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल का कहना है कि विधायकों की घर वापसी हुई है. सवाल उठता है कि क्या जिस तरह से वीआईपी की टूट हुई है उसकी पटकथा अभी लिखी गयी है? राजनीति से जुड़े जानकार कहते हैं बीजेपी वेट एंड वॉच की स्थिति में थी. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद इसने मूल रूप धारण करना शुरू कर दिया.
अगर गौर से देखा जाए तो यूपी चुनाव के बाद से ही बीजेपी के नेता मुकेश सहनी के खिलाफ बोलने लगे थे. उनसे नैतिकता के आधार पर इस्तीफा मांग रहे थे. रही सही कसर बोचहां विधानसभा उपचुनाव ने पूरी कर दी. बीजेपी यहां से बेबी कुमारी को प्रत्याशी क्या बनायी वीआईपी में खलबली मच गयी. मुकेश सहनी के दिल में अचानक से लालू यादव के लिए प्यार उमड़ने लगा. नीतीश कुमार और ललन सिंह से मुलाकात के बाद दिल्ली भी गए. जब बात नहीं बनी तो फ्रेंडली फाइट पर उतर गए. हालांकि उन्होंने कहा कि एक तरह से एनडीए से उन्हें बाहर कर दिया गया है.
बीजेपी वाले भी जैसे ताक में बैठे थे. उधर बोचहां सीट से उम्मीदवारों ने नामांकन किया इधर पटना में खेला शुरू हो गया. बुधवार शाम से हलचल बढ़ने लगी. रात होते-होते वीआईपी के तीनों विधायक राजू सिंह, मिश्री लाल यादव और सवारना सिंह 'नाव' से उतरकर 'कमल' खिलाने पहुंच गए. ऐसे में बार-बार सरकार को गिराने की धमकी देने वाले सहनी औंधे मुंह गिर पड़े. 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव से ऐन पहले महागठबंधन को छोड़कर एनडीए में शामिल हुए मुकेश सहनी को लेकर लोग तो यही कह रहे हैं कि वह राजनीति के अनाड़ी हैं. वक्त के साथ-साथ वह भी खिलाड़ी हो जाएंगे.