नई दिल्ली : सेंट्रल विस्टा पर नई संसद के उद्घाटन को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. विपक्षी दलों ने पहले इसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नई संसद के उद्घाटन पर सवाल खड़े किये थे. कांग्रेस समेत 19 विपक्षी दलों ने उद्घाटन समारोह के बहिष्कार की घोषणा की है. इससे पहले ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने घोषणा की थी कि वह 28 मई को नई संसद के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करेगी. मंगलवार को टीएमसी की ओर से इस तरह की घोषणा सामने आने के बाद अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने भी समारोह के बहिष्कार बात कही. बुधवार को बिहार में सत्ता में सहभागी राष्ट्रीय जनता दल ने भी ट्वीट कर समारोह के बहिष्कार की घोषणा की है.
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19 opposition parties issue a joint statement to boycott the inauguration of the new Parliament building on 28th May, saying "When the soul of democracy has been sucked out from the Parliament, we find no value in a new building." pic.twitter.com/7p7lk9CNqq
— ANI (@ANI) May 24, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI (@ANI) May 24, 2023
जिन पार्टियों ने की बहिष्कार की घोषणा : भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, द्रविड़ मुनेत्र कज़बगम, आम आदमी पार्टी, शिवसेना (यूबीटी), समाजवादी पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा, केरल कांग्रेस (मणि), विदुथलाई चिरुथिगल काची, राष्ट्रीय लोकदल, तृणमूल कांग्रेस, जनता दल (यूनाइटेड), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), राष्ट्रीय जनता दल, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, राष्ट्रीय सम्मेलन, क्रांतिकारी समाजवादी पार्टी, मरुमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम
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RJD (Rashtriya Janata Dal) will boycott the inauguration ceremony of the new Parliament building in Delhi on 28th May. pic.twitter.com/WwMdqhWTX5
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बता दें कि विपक्ष की आपत्ति है कि नई संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को करना चाहिए ना कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को. टीएमसी और आप दोनों ही पार्टियों ने इसे भारत की राष्ट्रपति के अपमान के रूप में परिभाषित किया है. मंगलवार को तृणमूल सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट किया कि संसद सिर्फ एक नई इमारत नहीं है, यह पुरानी परंपराओं, मूल्यों, मिसालों और नियमों के साथ एक प्रतिष्ठान है, यह भारतीय लोकतंत्र की नींव है. पीएम मोदी इस बात को नहीं समझते हैं. उनके लिए रविवार को नए भवन का उद्घाटन उनके खुद के बारे में है... इसलिए हम इसका बहिष्कार करते हैं.
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Parliament is not just a new building; it is an establishment with old traditions, values, precedents and rules - it is the foundation of Indian democracy. PM Modi doesn’t get that
— Derek O'Brien | ডেরেক ও'ব্রায়েন (@derekobrienmp) May 23, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
For him, Sunday’s inauguration of the new building is all about I, ME, MYSELF. So count us out
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For him, Sunday’s inauguration of the new building is all about I, ME, MYSELF. So count us outParliament is not just a new building; it is an establishment with old traditions, values, precedents and rules - it is the foundation of Indian democracy. PM Modi doesn’t get that
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For him, Sunday’s inauguration of the new building is all about I, ME, MYSELF. So count us out
आम आदमी पार्टी (आप) ने कहा कि नई संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से नहीं कराना उनका अपमान है. पार्टी रविवार को नई संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करेगी. आप नेता संजय सिंह ने ट्वीट किया कि संसद भवन के उद्घाटन समारोह में महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी को आमंत्रित नहीं करना उनका घोर अपमान है. यह भारत के दलित आदिवासी और वंचित समाज का अपमान है. आम आदमी पार्टी मोदी के विरोध में उद्घाटन कार्यक्रम का बहिष्कार करेगी, जो महामहिम राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं कर रहे हैं.
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संसद भवन के उदघाटन समारोह में महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मूर्मू जी को आमंत्रित न करना उनका घोर अपमान है।
— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) May 23, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
ये भारत के दलित आदिवासी व वंचित समाज का अपमान है।
मोदी जी द्वारा महामहिम राष्ट्रपति को आमंत्रित नही करने के विरोध में @AamAadmiParty उदघाटन कार्यक्रम का बहिष्कार…
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— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) May 23, 2023
ये भारत के दलित आदिवासी व वंचित समाज का अपमान है।
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— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) May 23, 2023
ये भारत के दलित आदिवासी व वंचित समाज का अपमान है।
मोदी जी द्वारा महामहिम राष्ट्रपति को आमंत्रित नही करने के विरोध में @AamAadmiParty उदघाटन कार्यक्रम का बहिष्कार…
कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की जगह पीएम मोदी द्वारा नई संसद के उद्घाटन पर आपत्ति जताई है. कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने राष्ट्रपति और पूर्व राष्ट्रपति को उद्घाटन के लिए आमंत्रित नहीं करने पर सरकार के ऊपर 'बार-बार मर्यादा का अपमान' करने का आरोप लगाया है. कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को ट्वीट कर लिखा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को नई संसद के उद्घाटन समारोह में आमंत्रित नहीं किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति अकेले ही सरकार, विपक्ष और हर नागरिक का समान रूप से प्रतिनिधित्व करती हैं. वह भारत की पहली नागरिक हैं. उनके द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक मर्यादा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक होगा. हालांकि, अभी तक कांग्रेस ने उद्घाटन समारोह को लेकर अपने रुख की घोषणा नहीं की है. पार्टी ने कहा है कि विपक्ष की रणनीति जल्द ही होने वाली एक बड़ी बैठक में तैयार की जाएगी.
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It looks like the Modi Govt has ensured election of President of India from the Dalit and the Tribal communities only for electoral reasons.
— Mallikarjun Kharge (@kharge) May 22, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
While Former President, Shri Kovind was not invited for the New Parliament foundation laying ceremony…
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— Mallikarjun Kharge (@kharge) May 22, 2023
While Former President, Shri Kovind was not invited for the New Parliament foundation laying ceremony…
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— Mallikarjun Kharge (@kharge) May 22, 2023
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दिसंबर 2020 में जब पीएम मोदी ने नए संसद भवन का शिलान्यास किया था, तब कांग्रेस ने इस कार्यक्रम का बहिष्कार किया था. सीपीआई और असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम सहित कई विपक्षी दलों ने भी सरकार के इस कदम की आलोचना की है. वहीं, विपक्षी दलों के आरोपों का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ट्वीट किया कि कांग्रेस की आदत है विवाद खड़ा करना.
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति राज्य के प्रमुख होते हैं, पीएम सरकार के प्रमुख होते हैं और सरकार की ओर से संसद का नेतृत्व करते हैं. जिनकी नीतियां कानून के रूप में प्रभावी होती हैं. राष्ट्रपति किसी भी सदन का सदस्य नहीं होता है, जबकि पीएम होता है. नई इमारत का निर्माण लोकसभा और राज्यसभा द्वारा लगभग 100 साल पुराने मौजूदा संसद भवन में जगह की कमी का हवाला देते हुए प्रस्ताव पारित करने के बाद किया गया था.