हैदराबाद : पुडुचेरी में सियासी हलचल चरम पर है. उप राज्यपाल किरन बेदी को हटाए जाने के बाद मुख्यमंत्री नारायणसामी को 22 फरवरी को विधानसभा में बहुमत साबित करने को कहा गया है.
मुख्यमंत्री का कहना है कि उनके पास बहुमत है. हालांकि, आंकड़े बताते हैं कि विपक्षी दलों और सत्ताधारी दलों के बीच बराबर की स्थिति है. ऐसे में ऊंट किस करवट बैठेगा, कहना मुश्किल है.
2016 के बाद पुडुचेरी विधानसभा की स्थिति की बात की जाए तो कुल 30 सीटों में कांग्रेस के 15, एआईएनआरसी के 8, एआईएडीएमके के 4, डीएमके के 2 और निर्दलीय का एक विधायक था. यानी कि सत्ताधारी गठबंधन के पास कुल 18 सीटें जबकि विपक्षी दल के पास कुल 12 सीटें थीं. कांग्रेस ने डीएमके के 2 और एक निर्दलीय विधायक के साथ मिलकर सरकार बनाई थी.
अब ये स्थिति है पुडुचेरी विधानसभा की
अब कांग्रेस गठबंधन के पास 14 विधायक (कांग्रेस 10, डीएमके के 3, निर्दलीय 1) हैं. इसी तरह विपक्ष के पास भी 14 विधायक (एआईएनआरसी के 7, एआईएडीएमके के 4, नामित विधायक 3) यानी कुल 28 बावजूद इसके नारायण सामी का दावा है कि उनके पास बहुमत है. जरूरत पड़ने पर वह इसे साबित भी कर देंगे.
किरन बेदी फैक्टर का असर
जब से राज्य में किरन बेदी की एंट्री हुई, मुख्यमंत्री नारायणसामी के साथ उनकी कभी नहीं बनी. वह बेदी पर काम नहीं करने देने का आरोप लगाते रहे. उनका आरोप था कि वह एक चुनी हुई सरकार के फैसलों का अनुपालन नहीं होने दे रही थीं.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि किरन बेदी के कई निर्णयों की वजह से उच्च प्रशासनिक स्तर पर भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती थी. प्रशासनिक उथल-पुथल की स्थिति का सामना करना पड़ता था. कई नेताओं को ऐसा लगने लगा था कि बेदी के रहते कांग्रेस और डीएमके में रहे, तो वे कुछ नहीं कर पाएंगे.
नारायण सामी ने कहा कि उनकी सरकार के द्वारा शुरू की गई कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने से रोका गया. स्थानीय फैसलों को भी लागू करने में भी दिक्कत आ रही थी. लिहाजा, पार्टी कमजोर हो रही है.
फ्लोर टेस्ट में भाजपा के विधायक का नामांकन
2016 के चुनाव के बाद नारायणसामी ने नामांकित विधायकों को नामित करने में देरी कर दी. एलजी किरन बेदी ने इस मौके का फायदा उठाते हुए भाजपा के तीन विधायकों को नामित कर दिया. पहली बार ये तीनों विधायक फ्लोर टेस्ट में हिस्सा लेंगे.
हाल ही में कांग्रेस के कई नेताओं ने इस्तीफा देना शुरू कर दिया था. पीडब्ल्यूडी मंत्री ए नामासिवायम और थीप्पैनथान ने 25 जनवरी को इस्तीफा दिया. नामासिवायम जब इस्तीफा देने जा रहे थे, तो उनके साथ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वी सामिनाथन मौजूद थे. बाद में दोनों ही नेता पार्टी के महासचिव अर्जन सिंह की उपस्थिति में भाजपा में शामिल हो गए.
स्वास्थ्य मंत्री मल्लादी कृष्णा ने विधायक पद से 15 फरवरी को इस्तीफे की घोषणा की थी. एक जॉन कुमार ने 16 फरवरी को त्याग पत्र का ऐलान किया, जबकि 17 फरवरी को राहुल गांधी पुडुचेरी आने वाले थे.
पढ़ें- उपराज्यपाल किरण बेदी पुडुचेरी से हटाईं गईं, तमिलिसाई सौंदरराजन को प्रभार
इन दोनों नेताओं के इस्तीफे के बाद राज्य विधानसभा में विपक्षी दलों और सत्ताधारी दलों की संख्या बराबर हो गई. पार्टी विरोधी गतिविधि की वजह से एन धनावेलु को पहले ही अयोग्य ठहराया जा चुका है. वेलु ने अपनी ही पार्टी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. ऐसे में बहुमत साबित करने की राह कितनी आसान होगी ये तो समय ही बताएगा.