मुंबई : महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) को बताया कि बुजुर्गों, अशक्तों और चल-फिर नहीं सकने वाले लोगों को कोविड-19 का घर-घर जाकर टीका लगाने का अभियान शुरू करने की उसकी नीति को सप्ताह भर में अंतिम रूप दे दिया जाएगा. राज्य सरकार की वकील गीता शास्त्री ने मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी के समक्ष एक मसौदा नीति दाखिल की.
शास्त्री ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने इस तरह की एक नीति बनाने के लिए विशेषज्ञों और हितधारकों की सदस्यता वाली एक विशेष समिति गठित की है. उन्होंने बताया कि नीति का ब्योरा अब तक सार्वजनिक नहीं किया जा सका है, लेकिन इसे एक हफ्ते के अंदर अंतिम रूप दे दिया जाएगा और अदालत को सौंप दिया जाएगा. पीठ ने शास्त्री की दलीलें स्वीकार कर ली.
अदालत इस विषय से जुड़ी कुछ जनहित याचिकाओं की सुनवाई कर रही है, जिसमें एक याचिका अधिवक्ता ध्रुती कपाडिया ने दायर की है और उन्होंने 75 वर्ष से अधिक आयु के लोगों, अशक्तों और चल-फिर नहीं सकने वाले लोगों को कोविड-19 (Covid-19) का घर-घर जाकर टीका लगाने का अभियान शुरू करने का अनुरोध किया है. उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) और बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएसमी) को शहर में मानसिक रूप से बीमार और बेघर लोगों को दिये गये टीके का वार्ड वार विवरण भी देने का निर्देश दिया है. अधिवक्ता सरोश भरूचा द्वारा दायर जनहित याचिका पर अदालत ने यह निर्देश दिया.
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अदालत ने राज्य सरकार और नगर निकाय अधिकारियों को इस मुदे पर अगले हफ्ते तक जवाब देने को कहा है. अदालत इन जनहित याचिकाओं पर अब 29 जून का सुनवाई करेगी.