लखनऊ : सहारा प्रमुख सुब्रत राय को बिहार की नालंदा उपभोक्ता फोरम न्यायालय द्वारा जारी एनबीडब्ल्यू लेकर गिरफ्तार करने पहुंची बिहार व लखनऊ पुलिस बैरंग लौट गई. डीसीपी नॉर्थ कासिम आब्दी ने बताया कि कि नबीडब्ल्यू के चलते ये छापेमारी की गई थी. उपभोक्ता फोरम से जुड़ा पुराना मामला था. सहारा प्रमुख सुब्रत राय की गिरफ्तारी के लिए उनके आवास समेत तमाम दफ्तरों पर छापेमारी की की गई थी. कोर्ट ने शनिवार तक सुब्रत राय को पेश करने का वक्त दिया है. ऐसे में गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की कार्रवाई जारी रहेगी.
अपर पुलिस उपायुक्त उत्तरी अभिजित आर शंकर के मुताबिक बिहार पुलिस ने यूपी पुलिस से संपर्क कर नालन्दा कंज्यूमर कोर्ट द्वारा सुब्रत राय के खिलाफ जारी एनबीडब्लू को तामील कराने व गिरफ्तारी में मदद मांगी थी, जिसके बाद शुक्रवार को बिहार व लखनऊ पुलिस गोमती नगर में स्थित सहारा शहर पहुंची. जानकारी के मुताबिक, सहारा बैंकिंग में निवेशक ने बिहार की नालंदा कंज्यूमर कोर्ट में सुब्रत रॉय के खिलाफ वाद दायर किया था. समन के बावजूद सहारा चीफ पेशी पर नहीं पहुंचे तो कोर्ट ने 29 नवंबर 2022 को एनबीडब्लू जारी किया था. इससे पहले 22 अप्रैल 2022 को सहारा समूह के चेयरमैन सुब्रत राय समेत 8 निदेशकों को गिरफ्तार करने के लिए मध्य प्रदेश के दतिया जिले की पुलिस लखनऊ की गोमती नगर पुलिस को लेकर गैर जमानती वारंट लेकर लखनऊ पहुंची थी. सहारा चीफ के खिलाफ निवेशकों ने दतिया में 14 केस दर्ज कराए थे. एमपी के दतिया थाने के इंस्पेक्टर ने बताया था कि उनके थाने में सुब्रत राय के खिलाफ चिटफंड सोसाइटी बनाकर पैसा हड़पने के 14 केस दर्ज हैं, जिसके खिलाफ कोर्ट से गैर जमानती वारंट जारी है. उन्होंने बताया था कि सहारा कंपनी ने लोगों से पैसा जमा करवाया और फिर मैच्योरिटी होने पर पैसा नहीं दिया. हालांकि तब एमपी पुलिस को सुब्रत रय को बिना गिरफ्तार किए ही बैरंग वापस लौटना पड़ा था. यही नहीं सुब्रत राय को पटना हाईकोर्ट द्वारा बार-बार तलब करने के बाद भी कोर्ट में पेश न होने पर गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया था. पटना हाईकोर्ट में सहारा इंडिया की अलग-अलग स्कीमों में पैसा लगाने वाले निवेशकों ने पैसा भुगतान न होने पर कोर्ट में केस किया था.
सुब्रत राय ने सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड कंपनी बनाई थी. उन पर आरोप है कि इसके जरिए उन्होंने कई स्कीमों के नाम पर 3 करोड़ से अधिक इन्वेस्टर्स से 17,400 करोड़ रुपए इकट्ठा किए थे. सितंबर 2009 में सहारा प्राइम सिटी ने आईपीओ लाने के लिए सेबी में डॉक्युमेंट जमा किया. सेबी ने अगस्त, 2010 में दोनों कंपनियों के जांच का आदेश दिया था. जांच में कमियां पाए जाने पर सेबी ने सवाल उठाए तो मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया. सुप्रीम कोर्ट ने ग्रुप की दोनों कंपनियों को इन्वेस्टर्स को 24,000 करोड़ रुपए लौटाने के आदेश दिया था. यही नहीं कोर्ट ने पैसा चुकाने तक सहारा चीफ को जेल भेज दिया था. वे 4 मार्च 2014 से दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद थे, जिसके बाद सहारा की मां छवि राय के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 6 मई 2017 को पैरोल पर रिहा करने का आदेश दिया था, जिसके बाद पेरोल की अवधी बढ़ा दी गई और तभी से वो पेरोल पर जेल से बाहर हैं.
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