कोच्चि : केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) ने बृहस्पतिवार को कहा कि स्वास्थ्य पेशेवरों की हमलों से सुरक्षा सुनिश्चित करने और लोगों को कानून अपने हाथ में लेने से रोकने के लिए पुलिस की 'त्वरित प्रतिक्रिया' आवश्यक है. अदालत ने यह बात राज्य पुलिस को यह निर्देश देते हुए कही कि जब भी उसे अस्पतालों से उनके चिकित्सकों या कर्मचारियों पर हमलों के संबंध में शिकायत मिलती है तो वह 'तेजी से प्रतिक्रिया' करे.
यह निर्देश केरल प्राइवेट हॉस्पिटल्स एसोसिएशन द्वारा निजी अस्पतालों में कोरोना वायरस के इलाज के लिए राज्य द्वारा तय किए गए कोविड उपचार शुल्क के संबंध में दायर एक समीक्षा याचिका की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन (Justices Devan Ramachandran) और न्यायमूर्ति कौसर एडप्पागथ (Justices Kauser Edappagath) की पीठ ने जारी किया.
पिछली सुनवाई के दौरान प्राइवेट हास्पिटल एसोसिएशन और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने डॉक्टरों, नर्सों और अन्य कर्मचारियों पर मरीजों या भीड़ द्वारा हमले का मुद्दा उठाया था और अदालत ने ऐसी घटनाओं की कड़ी निंदा करते हुए राज्य को डॉक्टरों सहित स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था.
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बृहस्पतिवार को पीठ ने इस मामले में राज्य के पुलिस प्रमुख को यह कहते हुए पक्षकार बनाया कि इस मुद्दे को हल करने के लिए उनकी सहायता की भी आवश्यकता होगी. अदालत ने केरल के डीजीपी को सभी जिला पुलिस प्रमुखों को निर्देश देने का निर्देश दिया, जो संबंधित थाना प्रभारियों को यह निर्देश दें कि वे मरीजों, उनके सहायकों द्वारा डॉक्टरों और नर्सों के साथ मारपीट या झगड़े की अस्पतालों की शिकायतों पर 'तेजी से और जल्द प्रतिक्रिया करें.'
अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में त्वरित जांच सुनिश्चित की जानी चाहिए और दोषियों के खिलाफ 'कड़ी कार्रवाई' की जानी चाहिए.
(पीटीआई-भाषा)