नई दिल्ली : अमेरीका के कैलिफोर्निया में रह रही वैशाली और उनके पति सौरव चक्रवर्ती के लिये महामारी के इस दौर में दिल्ली पुलिस के अधिकारी फरिश्ते की तरह आये और उनके बुजुर्ग माता पिता की जान बचा ली. अब यह एनआरआई दंपत्ति दिल्ली पुलिस के प्रयासों की न केवल सराहना कर रहे हैं, बल्कि सोशल मीडिया पर भी इनका धन्यवाद कर रहे हैं.
वैशाली के 82 वर्षीय पिता और उनकी मां दिल्ली के रोहिणी में रहते हैं. कुछ दिन पहले दोनों कोरोना संक्रमित हुए, जिसके बाद उनकी हालत लगातार बिगड़ती चली गई. पांच मई को इस बुजुर्ग दंपत्ति को ऑक्सीजन की सख्त जरूरत थी और कैलिफोर्निया में रह रही उनकी बेटी खुद को निःसहाय महसूस कर रही थीं.
उनके एक मित्र ने दस लीटर के एक सिलिंडर का इंतजाम किया, लेकिन इससे दोनों बुजुर्ग दंपत्ति का काम चलना मुश्किल था. मदद के लिये कई दरवाज़े खटखटाने के बाद इन्होंने प्रशांत विहार थाने में पोस्टेड सब इंस्पेक्टर नीरज को कॉल किया और उन्होंने तुरंत मौके की गंभीरता को समझते हुए एक बड़े ऑक्सीजन सिलिंडर का इंतजाम किया और टेक्नीशियन की मदद से उनके घर में लगवाया.
हालांकि यह बड़ा ऑक्सीजन गैस सिलिंडर भी इनके लिये केवल 24 घंटे ही चल सकता था और वैशाली के पिता की तबियत लगतर बिगड़ रही थी. उनके ऑक्सीजन लेवल में गिरावट आ रही थी. ऐसी परिस्थिति में वैशाली ने एक बार फिर सब इंस्पेक्टर नीरज से मदद मांगी.
दिल्ली पुलिस के इस अधिकारी ने एम्बुलेंस का इंतजाम किया और देर रात उन्हें प्रशांत विहार स्थित संतोम हॉस्पिटल में भर्ती कराया. हालत में सुधार न होने पर नीरज ने उन्हें दिल्ली के एम्स में भी भर्ती कराया जहां उनकी हालत में अब लगातार सुधार हो रहा है.
उधर वैशाली की मां जया चौधरी ऑक्सीजन का इंतजाम होने के बाद घर पर ही ठीक होने लगीं. ताजा अपडेट के मुताबिक 82 वर्ष के मानस रंजन चौधरी भी बेहतर स्थिति में दिल्ली के एम्स में रिकवर कर रहे हैं और उनकी पत्नी बिना ऑक्सीजन सपोर्ट के घर पर स्वस्थ हो रही हैं.
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वैशाली और उनके पति सौरव इसके लिये दिल्ली पुलिस का बार बार धन्यवाद कर रहे हैं और सोशल मीडिया पर पोस्ट भी कर रहे हैं. उनका कहना है कि उनके जीवन में प्रशांत विहार थाना एसएचओ प्रवीण कुमार और सब इंस्पेक्टर नीरज किस फरिश्ते से कम नहीं हैं, जिन्होंने उनके माता पिता का जीवन बचाने का काम किया है.
वैशाली वर्ष 2003 से ही कैलिफोर्निया के सिलिकॉन सिटी में अपने परिवार के साथ रह रही हैं और उन्हें अमेरीका की नागरिकता भी मिल चुकी है. आखिरी बार ये 2019 में भारत आये थे और अब महामारी का दौर खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं, ताकि वह भारत आ कर अपने माता पिता से मिल सकें.