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पुलिस के लिए मुसीबत बनी अफीम, फसल नष्ट करने के दौरान आंख और फेफड़ों पर हो रहा असर - झारखंड में बीमार हो रहे पुलिस जवान

झारखंड के खूंटी में अफीम की खेती का दुष्प्रभाव युवाओं के साथ पुलिस जवानों पर भी पड़ रहा है. अफीम के खेत से निकलने वाली महक और दूध के छीटों से जवान बीमार पड़ रहे हैं (police man getting sick by taking opium in khunti).

police man getting sick by taking opium in khunti
पुलिस के लिए मुसीबत बनी अफीम
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Published : Mar 21, 2022, 10:18 PM IST

खूंटी: काला हीरा (कोयला) के लिए मशहूर झारखंड अब काला सोना (अफीम) को लेकर बदनाम हो रहा है. झारखंड के कई जिलों में अफीम की खेती और उसके बाद तस्करी की खबरें आए दिन सामने आती रहती हैं. अफीम की खेती और तस्करी से केवल युवा और दूसरे नशाबाज ही प्रभावित नहीं हो रहे हैं बल्कि इसका असर पुलिस जवानों पर भी पड़ रहा है. अफीम के खेत में लगातार कार्रवाई से पुलिसवाले बीमार पड़ रहे हैं.

खूंटी के मुरहू,अड़की और मारंगहादा इलाकों में बड़े पैमाने पर सैकड़ों एकड़ खेत और जंगलों के बीच अफीम की खेती की जाती रही है. जानकारी होने पर प्रशासन इसे नष्ट भी करता है. प्रशासन की यही कार्रवाई पुलिस जवानों पर भारी पड़ रही है. अफीम नष्ट करने के दौरान फसल से निकलने वाली महक और दूध के छींटे उनके आंख और फेफड़ों को खराब कर रहे हैं. जवानों के मुताबिक अफीम के दूध से आंखों में जलन होती है. इसके अलावा अफीम के खेत में लगातार डंडा चलाने से उससे निकलने वाली महक भी श्वसन प्रक्रिया पर विपरीत असर डाल रही है. जवानों के अनुसार ऐसे खेतों में कार्रवाई के बाद आंखों में धुंधलापन, सिर भारी होना, नींद का नहीं आना जैसी समस्या आम हो गई है.

झारखंड से खास रिपोर्ट

जवानों के लिए ड्यूटी करना मजबूरी
अफीम विनष्टीकरण अभियान में लगे जवानों की मानें तो खेतों में अभियान चलाना उनकी मजबूरी है. वो बताते हैं कि एक बार अवैध खेती का पता चलने के बाद कार्रवाई से कोई इनकार नहीं किया जा सकता. ऐसा करने पर निलंबित होने का खतरा होता है. ऐसे में स्वास्थ्य के आगे नौकरी को तरजीह देना मजबूरी बन गया है. बता दें कि जिले में लगातार पुलिस प्रशासन द्वारा अवैध अफीम की खेती पर कार्रवाई करने के बावजूद अफीम तस्कर और ग्रामीण अफीम की खेती से बाज नहीं आ रहे हैं. विगत चार पांच वर्षों में अवैध अफीम की खेती और तस्करी मामले में सौ से ज्यादा अफ़ीम तस्कर जेल भेजे जा चुके हैं. बावजूद इसके अवैध अफीम की खेती में कमी नहीं आ रही है.

जवानों को डॉक्टरों की सलाह : पुलिस जवानों की समस्या पर जब सदर अस्पताल के डॉक्टर पीपी साह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि अफीम से निकलने वाले दूध में भारी मात्रा में केमिकल पाए जाते है जो शरीर के अंगों के लिए काफी हानिकारक हैं. ऐसे में जवानों को पीपीई कीट पहन कर इस तरह की कार्रवाई करनी चाहिए. साथ ही मास्क और चश्मे के इस्तेमाल से भी इससे बचा जा सकता है.

पढ़ें- सेंट्रल नारकोटिक्स ब्यूरो की टीम की कार्रवाई, नष्ट की अवैध अफीम की फसल

खूंटी: काला हीरा (कोयला) के लिए मशहूर झारखंड अब काला सोना (अफीम) को लेकर बदनाम हो रहा है. झारखंड के कई जिलों में अफीम की खेती और उसके बाद तस्करी की खबरें आए दिन सामने आती रहती हैं. अफीम की खेती और तस्करी से केवल युवा और दूसरे नशाबाज ही प्रभावित नहीं हो रहे हैं बल्कि इसका असर पुलिस जवानों पर भी पड़ रहा है. अफीम के खेत में लगातार कार्रवाई से पुलिसवाले बीमार पड़ रहे हैं.

खूंटी के मुरहू,अड़की और मारंगहादा इलाकों में बड़े पैमाने पर सैकड़ों एकड़ खेत और जंगलों के बीच अफीम की खेती की जाती रही है. जानकारी होने पर प्रशासन इसे नष्ट भी करता है. प्रशासन की यही कार्रवाई पुलिस जवानों पर भारी पड़ रही है. अफीम नष्ट करने के दौरान फसल से निकलने वाली महक और दूध के छींटे उनके आंख और फेफड़ों को खराब कर रहे हैं. जवानों के मुताबिक अफीम के दूध से आंखों में जलन होती है. इसके अलावा अफीम के खेत में लगातार डंडा चलाने से उससे निकलने वाली महक भी श्वसन प्रक्रिया पर विपरीत असर डाल रही है. जवानों के अनुसार ऐसे खेतों में कार्रवाई के बाद आंखों में धुंधलापन, सिर भारी होना, नींद का नहीं आना जैसी समस्या आम हो गई है.

झारखंड से खास रिपोर्ट

जवानों के लिए ड्यूटी करना मजबूरी
अफीम विनष्टीकरण अभियान में लगे जवानों की मानें तो खेतों में अभियान चलाना उनकी मजबूरी है. वो बताते हैं कि एक बार अवैध खेती का पता चलने के बाद कार्रवाई से कोई इनकार नहीं किया जा सकता. ऐसा करने पर निलंबित होने का खतरा होता है. ऐसे में स्वास्थ्य के आगे नौकरी को तरजीह देना मजबूरी बन गया है. बता दें कि जिले में लगातार पुलिस प्रशासन द्वारा अवैध अफीम की खेती पर कार्रवाई करने के बावजूद अफीम तस्कर और ग्रामीण अफीम की खेती से बाज नहीं आ रहे हैं. विगत चार पांच वर्षों में अवैध अफीम की खेती और तस्करी मामले में सौ से ज्यादा अफ़ीम तस्कर जेल भेजे जा चुके हैं. बावजूद इसके अवैध अफीम की खेती में कमी नहीं आ रही है.

जवानों को डॉक्टरों की सलाह : पुलिस जवानों की समस्या पर जब सदर अस्पताल के डॉक्टर पीपी साह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि अफीम से निकलने वाले दूध में भारी मात्रा में केमिकल पाए जाते है जो शरीर के अंगों के लिए काफी हानिकारक हैं. ऐसे में जवानों को पीपीई कीट पहन कर इस तरह की कार्रवाई करनी चाहिए. साथ ही मास्क और चश्मे के इस्तेमाल से भी इससे बचा जा सकता है.

पढ़ें- सेंट्रल नारकोटिक्स ब्यूरो की टीम की कार्रवाई, नष्ट की अवैध अफीम की फसल

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