नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सुबह 11 बजे नई दिल्ली स्थित डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में स्वच्छ भारत मिशन-शहरी के दूसरे चरण और अटल नवीकरण एवं शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत) का शुभारंभ करेंगे. सरकार के मुताबिक एसबीएम-यू 2.0 का परिव्यय करीब 1.41 लाख करोड़ रुपये है.
केंद्रीय शहरी एवं आवासन कार्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने गुरुवार को कहा कि स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (सीबीएम-यू) के दूसरे चरण का उद्देश्य सुविधाओं को बेहतर बनाना और नगर निकायों को ठोस कचरे के प्रसंस्करण को मौजूदा 70 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत तक ले जाना है.
अधिकारी ने कहा कि शहरी मंत्रालय जल शक्ति मंत्रालय के साथ सहयोग करेगा ताकि एसबीएम-ग्रामीण और जल जीवन मिशन के दूसरे चरण के साथ शहरों के बाहरी इलाकों में शहरी और ग्रामीण दोनों विशेषताओं वाले गांवों जैसे क्षेत्रों के लिए सम्मिलन सुनिश्चित किया जा सके.
अधिकारी ने कहा कि मंत्रालय सहयोग और वित्त पोषण के संदर्भ में अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ भी बातचीत कर रहा है.
उन्होंने कहा कि एसबीएम-यू के पहले चरण में शौचालयों के निर्माण और शहरों को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है, लेकिन इसके दूसरे चरण में सुविधाओं को बेहतर बनाने, सभी लैंडफिल को पुनः प्राप्त करने और नगरपालिका के ठोस कचरे के प्रसंस्करण को वर्तमान 70 प्रतिशत से 100 प्रतिशत करने का लक्ष्य भी बनाया जाएगा.
इससे पहले दिन में प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा कि प्रधानमंत्री के नजरिये के अनुरूप एसबीएम-यू 2.0 और अमृत 2.0 को हमारे सभी शहरों को 'कचरा मुक्त' और 'जल सुरक्षित' बनाने की आकांक्षा को साकार करने के लिए तैयार किया गया है.
बयान में कहा गया कि ये प्रमुख मिशन भारत में तेजी से शहरीकरण की चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान करने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ने का संकेत देने के साथ-साथ सतत विकास लक्ष्य 2030 की उपलब्धि में योगदान करने में भी मददगार होंगे.
स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0
सरकार के मुताबिक, एसबीएम-यू 2.0 सभी शहरों को 'कचरा मुक्त' बनाने और अमृत के अंतर्गत आने वाले शहरों के अलावा अन्य सभी शहरों में धूसर और काले पानी के प्रबंधन को सुनिश्चित करने, सभी शहरी स्थानीय निकायों को ओडीएफ+ और 1 लाख से कम जनसंख्या वाले को ओडीएफ++ के रूप में तैयार करने की परिकल्पना करता है, जिससे शहरी क्षेत्रों में सुरक्षित स्वच्छता के लक्ष्य को पूरा किया जा सके.
मिशन के तहत ठोस अपशिष्ट के स्रोत पृथक्करण, 3-आर- रिड्यूस (कम करें) रियूज (पुन: उपयोग), रिसाइकल (पुर्नचक्रण) के सिद्धांतों का उपयोग करने, सभी प्रकार के शहरी ठोस कचरे के वैज्ञानिक प्रसंस्करण और प्रभावी ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए डंपसाइट के सुधार पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.
एसबीएम-यू 2.0 का परिव्यय लगभग 1.41 लाख करोड़ रुपये है.
अमृत 2.0 का लक्ष्य
अमृत 2.0 का लक्ष्य लगभग 2.64 करोड़ सीवर/सेप्टेज कनेक्शन प्रदान करके लगभग 2.68 करोड़ नल कनेक्शन और 500 अमृत शहरों में सीवरेज और सेप्टेज का शत-प्रतिशत कवरेज प्रदान करना है. साथ ही लगभग 4,700 शहरी स्थानीय निकायों में सभी घरों में पेयजल की आपूर्ति का शत-प्रतिशत कवरेज प्रदान करना है, जिससे शहरी क्षेत्रों में 10.5 करोड़ से अधिक लोगों को लाभ होगा.
सरकार के मुताबिक, अमृत 2.0 सर्कुलर इकोनॉमी के सिद्धांतों को अपनाएगा और सतह एवं भूजल निकायों के संरक्षण और कायाकल्प को बढ़ावा देगा. मिशन नवीनतम वैश्विक प्रौद्योगिकियों और कौशल का लाभ उठाने के लिए जल प्रबंधन और प्रौद्योगिकी उप-मिशन में डेटा आधारित शासन को बढ़ावा देगा. शहरों के बीच प्रगतिशील प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए 'पेयजल सर्वेक्षण' आयोजित किया जाएगा. अमृत 2.0 का परिव्यय लगभग 2.87 लाख करोड़ रुपये है.
एसबीएम-यू और अमृत का प्रभाव
प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, एसबीएम-यू और अमृत ने पिछले सात वर्षों के दौरान शहरी परिदृश्य को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. इन दोनों प्रमुख मिशनों ने नागरिकों को जल आपूर्ति और स्वच्छता की बुनियादी सेवाएं प्रदान करने की क्षमता में वृद्धि की है.
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सरकार के मुताबिक, स्वच्छता आज जन आंदोलन बन गया है. सभी शहरी स्थानीय निकायों को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित कर दिया गया है और 70 प्रतिशत ठोस कचरे को अब वैज्ञानिक रूप से संसाधित किया जा रहा है. अमृत 1.1 करोड़ घरेलू नल कनेक्शन और 85 लाख सीवर कनेक्शन जोड़कर जल सुरक्षा सुनिश्चित करने में जुटा है, जिससे 4 करोड़ से अधिक लोग लाभान्वित होंगे.