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UP Elections 2022 : जानें क्या है पप्पू की अड़ी का महत्व जहां पीएम मोदी ने ली चाय की चुस्की

वाराणासी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Pradhan Mantri Narendra Modi ) ने पप्पू की अड़ी (Pappu Ki Adi) पर चाय की चुस्की ली. इस अड़ी की ऐसी क्या खासियत है कि जो भी नेता काशी आते हैं वो यहां आने से खुद को नहीं रोक पाते. पप्पू की अड़ी बनारस की लगभग 7 दशकों से भी पुरानी चाय की दुकान है.

Pappu Ki Adi
पप्पू की अड़ी
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Published : Mar 5, 2022, 7:28 PM IST

वाराणासी. काशी-एक जीवंत नगरी जो हर पल जिंदादिली का एहसास कराती है. यहां की गलियां, मोहल्ले सब काशी के अल्हड़पन का बखान करते हैं. वहीं, बनारस की 'अड़ी' भी काफी मशहूर है. अड़ी यानी बैठक का एक ठिकाना जहां अल्हड़ और ठेठ अंदाज के लोग जुटते हों, गपशप करते हों. ये अड़ियां यहां की सांस्कृतिक और राजनीतिक विरासत पर गंभीर चर्चाओं के लिए भी जानी जातीं हैं. अक्सर बड़े और सार्थक चर्चाओं का भी गवाह बनतीं हैं.
यूं तो काशी में कई अड़िया हैं पर काशी के सोनारपुरा और भदैनी क्षेत्र स्थित पप्पू की अड़ी इनमें काफी मशहूर है. यह अड़ी एक चाय की दुकान में है जहां बनारस के जाने माने बुद्धिजीवी चाय पर चर्चा करने आते हैं. इस दौरान राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मुद्दों, धर्म-संस्कृति और राजनीति को लेकर बड़ी चर्चाएं होतीं हैं. यह अड़ी वह अड़ी है जहां देश के नामी गिरामी पत्रकार और बुद्धिजीवी भी आते देखे गए हैं. ये यहां पूर्वांचल समेत उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय राजनीति की दशा और दिशा पर सार्थक चर्चा करते हैं और यहां से नई नीतियों की रूपरेखा तय करते हैं.

जानें क्या है पप्पू की अड़ी का इतिहास
कल इस अड़ी के इतिहास में एक और नया आयाम जुड़ गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने यहां पहुंचकर चाय की चुस्की ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पप्पू की अड़ी पर चाय की चुस्की लेकर जनतंत्र की मूल अवधारणा का जमीनी अवलोकन कराया. बनारस की अड़ियों पर संस्कृति से लेकर सियासत (UP Elections 2022) तक की चर्चा की जाती है. कहा जाता है कि देश में दो संसद चलतीं हैं. एक बनारस के अड़ी पर और दूसरा दिल्ली में. पप्पू की अड़ी बनारस की लगभग 7 दशकों से ज्दाया पुरानी ऐसी ही बुद्धिजीवियों की संसद है.

पढे़ंः चार राज्यों में जहां हमारी सरकार थी, फिर जनता जिताएगी : भाजपा

इसके अधिष्ठाता विश्वनाथ सिंह है जिन्हें लोग प्यार से पप्पू कहते हैं. इसलिए इस दुकान को पप्पू की अड़ी कहा जाता है. काशी के पुराने लोग बताते हैं कि 1948 में विश्वनाथजी के पिता मिलिट्री से छुट्टी लेकर आए और इस इलाके में चाय की दुकान खोल दी. 1948 से लेकर 1975 तक उनके पिताजी ने दुकान संभाली. फिर 1975 के बाद 2011 तक विश्वनाथ सिंह ने दुकान को संभाला. अब उनकी तीसरी पीढ़ी इस दुकान को चला रही है. पप्पू की अड़ी के तीसरी पीढ़ी के मनोज ने बताया कि यहां की दूध की चाय हर जगह से अलग मिलती है. पीएम ने भी कल तीन पुरवा दूध की चाय पी. चाय की चुस्की और चर्चा इस अड़ी को खास बनाता है. उन्होंने बताया कि यहां सभी लोग अपनी बात रखते हैं और गंभीरता से उस पर चर्चा होती है. यह परंपरा पिछले सात दशकों से निभाई जाती है. यहां प्रोफेसर, पत्रकार, लेखक, कवि, छात्र, साहित्यकार और एक आम इंसान बैठकर चाय की चुस्कियों के साथ बैद्धिक चर्चाओं में भाग लेते हैं.

UP Elections 2022
जानें क्या है पप्पू की अड़ी का इतिहास
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अड़ी पर मौजूद जानकरों ने बताया कि इस दुकान का अपना एक अलग ही इतिहास है. यहां जार्ज फर्नांडिस ने पत्रकार वार्ता की थी. उसके बाद कलराज मिश्र, बीएचयू छात्र जीवन में मनोज सिन्हा, महेंद्र नाथ पांडेय, बिहार के मंत्री लालमणि मिश्रा भी चाय पीने आते थे. काशीनाथ सिंह ने भी यहां पर काशी की जीवंतता को देखकर एक पुस्तक भी लिखा. उन्होंने बताया कि बीते कुछ सालों में चुनावी यात्रा के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी चाय पी चुके हैं. गौरतलब है कि काशी की अड़िया एक समय में समाजवादी विचारधारा की गढ़ हुआ करतीं थीं. यहां छात्र जीवन के समाजवादी विचारधारा से आते थे और चर्चा करते थे. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निश्चित तौर पर कल काशी में बनारसी रंग के साथ राष्ट्रवाद की नई छाप छोड़ी है. ये छाप वोट में कितना तब्दील होगी, ये वक्त बताएगा.

वाराणासी. काशी-एक जीवंत नगरी जो हर पल जिंदादिली का एहसास कराती है. यहां की गलियां, मोहल्ले सब काशी के अल्हड़पन का बखान करते हैं. वहीं, बनारस की 'अड़ी' भी काफी मशहूर है. अड़ी यानी बैठक का एक ठिकाना जहां अल्हड़ और ठेठ अंदाज के लोग जुटते हों, गपशप करते हों. ये अड़ियां यहां की सांस्कृतिक और राजनीतिक विरासत पर गंभीर चर्चाओं के लिए भी जानी जातीं हैं. अक्सर बड़े और सार्थक चर्चाओं का भी गवाह बनतीं हैं.
यूं तो काशी में कई अड़िया हैं पर काशी के सोनारपुरा और भदैनी क्षेत्र स्थित पप्पू की अड़ी इनमें काफी मशहूर है. यह अड़ी एक चाय की दुकान में है जहां बनारस के जाने माने बुद्धिजीवी चाय पर चर्चा करने आते हैं. इस दौरान राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मुद्दों, धर्म-संस्कृति और राजनीति को लेकर बड़ी चर्चाएं होतीं हैं. यह अड़ी वह अड़ी है जहां देश के नामी गिरामी पत्रकार और बुद्धिजीवी भी आते देखे गए हैं. ये यहां पूर्वांचल समेत उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय राजनीति की दशा और दिशा पर सार्थक चर्चा करते हैं और यहां से नई नीतियों की रूपरेखा तय करते हैं.

जानें क्या है पप्पू की अड़ी का इतिहास
कल इस अड़ी के इतिहास में एक और नया आयाम जुड़ गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने यहां पहुंचकर चाय की चुस्की ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पप्पू की अड़ी पर चाय की चुस्की लेकर जनतंत्र की मूल अवधारणा का जमीनी अवलोकन कराया. बनारस की अड़ियों पर संस्कृति से लेकर सियासत (UP Elections 2022) तक की चर्चा की जाती है. कहा जाता है कि देश में दो संसद चलतीं हैं. एक बनारस के अड़ी पर और दूसरा दिल्ली में. पप्पू की अड़ी बनारस की लगभग 7 दशकों से ज्दाया पुरानी ऐसी ही बुद्धिजीवियों की संसद है.

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इसके अधिष्ठाता विश्वनाथ सिंह है जिन्हें लोग प्यार से पप्पू कहते हैं. इसलिए इस दुकान को पप्पू की अड़ी कहा जाता है. काशी के पुराने लोग बताते हैं कि 1948 में विश्वनाथजी के पिता मिलिट्री से छुट्टी लेकर आए और इस इलाके में चाय की दुकान खोल दी. 1948 से लेकर 1975 तक उनके पिताजी ने दुकान संभाली. फिर 1975 के बाद 2011 तक विश्वनाथ सिंह ने दुकान को संभाला. अब उनकी तीसरी पीढ़ी इस दुकान को चला रही है. पप्पू की अड़ी के तीसरी पीढ़ी के मनोज ने बताया कि यहां की दूध की चाय हर जगह से अलग मिलती है. पीएम ने भी कल तीन पुरवा दूध की चाय पी. चाय की चुस्की और चर्चा इस अड़ी को खास बनाता है. उन्होंने बताया कि यहां सभी लोग अपनी बात रखते हैं और गंभीरता से उस पर चर्चा होती है. यह परंपरा पिछले सात दशकों से निभाई जाती है. यहां प्रोफेसर, पत्रकार, लेखक, कवि, छात्र, साहित्यकार और एक आम इंसान बैठकर चाय की चुस्कियों के साथ बैद्धिक चर्चाओं में भाग लेते हैं.

UP Elections 2022
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अड़ी पर मौजूद जानकरों ने बताया कि इस दुकान का अपना एक अलग ही इतिहास है. यहां जार्ज फर्नांडिस ने पत्रकार वार्ता की थी. उसके बाद कलराज मिश्र, बीएचयू छात्र जीवन में मनोज सिन्हा, महेंद्र नाथ पांडेय, बिहार के मंत्री लालमणि मिश्रा भी चाय पीने आते थे. काशीनाथ सिंह ने भी यहां पर काशी की जीवंतता को देखकर एक पुस्तक भी लिखा. उन्होंने बताया कि बीते कुछ सालों में चुनावी यात्रा के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी चाय पी चुके हैं. गौरतलब है कि काशी की अड़िया एक समय में समाजवादी विचारधारा की गढ़ हुआ करतीं थीं. यहां छात्र जीवन के समाजवादी विचारधारा से आते थे और चर्चा करते थे. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निश्चित तौर पर कल काशी में बनारसी रंग के साथ राष्ट्रवाद की नई छाप छोड़ी है. ये छाप वोट में कितना तब्दील होगी, ये वक्त बताएगा.

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