नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रविवार को विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर कारीगरों और शिल्पकारों के पारंपरिक कौशल को बढ़ावा देने वाली 'पीएम विश्वकर्मा' योजना की शुरुआत करेंगे. प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने शुक्रवार को एक बयान में यह जानकारी दी. पीएमओ के मुताबिक प्रधानमंत्री राजधानी के द्वारका स्थित इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन और एक्सपो सेंटर (आईआईसीसी) में इस योजना की शुरुआत करेंगे.
केंद्र सरकार ने 'पीएम विश्वकर्मा' योजना को शुरू करने की घोषणा केंद्रीय बजट 2023-24 में की थी. इस योजना के लिए वित्त वर्ष 2023-24 से वित्त वर्ष 2027-28 तक वित्तीय परिव्यय 13,000 करोड़ रुपये रखा गया है. इस योजना का उद्देश्य अपने हाथों और औजारों से काम करने वाले कारीगरों और शिल्पकारों द्वारा पारंपरिक कौशल के अभ्यास को बढ़ावा देना और मजबूत करना तथा गुणवत्ता के साथ-साथ उनके उत्पादों और सेवाओं की पहुंच में सुधार करना भी है.
पीएमओ ने कहा कि पारंपरिक शिल्प से जुड़े लोगों को समर्थन देने पर प्रधानमंत्री मोदी का निरंतर ध्यान रहा है. उसने कहा, 'यह ध्यान न केवल कारीगरों और शिल्पकारों को आर्थिक रूप से समर्थन देने की इच्छा से प्रेरित है, बल्कि स्थानीय उत्पादों, कला और शिल्प के माध्यम से सदियों पुरानी परंपरा, संस्कृति और विविध विरासत को जीवित और समृद्ध रखने की इच्छा से भी जुड़ा है.' इस योजना को 13,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ केंद्र सरकार द्वारा पूरी तरह से वित्त पोषित किया जाएगा.
इसके तहत, 'विश्वकर्मा' (कारीगरों व शिल्पकारों) को बायोमेट्रिक आधारित 'पीएम विश्वकर्मा पोर्टल' का उपयोग करके सामान्य सेवा केंद्रों के माध्यम से नि:शुल्क पंजीकृत किया जाएगा. उन्हें पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और पहचान पत्र के माध्यम से मान्यता प्रदान की जाएगी और कौशल उन्नयन के लिए बुनियादी और उन्नत प्रशिक्षण भी दिया जाएगा. इस योजना के तहत लाभार्थियों को 15,000 रुपये का टूलकिट प्रोत्साहन भी प्रदान किया जाएगा.
पीएमओ के अनुसार योजना के तहत लाभार्थियों को पांच प्रतिशत की रियायती ब्याज दर के साथ एक लाख रुपये (पहली किश्त) और दो लाख रुपये (दूसरी किश्त) तक की ऋण सहायता उपलब्ध कराई जाएगी. इस योजना का उद्देश्य अपने हाथों और औजारों से काम करने वाले कारीगरों और शिल्पकारों द्वारा पारंपरिक कौशल के अभ्यास को बढ़ावा देना और मजबूत करना है. इसके अलावा इसका उद्देश्य गुणवत्ता के साथ-साथ विश्वकर्मा समुदाय के लोगों के उत्पादों और सेवाओं की पहुंच में सुधार करना भी है.
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यह योजना पूरे भारत में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के कारीगरों और शिल्पकारों को सहायता प्रदान करेगी. 'पीएम विश्वकर्मा' के तहत अठारह पारंपरिक शिल्प को कवर किया जाएगा। इनमें बढ़ई (सुथार), नाव निर्माता, अस्त्रकार, लोहार, हथौड़ा और टूलकिट निर्माता, ताला बनाने वाला, सुनार, कुम्हार, मूर्तिकार (पत्थर तराशने वाला), पत्थर तोड़ने वाला, चर्मकार)/जूता बनाने वाला/फुटवियर कारीगर, राजमिस्त्री, टोकरी/चटाई/झाड़ू बनाने वाला, गुड़िया और खिलौना निर्माता (पारंपरिक), नाई, मालाकार, धोबी, दर्जी और मछली पकड़ने का जाल बनाने वाले शामिल हैं.
पीटीआई-भाषा