भोपाल। महाकाल लोक के उद्घाटन के साथ ही इसके धार्मिक पर्यटन से भी मध्यप्रदेश में इजाफा होगा. अभी महाकाल के दर्शन के लिए आम दिनों में लगभग 20,000 लोग आते हैं. जबकि महाकाल लोक के उद्घाटन के बाद उम्मीद लगाई जा रही है कि यह संख्या 50 से 80 हज़ार प्रतिदिन हो जाएगी. मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भोपाल से लगभग 200 किलोमीटर दूर स्थित 856 करोड़ रुपये के महाकालेश्वर मंदिर के महाकाल विकास परियोजना के पहले चरण का उद्घाटन करने वाले हैं. महाकाल लोक के इस शुभारंभ अवसर पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी उनके साथ होंगे. ऐसे में इस नए कॉरीडोर के शुभारंभ के बाद मध्यप्रदेश में धार्मिक पर्यटन को भी एक और बढ़ावा मिलेगा.
पहले अवंतिका और उज्जैनी के नाम से जाना जाता था उज्जैन: पुरानी क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित उज्जैन, एक प्राचीन शहर है जिसे पहले उज्जैनी और अवंतिका के नाम से भी जाना जाता था, और राजा विक्रमादित्य की कथा से जुड़ा हुआ है. हर 12 साल में होने वाले सिंहस्थ कुंभ के दौरान महाकालेश्वर मंदिर में भी भारी भीड़ होती है. उज्जैन में कुंभ आखिरी बार 2016 में आयोजित किया गया था. 2016 में, सिंहस्थ कुंभ मेला, एक महीने में लगभग 70 मिलियन लोगों ने उज्जैन का दौरा किया. उम्मीद की जा रही है कि अगले सिंहस्थ कुंभ मेले में यह संख्या 100 मिलियन तक पहुंच जाएगी. उज्जैन की आबादी लगभग 6 लाख है. यह एक प्राचीन और पवित्र शहर है और पुराने हिंदू ग्रंथ महाकालेश्वर मंदिर के चारों ओर एक 'महाकाल वन' की उपस्थिति का वर्णन करते हैं, और यहां '84 महादेव', 'नव ग्रह' और 'सप्त सरोवर' (सात झील) हैं. जिनमें से एक रुद्रसागर है. जिसे कॉरिडोर विकास परियोजना के हिस्से के रूप में पुनर्जीवित किया गया है.
उज्जैन में नाग चंद्रेश्वर मंदिर साल में केवल एक बार नागपंचमी पर खुलता है और उस दौरान भारी भीड़ इसे देखने आती है. ये त्योहारी समय अर्थव्यवस्था में भी योगदान करते हैं. इसलिए महाकाल मंदिर न केवल उज्जैन का धार्मिक केंद्र है, बल्कि यह शहर के सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक क्षेत्रों से भी जुड़ा हुआ है. कॉरिडोर खुलने से इसका गुणक प्रभाव और अधिक होटल होंगे. अन्य सहायक बुनियादी ढांचे सामने आएंगे. मेगा कॉरिडोर परियोजना के पूरा होने के बाद मंदिर परिसर का क्षेत्र 2.87 हेक्टेयर से बढ़ाकर 47 हेक्टेयर कर दिया जाएगा. अधिकारियों ने कहा दो भव्य प्रवेश द्वार, एक राजसी जटिल नक्काशीदार बलुआ पत्थरों से बने 108 अलंकृत खंभों, फव्वारों और शिव पुराण से ली गई. विभिन्न कहानियों को दर्शाने वाले 50 से अधिक भित्ति चित्रों का एक पैनल 'महाकाल लोक' के प्रमुख आकर्षण हैं.
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पर्यटन को मिलेगा बूम: धार्मिक दृष्टिकोण से मध्यप्रदेश में महाकालेश्वर के साथ ही ओमकालेश्वर ज्योतिर्लिंग है. इसके साथ ही कई और धार्मिक स्थल मध्यप्रदेश में बने हुए हैं. महाकाल लोक के शुभारंभ के बाद ऐसा माना जा रहा है कि मध्य प्रदेश में धार्मिक पर्यटन को एकदम से बूम मिलेगा. उज्जैन स्मार्ट सिटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आशीष कुमार पाठक के मुताबिक कि हर साल लगभग 1.5 करोड़ लोग मंदिर आते हैं. यहां आज से 4 साल पहले 10 से 12000 लोग ही रोज आया करते थे. जबकि पिछले 2 साल में यह संख्या आम दिनों में 20 हजार के लगभग हो गई है. जबकि शनिवार, रविवार और सोमवार के दिन यह संख्या 30,000 से भी अधिक पहुंच जाती है. अधिकारी ने कहा कहा 'महाकाल लोक' के खुलने के बाद यह वार्षिक आंकड़ा दोगुना होकर लगभग तीन करोड़ होने की उम्मीद है. महाकालेश्वर मंदिर, देश के 12 'ज्योतिर्लिंगों' में से एक है. जो हिंदुओं द्वारा पृथ्वी पर सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है. लाखों लोग हिंदू कैलेंडर या महाशिवरात्रि के श्रावण महीने के दौरान यहां एकत्र होते हैं. जल्द खुलने वाले कॉरिडोर को लेकर स्थानीय निवासियों में उत्साह है. यहां तक कि मध्य प्रदेश से बाहर रहने वाले लोगों ने भी इस मेगा परियोजना पर विशेष रूप से सोशल मीडिया के माध्यम से काफी उत्साह दिखाया है.
80-90 हजार श्रद्धालुओं के मंदिर पहुंचने की उम्मीद: महाकाल मंदिर के पूर्व प्रशासक सुजान सिंह रावत बताते हैं कि महाकाल लोक के शुभारंभ के बाद लोगों में इसको देखने के लिए और उत्सुकता बढ़ेगी. सुजान बताते हैं कि अभी तक बाबा महाकाल की शाही सवारी में 2 से तीन लाख लोग उज्जैन आया करते थे, लेकिन कोविड के बाद से और उसके थोड़ा पहले से यह देखा जा रहा है कि नॉर्मल सवारियों में ही 2 से 3 लाख लोग बाबा महाकाल के दर्शन करने आ जाते हैं. जबकि शाही सवारियों में इनकी संख्या तीन से चार लाख के से भी ज्यादा पहुंचती है. ऐसे में महाकाल लोक की भव्यता को देखने के लिए यह संख्या और बढ़ेगी. सुजान बताते हैं कि कुछ समय पहले जब वह महाकाल मंदिर के प्रशासक थे, तब पर्यटन की दृष्टि से महाकाल का एक प्लान तैयार किया गया था. जिसके तहत उम्मीद लगाई जा रही थी कि इस कॉरिडोर के बनने से निश्चित ही लोगों को सुविधाएं मिलेंगी तो उनकी संख्या और बढ़ेगी. सुजान बताते हैं कि यह कॉरिडोर का पहला फेस है. इसके साथ ही आने वाले दिनों में दूसरा फेस भी तैयार होगा, लेकिन इसके शुभारंभ के बाद से ही उम्मीद लगाई जा रही है कि नॉर्मल दिनों में ही 50 से 60 हज़ार लोग रोज यहां दर्शन करने आएंगे. जबकि शनिवार रविवार और सोमवार के दिन भक्तों की संख्या 70 से 80 हजार और 90 हजार के आसपास पहुंचने की उम्मीद है.
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सुजान बताते हैं कि तिरुपति में रोज 80 हज़ार से 1 लाख लोग दर्शन करने आते हैं. ऐसे में आगे उम्मीद यही लगाई जा रही है कि बाबा महाकाल के दर्शन के लिए भी इतने ही लोग आएंगे. जिससे कि मध्य प्रदेश के पर्यटन में इजाफा होगा.
महाकाल मंदिर पेज के 30-40 लाख फॉलोअर: महाकाल मंदिर के साथ ही मध्यप्रदेश में धार्मिक पर्यटन बढ़ने का एक जरिया सोशल मीडिया भी है। सोशल मीडिया पर मध्य प्रदेश के तमाम धार्मिक स्थलों की जानकारी आसानी से मिल जाती है। महाकाल मंदिर की ही फेसबुक पेज पर 30 से 40 लाख लोग इसके फॉलोअर हैं। ऐसे में वो रोज बाबा के नए नए रूपों के दर्शन करते हैं और उन्हें अपने फेसबुक और व्हाट्सएप आदि सोशल मीडिया के अकाउंट पर शेयर भी करते हैं। जिससे भी लोगों की आस्था इस और बड़ी है.
दान की राशि में भी हुई बढ़ोत्तरी: एक अनुमानित जानकारी के अनुसार 5 साल पहले महाकाल मंदिर में दान में आई राशि की कीमत साल भर में 18 से 20 करोड़ हुआ करती थी. जबकि आज के समय में लगभग 100 करोड़ से अधिक की राशि महाकाल मंदिर में साल भर में कलेक्ट होती है. इससे अंदाज लगाया जा सकता है कि महाकाल मंदिर की और धार्मिक पर्यटन लगातार बढ़ रहा है.