अमरावती : आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले के तेनाली में प्रधान मंत्री मोदी की 14 फीट ऊंची मूर्ति बनाई गई है. मूर्ति को बनाने में 2 टन मोटर वाहन स्क्रैप पार्ट्स का इस्तेमाल किया गया है.
तेनाली की सूर्या मूर्तिकला कार्यशाला में दशकों से तरह-तरह की मूर्तियां बनाई जा रही हैं. हाल के दिनों में उन्होंने स्क्रैप धातु से मूर्तियां बनाना शुरू किया. इसके पहले महात्मा गांधी की 10 फुट की मूर्ति तैयार की गई थी.
इस बारे में पता चलने पर बेंगलुरु की एक कंपनी ने पीएम नरेंद्र मोदी की मूर्ति बनवाने के लिए यहां संपर्क किया. कंपनी ने सुझाव दिया कि मूर्ति को केवल बोल्ट का उपयोग करके गांधी प्रतिमा की शैली में बनाया जाए हालांकि मूर्ति बनाने वालाें ने पाया कि केवल बाेल्ट से बनाने पर पीएम मोदी की तरह मूर्ति नहीं बन पा रही है. इसमें कुछ अन्य चीजाें की जरूरत है.
उन्होंने पीएम मोदी की मूर्ति बनाने के लिए दो महीने तक कड़ी मेहनत की. खासतौर पर इसमें चेहरे काे तैयार करने में 20 दिन तक का समय लगा. मूर्तिकारों ने यह भी कहा कि इस प्रतिमा में मोदी की विशेषताओं को शामिल करने का विशेष ध्यान रखा गया है.
मूर्ति बनाने के लिए पुराने लोहे के स्क्रैप को विशेष रूप से गुंटूर, विजयवाड़ा और विशाखापत्तनम से एकत्र किया गया. इसमें मुख्य रूप से मोटर वाहनों के स्पेयर पार्ट्स का उपयोग किया गया.
मूर्ति को बनाने में बोल्ट, बेयरिंग, गियर व्हील, स्प्रिंग, रॉड, स्पैनर, रिंच, बॉल, वायर का इस्तेमाल किया गया था. मेक इन इंडिया का लोगो पीएम मोदी की प्रतिमा के बीचो-बीच बना हुआ है.
मूर्तिकारों ने कहा कि उन्होंने इसे बनाने में अधिक ध्यान रखा क्योंकि यह देश के प्रधान मंत्री की मूर्ति थी. प्रतिमा को बेंगलुरु ले जाने की व्यवस्था की जा रही है. पीएम मोदी अपने जन्मदिन पर मूर्ति का अनावरण कर सकते हैं.
इसे बनाने वाले मूर्तिकार और कार्यशाला के मालिक कटुरी वेंकटेश्वर राव ने कहा कि बैंगलुरु की कंपनी ने हमें पीएम मोदी की मूर्ति केवल बोल्ट से बनाने के लिए कहा, लेकिन नरेंद्र मोदी की तरह प्रतिमा सिर्फ बोल्ट से बनाना संभव नहीं था हमने उन्हें समझाया. लेकिन जैसा कि हम दशकों से मूर्तियां बनाने का काम कर रहे हैं. हमने कड़ी मेहनत की और अंततः मूर्ति काे तैयार कर लिया.
मूर्ति के चेहरे को बनाने में 20 दिन लगे. 10 श्रमिकों ने लगभग 2 महीने तक काम किया, हमने इसे केवल मैन्युअल तरीके से काम करके बनाया है. किसी भी तकनीकी तरीके का उपयोग नहीं किया गया था.