नई दिल्ली: लालकिले से देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी की जंग लड़ने वाले और आजादी के बाद देश बनाने के लिए अपना जीवन खपा देने वाले महापुरुषों को नमन किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि भारत देश बापू, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बीआर अंबेडकर और वीर सावरकर के प्रति कृतज्ञ है, जिन्होंने कर्तव्य पथ पर अपने जीवन को न्योछावर कर दिया. कर्तव्य पथ ही उनका जीवन पथ रहा. लालकिले की प्राचीर से लगातार 9वीं बार देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद और सरदार वल्लभभाई पटेल को याद करते हुए कहा कि आज आजादी की जंग लड़ने वाले और आजादी के बाद देश बनाने वाले डॉ. राजेंद्र प्रसाद, नेहरू, सरदार वल्लभाचार्य पटेल, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, लाल बहादुर शास्त्री, दीन दयाल उपाध्याय, जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया, आचार्य विनोबा भावे, नानाजी देशमुख और ऐसे अनेक महापुरुषों को नमन करने का दिन है.
पीएम मोदी ने आगे कहा कि देश मंगल पांडे, तात्या टोपे, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, चंद्रशेखर आजाद, असफाक उल्ला खां, राम प्रसाद बिस्मिल और ऐसे अनगिनत क्रांति वीरों के प्रति कृतज्ञ है, जिन्होंने ब्रिटिश हुकूमत की नींव हिला दी थी. प्रधानमंत्री ने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, झलकारी बाई, दुर्गा भाभी और बेगम हजरत महल के साथ-साथ आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली महिलाओं को भी याद करते हुए उन्हें नमन किया.
देश के स्वतंत्रता संग्राम का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हिंदुस्तान का कोई कोना, कोई काल ऐसा नहीं था, जब देशवासियों ने सैकड़ों सालों तक गुलामी के खिलाफ जंग न की हो, जीवन न खपाया हो, यातनाएं न झेली हो, आहुति न दी हो. आज हम सब देशवासियों के लिए ऐसे हर महापुरुष को, हर त्यागी और बलिदानी को नमन करने का अवसर है. आजादी के गुमनाम नायकों को याद करने के लिए सरकार द्वारा चलाए जा रहे अभियान का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि हिंदुस्तान के हर कोने में उन सभी महापुरुषों को याद करने का प्रयास किया गया, जिनको किसी न किसी कारणवश इतिहास में जगह न मिली, या उनकों भुला दिया गया था. आज देश ने खोज खोज कर ऐसे वीरों, महापुरुषों, बलिदानियों, सत्याग्रहियों को याद किया, नमन किया.
पढ़ें लाल किले की प्राचीर से PM मोदी के भाषण की बड़ी बातें
- महात्मा गांधी का आखिरी व्यक्ति को लाभ पहुंचाने का सपना था, मैंने अपने महात्मा गांधी के सपने को पूरा करने के लिए खुद को समर्पित किया.
- भारत लोकतंत्र की जननी है. मैं पहला व्यक्ति था, जिसे लाल किले से देशवासियों के गौरवगान करने का मौका मिला था. जितना आपसे सीखा है, आपको जान पाया हूं. आपके सुख-दुख को जान पाया हूं. उसे लेकर मैंने पूरा कालखंड उन लोगों के लिए खपाया है.
- हमारे देशवासियों ने भी उपलब्धियां हासिल की हैं, पुरुषार्थ किया है, हार नहीं मानी है और संकल्पों को ओझल नहीं होने दिया है. हमने पिछले दिनों देखा है, हमने एक और ताकत का अनुभव किया है. भारत में सामूहिक चेतना का पुनर्जागरण हुआ है. आजादी का अमृत अब संकल्प में बदल रहा है. सिद्धि का मार्ग नजर आ रहा है.
- देश अब 5 संकल्प लेकर आगे बढ़ेगा. आने वाले 25 साल के लिए 5 संकल्प लेने होंगे. उन्होंने कहा कि पंच प्रण लेने होंगे. हमें आजादी के दीवानों के सपनों का संकल्प लेना होना.
- पहला प्रण: अब देश बड़े संकल्प लेकर ही चलेगा. ये बड़ा संकल्प है विकसित भारत. इससे कम कुछ नहीं होगा. 2047 तक विकसित भारत का सपना लेकर आगे बढ़ना है.
- दूसरा प्रण: किसी भी कोने में हमारे मन के भीरत गुलामी का एक भी अंश है तो उसे बचने नहीं देना है. शत-प्रतिशत सैकड़ों साल की गुलामी ने हमें जकड़कर रखा है, हमारी सोच में विकृतियां पैदा कर रखी हैं. अगर हमें गुलामी की छोटी सी बात भी नजर आती है तो हमें इससे मुक्ति पानी होगी.
- तीसरा प्रण: हमें अपने विरासत पर गर्व होना चाहिए. यही विरासत है कि नित्य नूतन स्वीकारती रही है.
- चौथा प्रण: एकता और एकजुटता. 130 देशवासियों में एकता. एक भारत श्रेष्ठ भारत के लिए ये हमारा चौथा प्रण है.
- पांचवां प्रण: नागरिकों का कर्तव्य. ये हमारे आने वाले 25 साल के सपनों को पूरा करने के लिए बहुत बड़ी प्रण शक्ति है. जब सपने बड़े होते हैं, तो पुरुषार्थ भी बहुत बड़ा होता है.
- हमने बड़ा संकल्प लिया था. आजादी का. हम आजाद हो गए, ये इसलिए हुआ क्योंकि संकल्प बहुत बड़ा था, अगर संकल्प सीमित होता तो शायद आज भी संघर्ष कर रहे होते.
- मानव केंद्रीय व्यवस्था को विकसित करेंगे. हमारे केंद्र में मानव होगा. उसकी आशाएं होंगी. भारत जब बड़े संकल्प करता है, करते बता देता है. जब मैंने स्वच्छता की बात की, तो इस देश ने करके दिखाया. जब दुनिया दुविधा में थी तब 200 करोड़ वैक्सीनेशन के लक्ष्य को हासिल कर लिया. सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए. ढाई करोड़ लोगों के घर में नल से जल पहुंचाने का काम देश कर रहा है. खुले में शौच से मुक्ति संभव हो पाया है.
- इसके लिए करोड़ों लोगों की सलाह ली गई. भारत की जमीन की धरती से जुड़ी शिक्षा नीति बनी है.
- जब हम अपनी धरती से जुड़ेंगे तभी तो ऊंचा उड़ेंगे, तभी विश्व को भी समाधान दे पाएंगे. हम प्रकृति से प्रेम करना जानते हैं. हमारे पास ग्लोबल वॉर्मिंग की समस्या के समाधान का रास्ता हमारे पास है. हमारे पूर्वजों ने हमें दिया है. जब दुनिया होलिस्टिक हेल्थ केयर की चर्चा करती है, तो दुनिया की नजर भारत के योग पर जाती है. भारत के आयुर्वेद पर जाती है. जब व्यकिगत तनाव की बात होती है तो विश्व को भारत का योग दिखता है, जब सामूहिक तनाव की बात होती है विश्व को भारत की पारिवारिक व्यवस्था दिखती है.
- हम वो लोग हैं जो जीव में शिव देखते हैं, नर में नारायण देखते हैं जो नारी को नारायणी कहते हैं. पौधे में परमात्मा देखते हैं, जो नदी को मां मानता है, हम वो हैं जो हर कंकर में शंकर देखते हैं. हम वो हैं जिसने दुनिया को वसुधैव कुटुम्बकम का मंत्र दिया. जो कहते हैं कि सत्य एक है. हमने दुनिया का कल्याण देखा है. हमने जन कल्याण से जग कल्याण देखा है.
- जब तक भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी के प्रति नफरत का भाव पैदा नहीं होता होता, सामाजिक रूप से उसे नीचा देखने के लिए मजबूर नहीं करते, तब तक ये मानसिकता खत्म नहीं होने वाली है. भ्रष्टाचार देश को दीमक की तरह खोखला कर रहा है, उससे देश को लड़ना ही होगा. हमारी कोशिश है कि जिन्होंने देश को लूटा है, उनको लौटाना भी पड़े, हम इसकी कोशिश कर रहे हैं.
- जब मैं भाई-भतीजावाद और परिवारवाद की बात करता हूं, तो लोगों को लगता है कि मैं सिर्फ राजनीति की बात कर रहा हूं। जी नहीं, दुर्भाग्य से राजनीतिक क्षेत्र की उस बुराई ने हिंदुस्तान के हर संस्थान में परिवारवाद को पोषित कर दिया है.