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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के पांच वर्ष पूरे, बढ़ाई गई बीमा राशि - बढ़ाई गई औसत बीमित राशि

केंद्र सरकार की ओर से 2016 में शुरू की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के पांच वर्ष पूर हो गए हैं. इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि किसान इस योजना का लाभ लें और आत्मनिर्भर किसान बनें. सरकार ने बीमा राशि भी बढ़ाने का फैसला लिया है.

fasal bima
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Published : Jan 13, 2021, 1:38 PM IST

नई दिल्ली : सरकार ने किसानों को सबसे कम प्रीमियम पर एक व्यापक फसल जोखिम बीमा समाधान प्रदान करने के लिए शुरू की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) का भरपूर लाभ उठाने को कहा है. ताकि वे आत्मनिर्भर किसान बन सकें. यह योजना अब पांच साल की हो गई है.

सरकार की एक उल्लेखनीय पहल के रूप में इस योजना को 13 जनवरी 2016 को लागू किया गया था. इसमें किसान के हिस्से के अतिरिक्‍त प्रीमियम का खर्च राज्यों और भारत सरकार द्वारा समान रूप से सहायता के रूप में दिया जाता है. पूर्वोत्तर राज्यों में 90 प्रतिशत प्रीमियम सहायता भारत सरकार देती है. सरकार ने किसानों से आग्रह किया कि वे संकट के समय में आत्मनिर्भर बनने के लिए योजना का लाभ उठाएं और त्मनिर्भर किसान तैयार बनकर सम्मान हासिल करें.

बढ़ाई गई औसत बीमित राशि
सरकारी के अनुसार पीएमएफबीवाई के तहत औसत बीमित राशि बढ़ाकर 40,700 रुपये कर दी गई है. पीएमएफबीवाई से पूर्व की योजनाओं के दौरान प्रति हेक्टेयर 15,100 रुपये थी. योजना में बुवाई से पूर्व चक्र से लेकर कटाई के बाद तक फसल के पूरे चक्र को शामिल किया गया है. जिसमें रोकी गई बुवाई और फसल के बीच में प्रतिकूल परिस्थितियों से होने वाला नुकसान भी शामिल है. बाढ़, बादल फटने और प्राकृतिक आग जैसे खतरों के कारण होने वाली स्थानीय आपदाओं और कटाई के बाद होने वाले व्यक्तिगत खेती के स्तर पर नुकसान को शामिल किया गया है.

किसानों के लिए स्वैच्छिक योजना
लगातार सुधार लाने के प्रयास के रूप में इस योजना को सभी किसानों के लिए स्वैच्छिक बनाया गया था. फरवरी 2020 में इसमें सुधार किया गया. राज्यों को बीमा राशि को तर्कसंगत बनाने के लिए लचीलापन भी प्रदान किया गया है ताकि किसानों द्वारा पर्याप्त लाभ उठाया जा सके. कृषि मंत्रालय के अनुसार इस योजना में साल भर में 5.5 करोड़ किसानों के आवेदन आते हैं. अब तक योजना के तहत 90,000 करोड़ रुपये के दावों का भुगतान किया जा चुका है. आधार की वजह से किसान के खातों में सीधे भुगतान हो जाता है.

यह भी पढ़ें-शहादत से नहीं, लेकिन ट्रैक्टर रैली से शर्मिंदा हो रही मोदी सरकार : राहुल

सरकार के अनुसार कोविड लॉकडाउन अवधि के दौरान भी लगभग 70 लाख किसानों को लाभ हुआ और इस दौरान 8741.30 करोड़ रुपये के दावे लाभार्थियों को हस्तांतरित किए गए.

नई दिल्ली : सरकार ने किसानों को सबसे कम प्रीमियम पर एक व्यापक फसल जोखिम बीमा समाधान प्रदान करने के लिए शुरू की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) का भरपूर लाभ उठाने को कहा है. ताकि वे आत्मनिर्भर किसान बन सकें. यह योजना अब पांच साल की हो गई है.

सरकार की एक उल्लेखनीय पहल के रूप में इस योजना को 13 जनवरी 2016 को लागू किया गया था. इसमें किसान के हिस्से के अतिरिक्‍त प्रीमियम का खर्च राज्यों और भारत सरकार द्वारा समान रूप से सहायता के रूप में दिया जाता है. पूर्वोत्तर राज्यों में 90 प्रतिशत प्रीमियम सहायता भारत सरकार देती है. सरकार ने किसानों से आग्रह किया कि वे संकट के समय में आत्मनिर्भर बनने के लिए योजना का लाभ उठाएं और त्मनिर्भर किसान तैयार बनकर सम्मान हासिल करें.

बढ़ाई गई औसत बीमित राशि
सरकारी के अनुसार पीएमएफबीवाई के तहत औसत बीमित राशि बढ़ाकर 40,700 रुपये कर दी गई है. पीएमएफबीवाई से पूर्व की योजनाओं के दौरान प्रति हेक्टेयर 15,100 रुपये थी. योजना में बुवाई से पूर्व चक्र से लेकर कटाई के बाद तक फसल के पूरे चक्र को शामिल किया गया है. जिसमें रोकी गई बुवाई और फसल के बीच में प्रतिकूल परिस्थितियों से होने वाला नुकसान भी शामिल है. बाढ़, बादल फटने और प्राकृतिक आग जैसे खतरों के कारण होने वाली स्थानीय आपदाओं और कटाई के बाद होने वाले व्यक्तिगत खेती के स्तर पर नुकसान को शामिल किया गया है.

किसानों के लिए स्वैच्छिक योजना
लगातार सुधार लाने के प्रयास के रूप में इस योजना को सभी किसानों के लिए स्वैच्छिक बनाया गया था. फरवरी 2020 में इसमें सुधार किया गया. राज्यों को बीमा राशि को तर्कसंगत बनाने के लिए लचीलापन भी प्रदान किया गया है ताकि किसानों द्वारा पर्याप्त लाभ उठाया जा सके. कृषि मंत्रालय के अनुसार इस योजना में साल भर में 5.5 करोड़ किसानों के आवेदन आते हैं. अब तक योजना के तहत 90,000 करोड़ रुपये के दावों का भुगतान किया जा चुका है. आधार की वजह से किसान के खातों में सीधे भुगतान हो जाता है.

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सरकार के अनुसार कोविड लॉकडाउन अवधि के दौरान भी लगभग 70 लाख किसानों को लाभ हुआ और इस दौरान 8741.30 करोड़ रुपये के दावे लाभार्थियों को हस्तांतरित किए गए.

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