नई दिल्ली : देश में ऑक्सीजन की आपूर्ति की व्यवस्था को मजबूत करने के लिए सरकार ऑक्सीजन उत्पादन करने वाली औद्योगिक इकाइयों के निकट अस्थायी अस्पताल बनाकर कम समय में 10,000 ऑक्सीजन युक्त बिस्तर उपलब्ध कराने की उम्मीद कर रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैठकें कर देश में कोविड-19 के बढ़ते मामलों से उत्पन्न ताजा स्थिति की समीक्षा की और उसके बाद सरकार की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया कि उन्होंने नाइट्रोजन संयंत्रों को ऑक्सीजन संयंत्रों में बदलने के काम की प्रगति का भी जायजा लिया.
प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि कोविड-19 महामारी के प्रकोप के बीच चिकित्सा ऑक्सीजन की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए सरकार ने ऑक्सीजन उत्पादन के लिए मौजूदा नाइट्रोजन संयंत्रों को ऑक्सीजन संयंत्रों में बदलने की व्यवहार्यता का पता लगाया है.
बयान में कहा गया, ऐसे विभिन्न संभावित उद्योगों की पहचान की गई है जिनमें मौजूदा नाइट्रोजन संयंत्रों को ऑक्सीजन के उत्पादन के लिए परिवर्तित किया जा सकता है और चिकित्सा के काम में इसका उपयोग हो सकता है.
इस समीक्षा बैठक में मौजूदा प्रेशर स्विंग एड्सॉर्प्शन (पीएसए) नाइट्रोजन संयंत्रों को ऑक्सीजन के उत्पादन के लिए परिवर्तित करने की प्रक्रिया पर चर्चा की गई.
ज्ञात हो कि नाइट्रोजन संयंत्रों में कार्बन मॉलिक्यूलर सीव (सीएमएस) का उपयोग किया जाता है जबकि ऑक्सीजन के उत्पादन के लिए ज़ियोलाइट मॉलीक्युलर सीव (ज़ेडएमएस) की आवश्यकता होती है.
बयान में कहा गया कि इसलिए सीएमएस को ज़ेडएमएस के साथ बदलकर और कुछ अन्य परिवर्तनों जैसे ऑक्सीजन एनालाइज़र, कंट्रोल पैनल प्रणाली, प्रवाह वाल्व आदि के साथ मौजूदा नाइट्रोजन संयंत्रों में ऑक्सीजन के उत्पादन के लिए परिवर्तित किया जा सकता है.
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पीएमओ ने कहा कि उद्योगों के साथ विचार-विमर्श के बाद अब तक 14 उद्योगों की पहचान की गई है, जहां नाइट्रोजन संयंत्रों के रूपांतरण का काम प्रगति पर है और इसके अलावा, उद्योग संघों की मदद से 37 नाइट्रोजन संयंत्रों की इस कार्य के लिए पहचान की गई है.
बयान में कहा गया कि ऑक्सीजन के उत्पादन के लिए संशोधित नाइट्रोजन संयंत्र को या तो पास के अस्पताल में स्थानांतरित किया जा सकता है और अगर इस संयंत्र को स्थानांतरित करना संभव नहीं है, तो इसका उपयोग ऑक्सीजन के ऑन-साइट उत्पादन के लिए किया जा सकता है, जिसे विशेष पोत या सिलेंडर से अस्पताल में पहुंचाया जा सकता है.
बैठक में प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव, कैबिनेट सचिव, गृह सचिव, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया.