नई दिल्ली : प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में 'फूड प्रोसेसिंग क्रांति' और 'वन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट' की बात पर जोर देते हुए कहा कि आज कृषि के हर सेक्टर जैसे कि फिशरी, वेजिटेबल, फल, अनाज, डेरी इत्यादि में प्रोसेसिंग को बढ़ाने की जरूरत है. किसानों को ऐसी सुविधा मिले कि उनकी फसल खेतों से सीधे प्रोसेसिंग यूनिट तक पहुंचे, और इसलिए ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर फण्ड को बढ़ा कर 40,000 करोड़ रुपये किया गया है.
बजट 2021 में किसानों के लिये क्रेडिट टारगेट को बढ़ा कर 16 लाख करोड़ रुपये किया गया है. प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में आज छोटे किसानों की संख्या 12 करोड़ है, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था के ड्राइविंग फोर्स होंगे और इसलिए बजट में भी उनको मजबूत करने के लिए कई प्रावधान किये गए हैं और सरकार ने छोटे किसानों को ध्यान में रखते हुए ही अत्यंत महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं. बजट के प्रावधानों में जानकारों से मिली राय का विशेष रूप से ध्यान रखा गया.
ग्रामीण क्षेत्र में किसानों को सिंचाई की सुविधा बढ़ाने के लिए बजट 2021 में 10 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान है, वहीं 1000 मंडियों को ई-नाम पोर्टल से जोड़ने की बात भी कही गई है.
प्रधानमंत्री ने कहा है कि इनमें से बहुत सारे काम दो-तीन दशक पहले हो जाने चाहिए थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसलिए आज उनकी सरकार इसकी पूर्ति कर रही है. साथ ही और तेजी से आगे बढ़ने का प्रयास भी किया जा रहा है.
प्रोसेसिंग बढ़ने से किसानों के उत्पाद को वैश्विक बाजार में मिलेगी जगह
फूड प्रोसेसिंग को बढ़ावा देने ले लिये बजट में अलग से 11,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. विशेषज्ञ भी इस क्षेत्र में निवेश की आवश्यकता पर जोर देते रहे हैं. कृषि उत्पाद के मामले में आज देश सरप्लस हो चुका है, ऐसे में प्रोसेसिंग बढ़ने से किसानों के उत्पाद को वैश्विक बाजार में जगह मिलेगी.
प्रधामंत्री मोदी ने कहा कि आज भी ग्रामीण क्षेत्र में माइक्रो प्रोसेसिंग यूनिट चल रही हैं, लेकिन उनको और आगे कैसे बढ़ाएं इस पर जोर देना है.
छोटे किसानों को अत्याधुनिक तकनीक का लाभ मिले, इसके लिए उन्हें किराये पर ट्रैक्टर व अन्य मशीनरी उपलब्ध कराने के लिए भी योजनाओं को आगे बढ़ाने की बात प्रधानमंत्री द्वारा कही गई है. ट्रक एग्रीगेटर्स की मदद से किसानों के फसल को खेत से मंडी या खेत से किसान रेल तक पहुंचाने में प्राइवेट सेक्टर की भूमिका अहम हो सकती है.
सॉयल टेस्टिंग नेटवर्क बनाने की आवश्यकता
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि किसानों में मिट्टी जांच के प्रति जागरुकता बढ़ी है और इसको और ज्यादा गांव व किसानों तक पहुंचाने के लिए सॉयल टेस्टिंग नेटवर्क बनाने की आवश्यकता है, जिसमें प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी अहम हो सकती है. देश के ज्यादातर स्टार्टअप्स आज युवाओं द्वारा चलाए जा रहे हैं और युवाओं की भी इस क्षेत्र में भूमिका हो सकती है.
प्रधानमंत्री ने किसानों से कहा है कि वह महज गेहूं और चावल उगाने पर केंद्रित न रहें. आज मिलेट्स और अन्य ऑर्गेनिक फार्मिंग प्रोडक्ट्स की मांग खूब बढ़ी है. कोरोना काल में मिलेट्स को लोगों ने बतौर इम्युनिटी बूस्टर की तरह इस्तेमाल किया है. ये मोटे अनाज कम पानी में भी बेहतरीन उपज देने वाले हैं और आज बाजार में भी इसकी मांग बढ़ रही है.
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कृषि में होलिस्टिक अप्रोच अपनाने की बात पर प्रधानमंत्री ने कहा कि आज मधुमक्खी पालन के जरिये शहद और बी वैक्स का उत्पादन कर किसान लाभान्वित हो सकते हैं. सी वीड से मछुआरों को आगे बढ़ाया जा सकता है.
रिसर्च केवल बीज तक सीमित न हो
उन्होंने कहा कि कृषि 'रिसर्च एंड डेवलपमेंट' में आज पब्लिक सेक्टर की भूमिका ही ज्यादा है, लेकिन आने वाले समय में इसमें प्राइवेट की भागीदारी भी बढ़े और रिसर्च केवल बीज तक ही सीमित न रहे.
कृषि बजट पर चर्चा में शामिल विशेषज्ञों के सुझाव को महत्वपूर्ण बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आने वाले एक साल में इस बजट का सफलतापूर्वक क्रियान्वयन किस प्रकार किया जाए, इस पर उनके सुझाव वांछित हैं. प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया कि यदि मौजूदा बजट में कुछ चीजें छूट गईं तो आने वाले बजट में उसको शामिल किया जाएगा.