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20 दिनों में पांच बार होगा पीएम मोदी और जिनपिंग का आमना-सामना

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Published : Nov 9, 2020, 8:23 PM IST

Updated : Nov 9, 2020, 9:06 PM IST

पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सेना के बीच चल रहे गतिरोध को लेकर विभिन्न स्तरों पर हुईं वार्ताओं के नाकाम होने के बाद अब दोनों देशों के शीर्ष नेताओं की मुलाकात होने की उम्मीद है. दोनों नेता अलग-अलग मंचों पर अगले 20 दिनों में पांच बार मुलाकात करेंगे. पढ़िए वरिष्ठ पत्रकार संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट...

डिजाइन फोटो
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नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में विभिन्न स्तरों पर हुई बातचीत की एक श्रृंखला की लगातार विफलताओं के बाद, दो एशियाई दिग्गजों के शीर्ष नेताओं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच होने वाली बातचीत से सीमा पर चल रहे तनाव के कम होने की उम्मीद है.

दोनों नेताओं के बीच होने वाली वार्ता को लेकर उम्मीद जताई जा रही कि वह दोनों देशों के बीच पैदा हुई खाई को पाटने में कामयाब होंगे. इसके लिए वे संभवत: अगले 20 दिनों में पांच बार के लिए अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर होने वाली चर्चा में भाग लेंगे, ताकि सीमा पर चल रहे तनाव के समाधान या सहजता के लिए कदम बढ़ाए जा सकें.

ईटीवी भारत ने महीनों पहले ही बताया था कि सीमा विवाद को लेकर लगातार विफल हो रही बैठकों के बाद इस मामले पर दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच वार्ता हो सकती है.

दोनों नेता ही वर्तमान में घरेलू लोकप्रियता की शिखर पर हैं और इस समस्या का समाधान कर सकते हैं.

इन पांच बैठकों में से पहली बैठक मंगलवार (10 नवंबर) को उस समय शुरू होगी, जब पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी आठ-सदस्यीय शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे.

बता दें कि संगठन की बैठक इस बार रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा आयोजित की जा रही है और भारत-चीन दोनों ही SCO के सदस्य हैं.

इसके अलावा दोनों नेताओं को 12-15 नवंबर से दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (ASEAN) शिखर सम्मेलन के दौरान विचार-विमर्श में भाग लेना है.

ASEAN की मेजबानी कर रहे वियतनाम ने इस बार बैठक में भाग लेने के लिए भारत को एक विशेष आमंत्रण दिया है, जबकि चीन इसमें सलाहकार समूह का हिस्सा है जो चीन, जापान और दक्षिण कोरिया के साथ ASEAN को साथ लाता है.

इसके बाद 17 नवंबर को मोदी और शी पांच सदस्यीय ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) शिखर सम्मेलन में एक बार फिर एक-दूसरे के सामने हो सकते हैं, जो रूस द्वारा आयोजित किया जा रहा है.

इतना ही नहीं दोनों नेता 21-22 नवंबर को, ग्रुप ऑफ ट्वेंटी (G20) में भी भाग लेंगे. G20, जो दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण, औद्योगिक और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं से मिलकर बनाया गया एक संगठन हैं.

पढ़ें - एलएसी विवाद : भारत-चीन के बीच सैन्य वार्ता का एक और दौर संभावित

भारत और चीन दोनों G 20 के सदस्य हैं, जबकि इस वर्ष इस बैठक की मेजबानी सऊदी अरब करेगा और अंत में 30 नवंबर को एक बार फिर मोदी और शी SCO काउंसिल ऑफ गवर्मेंट की बैठक में एक दूसरे के आमने-सामने होंगे. इस समारोह को इस बार भारत द्वारा होस्ट किया जा रहा है. हालांकि, इस बात की संभावना है कि दोनों नेता सीधे तौर पर एक-दूसरे से बातचीत नहीं कर सकते, लेकिन एक ही समय में एक ही कार्यक्रम में उपस्थित होने से बातचीत का एक अवसर मिल सकता है.

उल्लेखनीय है, 2018 में वुहान 'अनौपचारिक शिखर सम्मेलन' के बाद जब पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी के बीच बातचीत हुई थी. इसके बाद जून 2019 में भी SCO शिखर सम्मेलन के दौरान बिश्केक (किर्गिस्तान) में भी मोदी और शी ने अलग से एक द्विपक्षीय बैठक की थी. जहां एक 'अनौपचारिक' दौरे के लिए शी को आमंत्रण किया गया. इसके बाद शी जिनपिंग अक्टूबर 2019 में एक अनौपचारिक दौरा पर भारत आए.

नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में विभिन्न स्तरों पर हुई बातचीत की एक श्रृंखला की लगातार विफलताओं के बाद, दो एशियाई दिग्गजों के शीर्ष नेताओं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच होने वाली बातचीत से सीमा पर चल रहे तनाव के कम होने की उम्मीद है.

दोनों नेताओं के बीच होने वाली वार्ता को लेकर उम्मीद जताई जा रही कि वह दोनों देशों के बीच पैदा हुई खाई को पाटने में कामयाब होंगे. इसके लिए वे संभवत: अगले 20 दिनों में पांच बार के लिए अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर होने वाली चर्चा में भाग लेंगे, ताकि सीमा पर चल रहे तनाव के समाधान या सहजता के लिए कदम बढ़ाए जा सकें.

ईटीवी भारत ने महीनों पहले ही बताया था कि सीमा विवाद को लेकर लगातार विफल हो रही बैठकों के बाद इस मामले पर दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच वार्ता हो सकती है.

दोनों नेता ही वर्तमान में घरेलू लोकप्रियता की शिखर पर हैं और इस समस्या का समाधान कर सकते हैं.

इन पांच बैठकों में से पहली बैठक मंगलवार (10 नवंबर) को उस समय शुरू होगी, जब पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी आठ-सदस्यीय शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे.

बता दें कि संगठन की बैठक इस बार रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा आयोजित की जा रही है और भारत-चीन दोनों ही SCO के सदस्य हैं.

इसके अलावा दोनों नेताओं को 12-15 नवंबर से दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (ASEAN) शिखर सम्मेलन के दौरान विचार-विमर्श में भाग लेना है.

ASEAN की मेजबानी कर रहे वियतनाम ने इस बार बैठक में भाग लेने के लिए भारत को एक विशेष आमंत्रण दिया है, जबकि चीन इसमें सलाहकार समूह का हिस्सा है जो चीन, जापान और दक्षिण कोरिया के साथ ASEAN को साथ लाता है.

इसके बाद 17 नवंबर को मोदी और शी पांच सदस्यीय ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) शिखर सम्मेलन में एक बार फिर एक-दूसरे के सामने हो सकते हैं, जो रूस द्वारा आयोजित किया जा रहा है.

इतना ही नहीं दोनों नेता 21-22 नवंबर को, ग्रुप ऑफ ट्वेंटी (G20) में भी भाग लेंगे. G20, जो दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण, औद्योगिक और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं से मिलकर बनाया गया एक संगठन हैं.

पढ़ें - एलएसी विवाद : भारत-चीन के बीच सैन्य वार्ता का एक और दौर संभावित

भारत और चीन दोनों G 20 के सदस्य हैं, जबकि इस वर्ष इस बैठक की मेजबानी सऊदी अरब करेगा और अंत में 30 नवंबर को एक बार फिर मोदी और शी SCO काउंसिल ऑफ गवर्मेंट की बैठक में एक दूसरे के आमने-सामने होंगे. इस समारोह को इस बार भारत द्वारा होस्ट किया जा रहा है. हालांकि, इस बात की संभावना है कि दोनों नेता सीधे तौर पर एक-दूसरे से बातचीत नहीं कर सकते, लेकिन एक ही समय में एक ही कार्यक्रम में उपस्थित होने से बातचीत का एक अवसर मिल सकता है.

उल्लेखनीय है, 2018 में वुहान 'अनौपचारिक शिखर सम्मेलन' के बाद जब पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी के बीच बातचीत हुई थी. इसके बाद जून 2019 में भी SCO शिखर सम्मेलन के दौरान बिश्केक (किर्गिस्तान) में भी मोदी और शी ने अलग से एक द्विपक्षीय बैठक की थी. जहां एक 'अनौपचारिक' दौरे के लिए शी को आमंत्रण किया गया. इसके बाद शी जिनपिंग अक्टूबर 2019 में एक अनौपचारिक दौरा पर भारत आए.

Last Updated : Nov 9, 2020, 9:06 PM IST
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