नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को सिखों के पहले गुरु नानक देव के 552वें प्रकाश पर्व के अवसर पर गुजरात के कच्छ स्थित लखपत साहिब गुरुद्वारे में आयोजित गुरु पर्व समारोह को संबोधित किया.
इस दौरान पीएम मोदी ने कहा, गुरु नानक देव जी और उनके बाद हमारे अलग-अलग गुरुओं ने भारत की चेतना को तो प्रज्वलित तो रखा ही, भारत को भी सुरक्षित रखने का मार्ग बनाया. इसी तरह गुरु अरजन देव जी ने पूरे देश के संतों के सद्विचारों को पिरोया और पूरे देश को भी एकता के सूत्र में जोड़ दिया. दिल्ली के गुरुद्वारा बंगला साहब में उन्होंने दुखी लोगों का रोग निवारण कर मानवता का जो रास्ता दिखाया था, वो आज भी हर सिख और हर भारतवासी के लिए प्रेरणा है. कोरोना के कठिन समय में हमारे गुरुद्वारों ने जिस तरह सेवा की जिम्मेदारी उठाई, वो गुरु साहब की कृपा और उनके आदर्शों का ही प्रतीक है.
पीएम मोदी ने कहा, हमारे गुरुओं का योगदान केवल समाज और आध्यात्म तक ही सीमित नहीं है. बल्कि हमारा राष्ट्र, राष्ट्र का चिंतन, राष्ट्र की आस्था और अखंडता अगर आज सुरक्षित है, तो उसके भी मूल में सिख गुरुओं की महान तपस्या है. जिस तरह गुरु तेगबहादुर जी मानवता के प्रति अपने विचारों के लिए सदैव अडिग रहे, वो हमें भारत की आत्मा के दर्शन कराता है. जिस तरह देश ने उन्हें 'हिन्द की चादर' की पदवी दी, वो हमें सिख परंपरा के प्रति हर एक भारतवासी के जुड़ाव को दिखाता है.
उन्होंने कहा, औरंगजेब के खिलाफ गुरु तेग बहादुर का पराक्रम और उनका बलिदान हमें सिखाता है कि आतंक और मजहबी कट्टरता से देश कैसे लड़ता है. इसी तरह, दशम गुरु, गुरु गोबिन्द सिंह साहिब का जीवन भी पग-पग पर तप और बलिदान का एक जीता जागता उदाहरण है. अंग्रेजों के शासन में भी हमारे सिख भाइयों बहनों ने जिस वीरता के साथ देश की आजादी के लिए संघर्ष किया, हमारा आजादी का संग्राम, जलियांवाला बाग की वो धरती, आज भी उन बलिदानों की साक्षी है.
उन्होंने कहा, गुरुद्वारा लखपत साहिब समय की हर गति का साक्षी रहा है. आज जब मैं इस पवित्र स्थान से जुड़ रहा हूं तो मुझे याद आ रहा है कि अतीत में लखपत साहब ने कैसे कैसे झंझावतों को देखा है. 2001 के भूकंप के बाद मुझे गुरु कृपा से इस पवित्र स्थान की सेवा करने का सौभाग्य मिला था. मुझे याद है, तब देश के अलग-अलग हिस्सों से आए शिल्पियों ने इस स्थान के मौलिक गौरव को संरक्षित किया.
उन्होंने कहा, गुरु नानकदेव जी का संदेश पूरी दुनिया तक नई ऊर्जा के साथ पहुंचे, इसके लिए हर स्तर पर प्रयास किए गए. दशकों से जिस करतारपुर साहिब कॉरिडोर की प्रतीक्षा थी, 2019 में हमारी सरकार ने ही उसके निर्माण का काम पूरा किया. अभी हाल ही में हम अफगानिस्तान से स-सम्मान गुरु ग्रंथ साहिब के स्वरूपों को भारत लाने में सफल रहे हैं. गुरु कृपा का इससे बड़ा अनुभव किसी के लिए और क्या हो सकता है?
पीएम मोदी ने कहा, कुछ महीने पहले जब मैं अमेरिका गया था, तो वहां अमेरिका ने भारत को 150 से ज्यादा ऐतिहासिक वस्तुएं लौटाईं. इसमें से एक पेशकब्ज या छोटी तलवार भी है, जिस पर फारसी में गुरु हरगोबिंद जी का नाम लिखा है. यानि ये वापस लाने का सौभाग्य भी हमारी ही सरकार को मिला. ये गुजरात के लिए हमेशा गौरव की बात रही है कि खालसा पंथ की स्थापना में अहम भूमिका निभाने वाले पंज प्यारों में से चौथे गुरसिख, भाई मोकहम सिंह जी गुजरात के ही थे. देवभूमि द्वारका में उनकी स्मृति में गुरुद्वारा बेट द्वारका भाई मोहकम सिंह का निर्माण हुआ है.
उन्होंने कहा, आज देश सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के मंत्र पर आगे बढ़ रहा है. इस मंत्र के साथ आज देश सबका प्रयास को अपनी ताकत बना रहा है. कश्मीर से कन्याकुमारी तक, कच्छ से कोहिमा तक, पूरा देश एक साथ सपने देख रहा है, एक साथ उनकी सिद्धि के लिए प्रयास कर रहा है. आज देश का मंत्र है- एक भारत, श्रेष्ठ भारत. आज देश का लक्ष्य है- एक नए समर्थ भारत का पुनरोदय. आज देश की नीति है- हर गरीब की सेवा, हर वंचित को प्राथमिकता.
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बता दें कि हर साल 23 दिसंबर से 25 दिसंबर तक गुजरात के सिख लखपत साहिब गुरुद्वारे में गुरु नानक देव जी का गुरु पर्व मनाते हैं.
गुरु नानक देव लखपत गुरुद्वारा साहिब में रुके थे. गुरुद्वारा लखपत साहिब में उनकी कुछ वस्तुयें रखी हुई हैं, जिनमें खड़ाऊं, पालकी और पांडुलिपियां शामिल हैं. कुछ पांडुलिपियां गुरुमुखी लिपि में हैं.
वर्ष 2001 में आए भूकंप से इस गुरूद्वारे को भी नुकसान पहुंचा था. गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मोदी ने बाद में इसका जीर्णोद्धार कराया था.