नई दिल्ली : अफगानिस्तान संकट पर जी-20 बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया कि अफगानिस्तान का क्षेत्र कट्टरपंथ और आतंकवाद का स्रोत न बने. उन्होंने कट्टरपंथ, आतंकवाद और मादक पदार्थों की तस्करी के गठजोड़ के खिलाफ संयुक्त लड़ाई का आह्वान किया.
प्रधानमंत्री मोदी ने अफगानिस्तान में समावेशी प्रशासन का आह्वान किया जिसमें महिलाओं व अल्पसंख्यकों का भी प्रतिनिधित्व हो. उन्होंने अफगानिस्तान पर एकीकृत प्रतिक्रिया के लिये अंतरराष्ट्रीय समुदाय का आह्वान किया. साथ ही अफगान नागरिकों के लिये तत्काल व निर्बाध मानवीय सहायता का आह्वान किया.
विदेश मंत्रालय के अनुसार अफगानिस्तान पर जी20 शिखर सम्मेलन में डिजिटल संबोधन में मोदी ने अफगान नागरिकों को तत्काल तथा निर्बाध मानवीय सहायता पहुंचाने पर भी जोर दिया और उस देश में समावेशी प्रशासन की जरूरत को रेखांकित किया.
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव 2593 पर आधारित एकीकृत अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई अफगानिस्तान में हालात को सुधारने के लिए जरूरी है.
मोदी ने ट्वीट किया, अफगानिस्तान पर जी20 के शिखर सम्मेलन में भाग लिया. अफगान क्षेत्र को चरमपंथ तथा आतंकवाद के स्रोत बनने से रोकने पर जोर दिया. अफगान नागरिकों को तत्काल और निर्बाध मानवीय सहायता पहुंचाने तथा समावेशी प्रशासन के लिए भी आह्वान किया.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की भारत की अध्यक्षता के तहत 30 अगस्त को अपनाये गये प्रस्ताव में अफगानिस्तान में मानवाधिकारों को कायम करने की जरूरत के बारे में उल्लेख है. इसमें आह्वान किया गया है कि अफगान क्षेत्र का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए नहीं होना चाहिए और संकट के समाधान के लिए बातचीत कर राजनीतिक समाधान निकाला जाना चाहिए.
विदेश मंत्रालय के अनुसार मोदी ने कहा कि भूख और कुपोषण का सामना कर रही अफगान जनता की पीड़ा को हर भारतीय समझता है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सुनिश्चित करना चाहिए कि अफगानिस्तान को तत्काल और निर्बाध मानवीय सहायता मिले.
उसने एक बयान में कहा, प्रधानमंत्री ने यह सुनिश्चित करने की जरूरत को भी रेखांकित किया कि अफगान क्षेत्र क्षेत्रीय या वैश्विक रूप से चरमपंथ और आतंकवाद का स्रोत नहीं बने.
विदेश मंत्रालय के मुताबिक मोदी ने क्षेत्र में चरमपंथ, आतंकवाद और मादक पदार्थों तथा हथियारों की तस्करी करने वाले अपराधियों के खिलाफ संयुक्त लड़ाई को तेज करने की भी वकालत की.
उसने कहा, पिछले 20 साल के सामाजिक-आर्थिक फायदों को संरक्षित रखने के मकसद से तथा चरमपंथी विचारधारा के प्रसार को पाबंद करने के लिए प्रधानमंत्री ने अफगानिस्तान में समावेशी प्रशासन की वकालत की जिसमें महिलाएं और अल्पसंख्यक शामिल हों.
सम्मेलन का आयोजन इटली ने किया था जो जी20 का मौजूदा अध्यक्ष है जिसमें दुनिया की 20 बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं.
विदेश मंत्रालय ने कहा, उन्होंने अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र की महत्वपूर्ण भूमिका के लिए समर्थन जताया और अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2593 में समाहित संदेश के लिए जी20 के नये सिरे से समर्थन का आह्वान किया.
उसने कहा कि मोदी ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से एकीकृत वैश्विक कार्रवाई का आह्वान किया जिसके बिना अफगानिस्तान के हालात में अपेक्षित बदलाव लाना मुश्किल होगा.
मंत्रालय के अनुसार मोदी ने कहा कि अफगान जनता में भारत के लिए मित्रता की महती भावना है और हर भारतीय भूख तथा कुपोषण का सामना कर रही अफगान जनता की पीड़ा को महसूस करता है.
मोदी ने अपने बयान में अफगानिस्तान में मौजूदा हालात की समीक्षा करने के लिए बैठक आयोजित करने में इटली की अध्यक्षता में जी20 की पहल का स्वागत किया.
विदेश मंत्रालय ने कहा कि मोदी ने भारत और अफगानिस्तान की जनता के बीच सदियों पुराने संबंधों को रेखांकित किया. उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया कि भारत ने पिछले दो दशक में अफगानिस्तान में युवाओं और महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक विकास तथा क्षमता निर्माण को बढ़ाने में योगदान दिया है.
विदेश मंत्रालय ने कहा, उन्होंने याद किया कि भारत ने अफगानिस्तान में 500 से अधिक विकास परियोजनाओं को लागू किया है.’’
सम्मेलन के अध्यक्ष इटली के प्रधानमंत्री मारियो द्राघी थे.