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Akbar In G20 Booklet: कृपया हमें असली 'मन की बात' बताइए, सिब्बल का जी20 पुस्तिका में अकबर की प्रशंसा पर सरकार पर तंज

जी20 की एक पुस्तिका में अकबर की प्रशंसा पर राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल (Rajya Sabha MP Kapil Sibal) ने सरकार पर तंज कसा है. इसको लेकर सिब्बल ने एक्स पर अपनी पोस्ट करते हुए कहा कि कृपया करके हमें असली मन की बात बताइए.

Rajya Sabha MP Kapil Sibal
राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल
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By PTI

Published : Sep 13, 2023, 2:59 PM IST

नई दिल्ली : राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल (Rajya Sabha MP Kapil Sibal) ने जी20 की एक पुस्तिका में मुगल बादशाह अकबर की प्रशंसा किए जाने पर सरकार पर बुधवार को तंज किया कि उसका एक चेहरा दुनिया को दिखाने के लिए है और दूसरा 'इंडिया के लिए है,जो कि भारत है.' सिब्बल ने 'भारत: द मदर ऑफ डेमोक्रेसी' शीर्षक वाली जी20 की एक पुस्तिका का जिक्र किया. 38 पन्नों वाली इस पुस्तिका में अकबर के बारे में विवरण है.

  • G20 Magazine :
    Government hails Mughal emperor Akbar as proponent of peace and democracy !

    One face :
    For the world
    Another :
    For India that is Bharat !

    Please inform us about the real mann ki baat !

    — Kapil Sibal (@KapilSibal) September 13, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

इस पुस्तिका में कहा गया है, 'सुशासन में सबका कल्याण समाहित होना चाहिए ,फिर चाहे वह किसी भी धर्म का हो. इस तरह का लोकतंत्र मुगल बादशाह अकबर के वक्त था.' सिब्बल ने इस पर सरकार पर तंज करते हुए सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर अपने पोस्ट में कहा, 'जी20 पुस्तिका: सरकार ने मुगल बादशाह अकबर की शांति और लोकतंत्र के प्रणेता के तौर पर प्रशंसा की है. एक चेहरा: दुनिया के लिए, दूसरा चेहरा: इंडिया के लिए जो कि भारत है. कृपया करके हमें असली मन की बात बताइए.'

इस पुस्तिका में कहा गया कि अकबर ने 'धार्मिक भेदभाव से निपटने के लिए 'सुल्ह-ए-कुली' अर्थात वैश्विक शांति का सिद्धांत पेश किया.' पुस्तिका में कहा गया, 'सौहार्दपूर्ण समाज के निर्माण के लिए उन्होंने एक नए समन्वयपूर्ण धर्म 'दीन-ए-इलाही' की परिकल्पना पेश की. उन्होंने 'इबादतखाना (प्रार्थना का स्थान)' की भी स्थापना की,जहां विभिन्न संप्रदाय के बुद्धिमान लोग मिलते थे और चर्चा करते थे.'

पुस्तिका में कहा गया, 'नौ अति बुद्धिमान लोग जिन्हें नवरत्न कहा जाता था अकबर के परामर्शदाताओं के तौर पर काम करते थे और उनकी जनकेन्द्रित नीतियों के क्रियान्वयन का जिम्मा संभालते थे.' पुस्तिका के अनुसार, 'अकबर की लोकतंत्र की यह सोच असाधारण थी और अपने वक्त से काफी आगे थी.'

ये भी पढ़ें - बीएनएस विधेयक को लेकर सिब्बल ने साधा निशाना, बोले- 'तानाशाही' थोपना चाहती है सरकार

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल (Rajya Sabha MP Kapil Sibal) ने जी20 की एक पुस्तिका में मुगल बादशाह अकबर की प्रशंसा किए जाने पर सरकार पर बुधवार को तंज किया कि उसका एक चेहरा दुनिया को दिखाने के लिए है और दूसरा 'इंडिया के लिए है,जो कि भारत है.' सिब्बल ने 'भारत: द मदर ऑफ डेमोक्रेसी' शीर्षक वाली जी20 की एक पुस्तिका का जिक्र किया. 38 पन्नों वाली इस पुस्तिका में अकबर के बारे में विवरण है.

  • G20 Magazine :
    Government hails Mughal emperor Akbar as proponent of peace and democracy !

    One face :
    For the world
    Another :
    For India that is Bharat !

    Please inform us about the real mann ki baat !

    — Kapil Sibal (@KapilSibal) September 13, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

इस पुस्तिका में कहा गया है, 'सुशासन में सबका कल्याण समाहित होना चाहिए ,फिर चाहे वह किसी भी धर्म का हो. इस तरह का लोकतंत्र मुगल बादशाह अकबर के वक्त था.' सिब्बल ने इस पर सरकार पर तंज करते हुए सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर अपने पोस्ट में कहा, 'जी20 पुस्तिका: सरकार ने मुगल बादशाह अकबर की शांति और लोकतंत्र के प्रणेता के तौर पर प्रशंसा की है. एक चेहरा: दुनिया के लिए, दूसरा चेहरा: इंडिया के लिए जो कि भारत है. कृपया करके हमें असली मन की बात बताइए.'

इस पुस्तिका में कहा गया कि अकबर ने 'धार्मिक भेदभाव से निपटने के लिए 'सुल्ह-ए-कुली' अर्थात वैश्विक शांति का सिद्धांत पेश किया.' पुस्तिका में कहा गया, 'सौहार्दपूर्ण समाज के निर्माण के लिए उन्होंने एक नए समन्वयपूर्ण धर्म 'दीन-ए-इलाही' की परिकल्पना पेश की. उन्होंने 'इबादतखाना (प्रार्थना का स्थान)' की भी स्थापना की,जहां विभिन्न संप्रदाय के बुद्धिमान लोग मिलते थे और चर्चा करते थे.'

पुस्तिका में कहा गया, 'नौ अति बुद्धिमान लोग जिन्हें नवरत्न कहा जाता था अकबर के परामर्शदाताओं के तौर पर काम करते थे और उनकी जनकेन्द्रित नीतियों के क्रियान्वयन का जिम्मा संभालते थे.' पुस्तिका के अनुसार, 'अकबर की लोकतंत्र की यह सोच असाधारण थी और अपने वक्त से काफी आगे थी.'

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(पीटीआई-भाषा)

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