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सिख विरोधी दंगों के दौरान बेटे की मौत की घोषणा किए जाने संबंधी याचिका खारिज

1984 के सिख विरोधी दंगों (anti Sikh riot) के दौरान लापता हुए व्यक्ति को मृत घोषित करने का आग्रह करने वाली याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी है. जानिए क्या है पूरा मामला.

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Published : Nov 19, 2021, 8:29 PM IST

याचिका खारिज
याचिका खारिज

नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगों (anti Sikh riot) के दौरान लापता हुए एक व्यक्ति को मृत घोषित करने और उसका मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने का आग्रह करने वाली याचिका खारिज कर दी है.

संबंधित मामले में 80 वर्षीय एक व्यक्ति ने यह दावा करते हुए अदालत का रुख किया था कि उनका बेटा अजीत सिंह 'मोटर पार्ट्स' खरीदने के लिए अक्टूबर 1984 के अंतिम सप्ताह में दिल्ली के कश्मीरी गेट पहुंचा था, लेकिन वह उस साल नवंबर के पहले सप्ताह में सिख विरोधी दंगे भड़कने के बाद लापता हो गया.

जम्मू-कश्मीर के निवासी एम सिंह ने अपने लापता बेटे को मृत घोषित करने और उत्तरी दिल्ली नगर निगम के जन्म एवं मृत्यु पंजीयक को मृत्यु प्रमाणपत्र (death certificate) जारी करने का निर्देश दिए जाने का आग्रह करते हुए दीवानी वाद दायर किया था.

वाद को खारिज करते हुए, दीवानी न्यायाधीश हेली फर कौर ने कहा कि रिकॉर्ड में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो यह दर्शाता हो कि अजीत सिंह अक्टूबर 1984 के अंतिम सप्ताह में दिल्ली आया था.

दीवानी न्यायाधीश ने 18 नवंबर के अपने आदेश में कहा, 'अंतिम दलीलों के दौरान अदालत द्वारा कहे जाने के बावजूद वादी ने अजीत सिंह का न तो कोई परिचय साक्ष्य और न ही किसी तरह का दस्तावेज पेश किया, जो अदालत को उसकी पहचान और अस्तित्व के बारे में उचित रूप से संतुष्ट कर सके.'

पढ़ें- 1984 दंगे : जिन्होंने गंवाई जान, उनकी याद में बनाया गया म्यूजिम, जानिए इसकी खासियत

न्यायाधीश ने कहा कि कोई गुमशुदगी रिपोर्ट उपलब्ध नहीं है क्योंकि पुलिस ने इसे दर्ज करने से इनकार कर दिया और दिल्ली प्रशासन के पास दर्ज कराई गई रिपोर्ट एम सिंह ने खो दी. उन्होंने कहा कि अदालत के समक्ष वाद में अजीत को एम सिंह का सबसे बड़ा बेटा बताया गया है, जबकि प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में उसे छोटा बेटा बताया गया है. 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख दंगे भड़क उठे थे.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगों (anti Sikh riot) के दौरान लापता हुए एक व्यक्ति को मृत घोषित करने और उसका मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने का आग्रह करने वाली याचिका खारिज कर दी है.

संबंधित मामले में 80 वर्षीय एक व्यक्ति ने यह दावा करते हुए अदालत का रुख किया था कि उनका बेटा अजीत सिंह 'मोटर पार्ट्स' खरीदने के लिए अक्टूबर 1984 के अंतिम सप्ताह में दिल्ली के कश्मीरी गेट पहुंचा था, लेकिन वह उस साल नवंबर के पहले सप्ताह में सिख विरोधी दंगे भड़कने के बाद लापता हो गया.

जम्मू-कश्मीर के निवासी एम सिंह ने अपने लापता बेटे को मृत घोषित करने और उत्तरी दिल्ली नगर निगम के जन्म एवं मृत्यु पंजीयक को मृत्यु प्रमाणपत्र (death certificate) जारी करने का निर्देश दिए जाने का आग्रह करते हुए दीवानी वाद दायर किया था.

वाद को खारिज करते हुए, दीवानी न्यायाधीश हेली फर कौर ने कहा कि रिकॉर्ड में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो यह दर्शाता हो कि अजीत सिंह अक्टूबर 1984 के अंतिम सप्ताह में दिल्ली आया था.

दीवानी न्यायाधीश ने 18 नवंबर के अपने आदेश में कहा, 'अंतिम दलीलों के दौरान अदालत द्वारा कहे जाने के बावजूद वादी ने अजीत सिंह का न तो कोई परिचय साक्ष्य और न ही किसी तरह का दस्तावेज पेश किया, जो अदालत को उसकी पहचान और अस्तित्व के बारे में उचित रूप से संतुष्ट कर सके.'

पढ़ें- 1984 दंगे : जिन्होंने गंवाई जान, उनकी याद में बनाया गया म्यूजिम, जानिए इसकी खासियत

न्यायाधीश ने कहा कि कोई गुमशुदगी रिपोर्ट उपलब्ध नहीं है क्योंकि पुलिस ने इसे दर्ज करने से इनकार कर दिया और दिल्ली प्रशासन के पास दर्ज कराई गई रिपोर्ट एम सिंह ने खो दी. उन्होंने कहा कि अदालत के समक्ष वाद में अजीत को एम सिंह का सबसे बड़ा बेटा बताया गया है, जबकि प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में उसे छोटा बेटा बताया गया है. 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख दंगे भड़क उठे थे.

(पीटीआई-भाषा)

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