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कालाधन, बेनामी संपत्ति जब्त करने की व्यवहार्यता का पता लगाने को याचिका दायर

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर रिश्वतखोरी, काला धन रखने, बेनामी संपत्ति रखने, कर चोरी, काले धन को अवैध तरीके से सफेद में बदलने, कालाबाजारी और धोखाधड़ी जैसे अपराधों के लिए उम्रकैद की सजा की मांग की गई है.

supreme court
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Published : Nov 15, 2020, 9:57 PM IST

नई दिल्ली : बेनामी संपत्तियों और आय से अधिक संपत्तियों के जब्त करने की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए केंद्र को निर्देश देने के अनुरोध वाली याचिका उच्चतम न्यायालय में दाखिल की गई.

आने वाले दिनों में याचिका पर सुनवाई होने की संभावना है. इसमें रिश्वतखोरी, काला धन रखने, बेनामी संपत्ति रखने, कर चोरी करने, काले धन को अवैध तरीके से सफेद में बदलने, जमाखोरी, खाद्य मिलावट, मानव और मादक पदार्थों की तस्करी, कालाबाजारी और धोखाधड़ी जैसे अपराधों के लिए उम्रकैद की सजा की मांग की गई है.

भ्रष्टाचार मामले में 80वें नंबर पर है भारत

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने इस साल भ्रष्टाचार दृष्टिकोण सूचकांक में भारत को 80वें स्थान पर रखा है. इसी को ध्यान में रखकर वकील अश्विनी कुमार दुबे के माध्यम से दाखिल याचिका में कहा गया, 'संविधान के अनुच्छेद 21 में सम्मान से खुशहाल जीवन जीने का अधिकार दिया गया है, लेकिन व्यापक भ्रष्टाचार की वजह से प्रसन्नता सूचकांक में हमारी रैंकिंग बहुत निम्न है.'

इसमें दावा किया गया है कि भ्रष्टाचार का जीवन, स्वतंत्रता, सम्मान के अधिकार पर विनाशकारी प्रभाव होता है और यह सामाजिक और आर्थिक न्याय, भाईचारे, लोगों के सम्मान, एकता और राष्ट्रीय अखंडता को बुरी तरह प्रभावित करता है. इस तरह यह अनुच्छेदों 14 और 21 के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन है.

पढ़ें-कुणाल कामरा के खिलाफ चलेगा सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का केस

नई दिल्ली : बेनामी संपत्तियों और आय से अधिक संपत्तियों के जब्त करने की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए केंद्र को निर्देश देने के अनुरोध वाली याचिका उच्चतम न्यायालय में दाखिल की गई.

आने वाले दिनों में याचिका पर सुनवाई होने की संभावना है. इसमें रिश्वतखोरी, काला धन रखने, बेनामी संपत्ति रखने, कर चोरी करने, काले धन को अवैध तरीके से सफेद में बदलने, जमाखोरी, खाद्य मिलावट, मानव और मादक पदार्थों की तस्करी, कालाबाजारी और धोखाधड़ी जैसे अपराधों के लिए उम्रकैद की सजा की मांग की गई है.

भ्रष्टाचार मामले में 80वें नंबर पर है भारत

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने इस साल भ्रष्टाचार दृष्टिकोण सूचकांक में भारत को 80वें स्थान पर रखा है. इसी को ध्यान में रखकर वकील अश्विनी कुमार दुबे के माध्यम से दाखिल याचिका में कहा गया, 'संविधान के अनुच्छेद 21 में सम्मान से खुशहाल जीवन जीने का अधिकार दिया गया है, लेकिन व्यापक भ्रष्टाचार की वजह से प्रसन्नता सूचकांक में हमारी रैंकिंग बहुत निम्न है.'

इसमें दावा किया गया है कि भ्रष्टाचार का जीवन, स्वतंत्रता, सम्मान के अधिकार पर विनाशकारी प्रभाव होता है और यह सामाजिक और आर्थिक न्याय, भाईचारे, लोगों के सम्मान, एकता और राष्ट्रीय अखंडता को बुरी तरह प्रभावित करता है. इस तरह यह अनुच्छेदों 14 और 21 के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन है.

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