नई दिल्ली : फूड पैकेटों पर स्वास्थ्य चेतावनी और स्वास्थ्य स्टार रेटिंग मुद्रित कराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है. इस याचिका में केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए नियम बनाने का निर्देश देने की मांग की गई है. साथ ही फूड पैकेटों पर स्वास्थ्य चेतावनी और स्वास्थ्य स्टार रेटिंग मुद्रित कराने और खाद्य उत्पादक उद्योगों द्वारा स्वास्थ्य प्रभाव मूल्यांकन को अनिवार्य कराए जाने की बात कही गई है.
ये याचिका भाजपा नेता तथा अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है जिन्होंने तर्क दिया कि पैकेड सामानों की पोषक सीमा WHO की सिफारिशों के अनुरूप नहीं है. साथ ही सरकार ने इसके खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया है. याचिकाकर्ता ने इसे अनुच्छेद 21 के तहत स्वास्थ्य के अधिकार का उल्लंघन करार देते हुए कहा कि कुपोषण के साथ-साथ स्ट्रोक, कैंसर, मधुमेह आदि रोगों को रोकने के लिए स्वस्थ आहार जरूरी है.
पढ़ें : गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने वाली अधिसूचना CAA से अलग, सुप्रीम कोर्ट में केंद्र
याचिकाकर्ता ने कहा कि FSSAI न तो स्वास्थ्य प्रभाव आकलन करता है और न ही हेल्थ स्टार रेटिंग प्रणाली पेश करता है. इसलिए नागरिकों को ऊर्जा, वसा, शर्करा और कम फाइबर युक्त वाले आहार लेने को मजबूर है. जबकि WHO फाइबर युक्त भोजन खाने, संतृप्त वसा, ट्रांस फैट, सीमित चीनी और नमक (5 ग्राम से कम) का सेवन सीमित करने की सलाह देता है.
याचिका के अनुसार, भारत में 60% मौतें ऐसे जीवनशैली के कारण होती हैं, जिसमें समस्याग्रस्त वर्किंग ऑवर और जंक फूड का सेवन शामिल होता है.
ऐसे में याचिका में FSSAI को वसा, नमक और चीनी के सेवन पर WHO की सिफारिशों पर विचार करने और तीन महीने के भीतर एक व्यापक रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है.