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PIB new directives : एडिटर्स गिल्ड ने कहा- आलोचनात्मक रिपोर्टिंग रोकना है सरकार का इरादा

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (Editors Guild of India) ने पत्र सूचना ब्यूरो (Press Information Bureau) की ओर से पत्रकारों की मान्यता के लिए जारी नए दिशानिर्देशों (PIB's new directives) पर रविवार को अपनी आपत्तियां दर्ज (register objections) कराई. बयान में कहा गया है कि यह बहुत ही विचित्र बात है कि केवल आरोपित होने पर भी मान्यता रद्द करने के नियम का उल्लेख किया गया है.

PIB's new directives
एडिटर्स गिल्ड बोला
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Published : Feb 20, 2022, 9:54 PM IST

नई दिल्ली: एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (Editors Guild of India) ने पत्र सूचना ब्यूरो (Press Information Bureau) की ओर से पत्रकारों की मान्यता के लिए जारी नए दिशानिर्देशों (PIB's new directives) पर रविवार को अपनी आपत्तियां दर्ज (register objections) कराते हुए कहा कि ये अस्पष्ट, मनमाने और कठोर निर्देश (Vague, Arbitrary And Rigid Instructions) सरकारी मामलों की आलोचनात्मक और खोजी रिपोर्टिंग को प्रतिबंधित (Restricting Critical And Investigative Reporting Of Government affairs) करने के इरादे से जारी किये गये हैं.

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने जारी दिशानिर्देशों को वापस लेने की मांग करते हुए पीआईबी (Press Information Bureau) से अपील की है कि वह संशोधित दिशानिर्देश के लिए सभी हितधारकों के साथ 'सार्थक विमर्श' करे.

पढ़ेंः एडिटर्स गिल्ड ने पेगासस फोन टैपिंग आरोपों की SC की निगरानी में जांच की मांग की

बयान में कहा गया है कि एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया भारत के प्रेस सूचना ब्यूरो द्वारा जारी किए गए नए केंद्रीय मीडिया प्रत्यायन दिशानिर्देशों (Central Media Accreditation Guidelines) को लेकर गंभीर रूप से चिंतित है. जो भारत सरकार (Government Of India) के मुख्यालय तक पहुंचने और रिपोर्ट करने के लिए पत्रकारों को मान्यता देने के वास्ते नियम निर्धारित करता है.

बयान में कहा गया है कि नए दिशानिर्देशों में कई नए प्रावधान शामिल हैं जिनके तहत एक पत्रकार की मान्यता 'मनमाने और बगैर कोई कानूनी प्रक्रिया अपनाये' रद्द की जा सकती है. बयान में कहा गया है कि यह बहुत ही विचित्र बात है कि केवल आरोपित होने पर भी मान्यता रद्द करने के नियम का उल्लेख किया गया है.

बयान में यह भी कहा गया है कि यह तो और भी खराब बात है कि संबंधित पत्रकारों को अपना पक्ष रखने का मौका भी नहीं दिया जाएगा. गिल्ड ने आगे कहा कि बहुत ही आश्चर्य की बात है कि मान्यता रद्द करने के कारणों में 'मानहानि' को भी शामिल किया गया है. गिल्ड ने कहा है कि बहुत सारे प्रावधान ऐसे हैं जो 'प्रतिबंधात्मक' हैं. बयान में कहा गया है कि गिल्ड ने पीआईबी को पत्र लिखकर इन मुद्दों को विस्तारपूर्वक उसमें समाहित किया है.

नई दिल्ली: एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (Editors Guild of India) ने पत्र सूचना ब्यूरो (Press Information Bureau) की ओर से पत्रकारों की मान्यता के लिए जारी नए दिशानिर्देशों (PIB's new directives) पर रविवार को अपनी आपत्तियां दर्ज (register objections) कराते हुए कहा कि ये अस्पष्ट, मनमाने और कठोर निर्देश (Vague, Arbitrary And Rigid Instructions) सरकारी मामलों की आलोचनात्मक और खोजी रिपोर्टिंग को प्रतिबंधित (Restricting Critical And Investigative Reporting Of Government affairs) करने के इरादे से जारी किये गये हैं.

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने जारी दिशानिर्देशों को वापस लेने की मांग करते हुए पीआईबी (Press Information Bureau) से अपील की है कि वह संशोधित दिशानिर्देश के लिए सभी हितधारकों के साथ 'सार्थक विमर्श' करे.

पढ़ेंः एडिटर्स गिल्ड ने पेगासस फोन टैपिंग आरोपों की SC की निगरानी में जांच की मांग की

बयान में कहा गया है कि एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया भारत के प्रेस सूचना ब्यूरो द्वारा जारी किए गए नए केंद्रीय मीडिया प्रत्यायन दिशानिर्देशों (Central Media Accreditation Guidelines) को लेकर गंभीर रूप से चिंतित है. जो भारत सरकार (Government Of India) के मुख्यालय तक पहुंचने और रिपोर्ट करने के लिए पत्रकारों को मान्यता देने के वास्ते नियम निर्धारित करता है.

बयान में कहा गया है कि नए दिशानिर्देशों में कई नए प्रावधान शामिल हैं जिनके तहत एक पत्रकार की मान्यता 'मनमाने और बगैर कोई कानूनी प्रक्रिया अपनाये' रद्द की जा सकती है. बयान में कहा गया है कि यह बहुत ही विचित्र बात है कि केवल आरोपित होने पर भी मान्यता रद्द करने के नियम का उल्लेख किया गया है.

बयान में यह भी कहा गया है कि यह तो और भी खराब बात है कि संबंधित पत्रकारों को अपना पक्ष रखने का मौका भी नहीं दिया जाएगा. गिल्ड ने आगे कहा कि बहुत ही आश्चर्य की बात है कि मान्यता रद्द करने के कारणों में 'मानहानि' को भी शामिल किया गया है. गिल्ड ने कहा है कि बहुत सारे प्रावधान ऐसे हैं जो 'प्रतिबंधात्मक' हैं. बयान में कहा गया है कि गिल्ड ने पीआईबी को पत्र लिखकर इन मुद्दों को विस्तारपूर्वक उसमें समाहित किया है.

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