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PFI ने विशेष विंग के जरिए सुरक्षा गतिविधियों पर रखी नजर : एनआईए जांच

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Published : Sep 27, 2022, 6:39 PM IST

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर देश भर में कार्रवाई हुई है. उसके नेताओं और सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है जिनसे एऩआईए पूछताछ कर रही है. इस दौरान बड़े खुलासे भी हो रहे हैं. संगठन ने ऐसा विंग बना रखा था, जो सुरक्षा गतिविधियों पर नजर रखता था. यही नहीं संगठन की हिटलिस्ट में भाजपा और संघ नेताओं के नाम थे, जिन्हें निशाना बनाया जाना था. ईटीवी के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट.

nia interrogation pfi terror module
एनआईए जांच

नई दिल्ली: आतंकी फंडिंग मामले में देशव्यापी कार्रवाई के दौरान पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के नेताओं को गुरुवार को गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तार किए गए पीएफआई नेताओं और सदस्यों से एनआईए पूछताछ कर रही है (nia interrogation). इसमें बड़े खुलासे भी हो रहे हैं. पूछताछ से पता चला है कि संगठन ने सुरक्षा एजेंसियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए 'विशेष विंग' का गठन किया था (PFI monitored security movements).

खुफिया एजेंसी का मानना है कि यह (विशेष विंग) एक प्रमुख कारण हो सकता है कि संगठन को छापे या तलाशी अभियान की सूचना पहले से ही मिल जाती थी. दरअसल, पिछले हफ्ते पीएफआई के खिलाफ देशव्यापी कार्रवाई से पहले सुरक्षा एजेंसियों ने पीएफआई के ठिकाने से नकदी के साथ-साथ हथियार और गोला-बारूद बरामद होने की आशंका जताई थी. लेकिन डिजिटल उपकरणों और आपत्तिजनक दस्तावेजों की बरामदगी के अलावा ज्यादा कुछ नहीं मिला.

पूछताछ की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने 'ईटीवी भारत' को बताया, 'पीएफआई नेताओं से पूछताछ से पता चला है कि उन्होंने सुरक्षा एजेंसियों की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए दो से तीन सदस्यों वाले विशेष विंग (special wing) का गठन किया था.' पीएफआई ने देश भर के विभिन्न जिलों में ऐसे विंग बनाए थे जहां संगठन की शाखाएं हैं. पहले भी जब पीएफआई के खिलाफ इस तरह के छापे मारे गए थे तो इतनी बड़ी बरामदगी नहीं हुई थी.

हालांकि खुफिया रिपोर्टों से पता चलता है कि संगठन आतंकवादी गतिविधियों में शामिल था. भोले-भाले युवाओं की भर्ती के साथ-साथ आतंकवाद के वित्तपोषण का काम भी हो रहा था. सुरक्षा एजेंसियों के लिए पीएफआई के खिलाफ मजबूत मामला बनाने के लिए ठोस सबूतों की कमी एक प्रमुख मुद्दा था. इससे पहले एक मौके पर एनआईए ने गृह मंत्रालय से पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की थी. हालांकि, संगठन के खिलाफ पूरे भारत से मजबूत और ठोस दस्तावेजों और सबूतों की कमी के कारण गृह मंत्रालय ने ऐसा नहीं किया था.

हिट लिस्ट में थे भाजपा-संघ नेता : पूछताछ में खुलासा हुआ कि पीएफआई ने बीजेपी और आरएसएस के शीर्ष नेताओं के नामों को शामिल करते हुए एक 'हिटलिस्ट' बनाई थी और आने वाले दिनों में उन्हें निशाना बनाया जाना था.

PFI का गठन 2007 में किया गया था. पीएफआई का गठन तीन मुस्लिम संगठनों नेशनल डेमोक्रेट्स फ्रंट ऑफ केरल, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु में मनिथा नीति पसाराई के विलय के बाद किया गया है. संगठन का दावा है कि वह समाज में अल्पसंख्यक समुदाय के उत्थान के लिए काम कर रहा है.

पढ़ें- PFI पर प्रतिबंध लगाने को लेकर गृह मंत्रालय कर रहा उच्च स्तरीय परामर्श

पढ़ें - देश के 11 राज्यों में NIA और ED की रेड, PFI से जुड़े 106 से ज्यादा लोग गिरफ्तार

नई दिल्ली: आतंकी फंडिंग मामले में देशव्यापी कार्रवाई के दौरान पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के नेताओं को गुरुवार को गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तार किए गए पीएफआई नेताओं और सदस्यों से एनआईए पूछताछ कर रही है (nia interrogation). इसमें बड़े खुलासे भी हो रहे हैं. पूछताछ से पता चला है कि संगठन ने सुरक्षा एजेंसियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए 'विशेष विंग' का गठन किया था (PFI monitored security movements).

खुफिया एजेंसी का मानना है कि यह (विशेष विंग) एक प्रमुख कारण हो सकता है कि संगठन को छापे या तलाशी अभियान की सूचना पहले से ही मिल जाती थी. दरअसल, पिछले हफ्ते पीएफआई के खिलाफ देशव्यापी कार्रवाई से पहले सुरक्षा एजेंसियों ने पीएफआई के ठिकाने से नकदी के साथ-साथ हथियार और गोला-बारूद बरामद होने की आशंका जताई थी. लेकिन डिजिटल उपकरणों और आपत्तिजनक दस्तावेजों की बरामदगी के अलावा ज्यादा कुछ नहीं मिला.

पूछताछ की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने 'ईटीवी भारत' को बताया, 'पीएफआई नेताओं से पूछताछ से पता चला है कि उन्होंने सुरक्षा एजेंसियों की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए दो से तीन सदस्यों वाले विशेष विंग (special wing) का गठन किया था.' पीएफआई ने देश भर के विभिन्न जिलों में ऐसे विंग बनाए थे जहां संगठन की शाखाएं हैं. पहले भी जब पीएफआई के खिलाफ इस तरह के छापे मारे गए थे तो इतनी बड़ी बरामदगी नहीं हुई थी.

हालांकि खुफिया रिपोर्टों से पता चलता है कि संगठन आतंकवादी गतिविधियों में शामिल था. भोले-भाले युवाओं की भर्ती के साथ-साथ आतंकवाद के वित्तपोषण का काम भी हो रहा था. सुरक्षा एजेंसियों के लिए पीएफआई के खिलाफ मजबूत मामला बनाने के लिए ठोस सबूतों की कमी एक प्रमुख मुद्दा था. इससे पहले एक मौके पर एनआईए ने गृह मंत्रालय से पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की थी. हालांकि, संगठन के खिलाफ पूरे भारत से मजबूत और ठोस दस्तावेजों और सबूतों की कमी के कारण गृह मंत्रालय ने ऐसा नहीं किया था.

हिट लिस्ट में थे भाजपा-संघ नेता : पूछताछ में खुलासा हुआ कि पीएफआई ने बीजेपी और आरएसएस के शीर्ष नेताओं के नामों को शामिल करते हुए एक 'हिटलिस्ट' बनाई थी और आने वाले दिनों में उन्हें निशाना बनाया जाना था.

PFI का गठन 2007 में किया गया था. पीएफआई का गठन तीन मुस्लिम संगठनों नेशनल डेमोक्रेट्स फ्रंट ऑफ केरल, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु में मनिथा नीति पसाराई के विलय के बाद किया गया है. संगठन का दावा है कि वह समाज में अल्पसंख्यक समुदाय के उत्थान के लिए काम कर रहा है.

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