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Using Provocative Language against Hindu : हिंदुओं के खिलाफ अभद्र भाषा' का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

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Published : Feb 16, 2023, 6:18 PM IST

हिंदुओं के खिलाफ भड़काऊ बयान देकर उनके लिए खतरा पैदा करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका लगाई गई है. याचिकाकर्ता ने इसमें सर तन से जुदा है, जैसे नारे को भी आधार बनाया है.

sc
सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : मुस्लिम और ईसाई समुदाय के सदस्यों द्वारा हिंदुओं और हिंदू धर्म के खिलाफ किए गए घृणित भाषणों, बयानों के कुछ हालिया उदाहरणों का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें सर तन से जुदा के नारे भी शामिल हैं. अर्जी अदालत की अनुमति लेकर अधिवक्ता हरि शंकर जैन और विष्णु शंकर जैन के माध्यम से दायर की गई है. आवेदन में कहा गया है: कई मौकों पर, मुस्लिम भीड़ ने जुलूस निकाले हैं, जिसमें उन्हें सिर कलम करने ('सर तन से जुदा') कहते हुए सुना जा सकता है और इस तरह की कॉल के बाद सिर कलम करने की वास्तविक घटनाएं हुई हैं.

याचिका में कहा गया है कि शीर्ष अदालत ने 13 जनवरी को कुछ हालिया विंटेज के उदाहरणों के संदर्भ में उक्त आवेदन की अनुमति दी थी. पत्रकार कुर्बान अली की लंबित याचिका में 'हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस-ट्रस्ट ऑफ लखनऊ' की अध्यक्ष रंजना अग्निहोत्री ने अर्जी दाखिल की है. अली द्वारा दायर याचिका के मुताबिक, दिल्ली और हरिद्वार में आयोजित 'धर्म संसद' में कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले भाषण दिए गए थे, जिसके परिणामस्वरूप मामले दर्ज किए गए और अभियुक्तों की गिरफ्तारी भी हुई.

अग्निहोत्री की याचिका में कहा गया है: वर्तमान आवेदन संबंधित मामले से संबंधित प्रासंगिक तथ्यों और आंकड़ों के साथ दायर किया जा रहा है. मुस्लिम और ईसाई समुदाय के सदस्यों द्वारा हिंदू और हिंदू धर्म के खिलाफ दिए गए नफरत भरे भाषणों, बयानों के कुछ हालिया उदाहरणों को संक्षेप में रिकॉर्ड पर रखा जा रहा है.

याचिका में एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी सहित प्रमुख लोगों के भाषण सहित कई उदाहरणों का हवाला दिया गया, ओवैसी को एक सार्वजनिक रैली में यह कहते हुए देखा गया था: मैं पुलिस को बताना चाहता हूं. इसे याद रखें. योगी हमेशा मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे. मोदी हमेशा के लिए प्रधानमंत्री नहीं रहेंगे. जब योगी वापस चले जाएंगे, जब मोदी पहाड़ों पर चले जाएंगे, तो आपको बचाने कौन आएगा. याद रखना, हम नहीं भूलेंगे.

आवेदन में मुनव्वर फारुकी, अलेक्जेंडर बाबू, सुरलीन कौर आदि जैसे कुछ स्टैंड-अप कॉमेडियन का भी हवाला दिया गया है और दावा किया है कि उन्होंने हिंदू देवताओं और हिंदू धर्म पर भद्दे और अपमानजनक चुटकुले बनाए. दलील में आगे आरोप लगाया गया है, जब हिंदुओं के खिलाफ घोर घृणा की बात आती है तो जिम्मेदारी यहीं नहीं रुकती. यहां तक कि 'कव्वालियों' के गाने भी हिंदुओं के खिलाफ नफरत भड़काने और मुसलमानों को हिंदुओं को मारने का आह्वान करने के लिए बनाए गए हैं.

याचिका में आरोप लगाया गया है कि यह उल्लेख करना उचित है कि मुसलमानों और ईसाई मिशनरियों द्वारा पूरे भारत में हिंदुओं को धर्मांतरित करने का आंदोलन चल रहा है. गरीबी और लालच के कारण वह ज्यादातर अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के हिंदुओं का फायदा उठाते हैं और उन्हें अनैतिक रूप से ईसाई धर्म में परिवर्तित कर देते हैं. यह उल्लेख करना अप्रासंगिक नहीं है कि मेघालय, छत्तीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा राज्य और भारत के अन्य स्थानों में, ईसाई मिशनरी स्थिति का लाभ उठाकर निर्दोष हिंदुओं का धर्मांतरण करने की कोशिश कर रहे हैं.''

ये भी पढ़ें : Plea Challenging Collegium System : सुप्रीम कोर्ट में कॉलेजियम से जुड़ी याचिका दाखिल

(आईएएनएस)

नई दिल्ली : मुस्लिम और ईसाई समुदाय के सदस्यों द्वारा हिंदुओं और हिंदू धर्म के खिलाफ किए गए घृणित भाषणों, बयानों के कुछ हालिया उदाहरणों का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें सर तन से जुदा के नारे भी शामिल हैं. अर्जी अदालत की अनुमति लेकर अधिवक्ता हरि शंकर जैन और विष्णु शंकर जैन के माध्यम से दायर की गई है. आवेदन में कहा गया है: कई मौकों पर, मुस्लिम भीड़ ने जुलूस निकाले हैं, जिसमें उन्हें सिर कलम करने ('सर तन से जुदा') कहते हुए सुना जा सकता है और इस तरह की कॉल के बाद सिर कलम करने की वास्तविक घटनाएं हुई हैं.

याचिका में कहा गया है कि शीर्ष अदालत ने 13 जनवरी को कुछ हालिया विंटेज के उदाहरणों के संदर्भ में उक्त आवेदन की अनुमति दी थी. पत्रकार कुर्बान अली की लंबित याचिका में 'हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस-ट्रस्ट ऑफ लखनऊ' की अध्यक्ष रंजना अग्निहोत्री ने अर्जी दाखिल की है. अली द्वारा दायर याचिका के मुताबिक, दिल्ली और हरिद्वार में आयोजित 'धर्म संसद' में कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले भाषण दिए गए थे, जिसके परिणामस्वरूप मामले दर्ज किए गए और अभियुक्तों की गिरफ्तारी भी हुई.

अग्निहोत्री की याचिका में कहा गया है: वर्तमान आवेदन संबंधित मामले से संबंधित प्रासंगिक तथ्यों और आंकड़ों के साथ दायर किया जा रहा है. मुस्लिम और ईसाई समुदाय के सदस्यों द्वारा हिंदू और हिंदू धर्म के खिलाफ दिए गए नफरत भरे भाषणों, बयानों के कुछ हालिया उदाहरणों को संक्षेप में रिकॉर्ड पर रखा जा रहा है.

याचिका में एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी सहित प्रमुख लोगों के भाषण सहित कई उदाहरणों का हवाला दिया गया, ओवैसी को एक सार्वजनिक रैली में यह कहते हुए देखा गया था: मैं पुलिस को बताना चाहता हूं. इसे याद रखें. योगी हमेशा मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे. मोदी हमेशा के लिए प्रधानमंत्री नहीं रहेंगे. जब योगी वापस चले जाएंगे, जब मोदी पहाड़ों पर चले जाएंगे, तो आपको बचाने कौन आएगा. याद रखना, हम नहीं भूलेंगे.

आवेदन में मुनव्वर फारुकी, अलेक्जेंडर बाबू, सुरलीन कौर आदि जैसे कुछ स्टैंड-अप कॉमेडियन का भी हवाला दिया गया है और दावा किया है कि उन्होंने हिंदू देवताओं और हिंदू धर्म पर भद्दे और अपमानजनक चुटकुले बनाए. दलील में आगे आरोप लगाया गया है, जब हिंदुओं के खिलाफ घोर घृणा की बात आती है तो जिम्मेदारी यहीं नहीं रुकती. यहां तक कि 'कव्वालियों' के गाने भी हिंदुओं के खिलाफ नफरत भड़काने और मुसलमानों को हिंदुओं को मारने का आह्वान करने के लिए बनाए गए हैं.

याचिका में आरोप लगाया गया है कि यह उल्लेख करना उचित है कि मुसलमानों और ईसाई मिशनरियों द्वारा पूरे भारत में हिंदुओं को धर्मांतरित करने का आंदोलन चल रहा है. गरीबी और लालच के कारण वह ज्यादातर अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के हिंदुओं का फायदा उठाते हैं और उन्हें अनैतिक रूप से ईसाई धर्म में परिवर्तित कर देते हैं. यह उल्लेख करना अप्रासंगिक नहीं है कि मेघालय, छत्तीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा राज्य और भारत के अन्य स्थानों में, ईसाई मिशनरी स्थिति का लाभ उठाकर निर्दोष हिंदुओं का धर्मांतरण करने की कोशिश कर रहे हैं.''

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(आईएएनएस)

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