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विवाह पंजीकरण के लिए व्यक्तिगत रूप से पेशी में ऑनलाइन पेशी शामिल : HC

दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने कहा है कि शादी के रजिस्ट्रेशन के लिए संबंधित अधिकारी के समक्ष व्यक्तिगत रूप से पेश होने की जरूरत में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश होना भी शामिल है.

दिल्ली हाई कोर्ट
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Published : Sep 9, 2021, 8:31 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने बृहस्पतिवार को कहा कि शादी के पंजीकरण के लिए संबंधित अधिकारी के समक्ष व्यक्तिगत रूप से पेश होने की जरूरत में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश होना भी शामिल है.

न्यायमूर्ति रेखा पल्ली (Justice Rekha Palli) ने कहा कि उच्च न्यायालय ने पहले भी वर्चुअल माध्यम से 2007 में विवाह के पंजीकरण की अनुमति दी थी जब वीडियो कॉन्फ्रेंस का उपयोग शुरुआती चरण में था. वह अमेरिका में रह रहे एक युगल की याचिका पर सुनवाई कर रही थीं जिसने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अपनी शादी के पंजीकरण का अनुरोध किया था.

न्यायाधीश ने कहा, 'मुझे लगता है कि व्यक्तिगत उपस्थिति (की जरूरत) में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उपस्थिति शामिल होगी.' उन्होंने कहा कि वह पंजीकरण प्राधिकरण के समक्ष आभासी उपस्थिति की अनुमति मांगने वाली 'याचिका को स्वीकार' करेंगी.

न्यायाधीश ने दंपत्ति से कहा, 'आपको एक या दो दिन में आदेश मिल जाएगा.' वर्तमान मामले में, दंपति ने दावा किया कि 2014 में विवाह पंजीकरण अनिवार्य किए जाने से पहले उनकी शादी हिंदू रीति-रिवाजों से हुई थी.

ये भी पढ़ें - चिकित्सकों पर हमले रोकने को पुलिस की त्वरित प्रतिक्रिया जरूरी: HC

चूंकि दंपत्ति विदेश में स्थानांतरित हो गया, इसलिए वह दिल्ली (विवाह का अनिवार्य पंजीकरण) आदेश, 2014 के तहत अपनी शादी को पंजीकृत नहीं करा पाया. यह देखते हुए कि विवाह प्रमाणपत्र के अभाव में ग्रीन कार्ड के लिए उनके आवेदन पर अमेरिका में विचार नहीं किया जा रहा, दंपति ने विवाह प्रमाण पत्र जारी करने के लिए यहां स्थानीय प्राधिकरण से संपर्क किया, जिसने कहा कि पक्षों की प्रत्यक्ष उपस्थिति अनिवार्य है.

वर्चुअल उपस्थिति के लिए एसडीएम से किए गए आग्रह का जवाब न मिलने पर दंपत्ति ने उच्च न्यायालय का रुख किया. दंपत्ति के वकील ने कहा कि कई उच्च न्यायालयों ने विवाह पंजीकरण के लिए पक्षों की आभासी उपस्थिति की अनुमति देने के आदेश पारित किए हैं. वकील ने कहा कि कोविड-19 महामारी और कई देशों द्वारा लगाए गए यात्रा प्रतिबंधों को ध्यान में रखते हुए आभासी उपस्थिति की अनुमति दी जानी चाहिए.

वहीं, दिल्ली सरकार के वकील ने तर्क दिया कि शादी के पंजीकरण की मांग करने वाले दंपत्ति की प्रत्यक्ष उपस्थिति अनिवार्य है और यह प्रक्रिया वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से नहीं की जा सकती क्योंकि इसके लिए 'लाइव फोटो' लेने की आवश्यकता होती है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने बृहस्पतिवार को कहा कि शादी के पंजीकरण के लिए संबंधित अधिकारी के समक्ष व्यक्तिगत रूप से पेश होने की जरूरत में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश होना भी शामिल है.

न्यायमूर्ति रेखा पल्ली (Justice Rekha Palli) ने कहा कि उच्च न्यायालय ने पहले भी वर्चुअल माध्यम से 2007 में विवाह के पंजीकरण की अनुमति दी थी जब वीडियो कॉन्फ्रेंस का उपयोग शुरुआती चरण में था. वह अमेरिका में रह रहे एक युगल की याचिका पर सुनवाई कर रही थीं जिसने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अपनी शादी के पंजीकरण का अनुरोध किया था.

न्यायाधीश ने कहा, 'मुझे लगता है कि व्यक्तिगत उपस्थिति (की जरूरत) में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उपस्थिति शामिल होगी.' उन्होंने कहा कि वह पंजीकरण प्राधिकरण के समक्ष आभासी उपस्थिति की अनुमति मांगने वाली 'याचिका को स्वीकार' करेंगी.

न्यायाधीश ने दंपत्ति से कहा, 'आपको एक या दो दिन में आदेश मिल जाएगा.' वर्तमान मामले में, दंपति ने दावा किया कि 2014 में विवाह पंजीकरण अनिवार्य किए जाने से पहले उनकी शादी हिंदू रीति-रिवाजों से हुई थी.

ये भी पढ़ें - चिकित्सकों पर हमले रोकने को पुलिस की त्वरित प्रतिक्रिया जरूरी: HC

चूंकि दंपत्ति विदेश में स्थानांतरित हो गया, इसलिए वह दिल्ली (विवाह का अनिवार्य पंजीकरण) आदेश, 2014 के तहत अपनी शादी को पंजीकृत नहीं करा पाया. यह देखते हुए कि विवाह प्रमाणपत्र के अभाव में ग्रीन कार्ड के लिए उनके आवेदन पर अमेरिका में विचार नहीं किया जा रहा, दंपति ने विवाह प्रमाण पत्र जारी करने के लिए यहां स्थानीय प्राधिकरण से संपर्क किया, जिसने कहा कि पक्षों की प्रत्यक्ष उपस्थिति अनिवार्य है.

वर्चुअल उपस्थिति के लिए एसडीएम से किए गए आग्रह का जवाब न मिलने पर दंपत्ति ने उच्च न्यायालय का रुख किया. दंपत्ति के वकील ने कहा कि कई उच्च न्यायालयों ने विवाह पंजीकरण के लिए पक्षों की आभासी उपस्थिति की अनुमति देने के आदेश पारित किए हैं. वकील ने कहा कि कोविड-19 महामारी और कई देशों द्वारा लगाए गए यात्रा प्रतिबंधों को ध्यान में रखते हुए आभासी उपस्थिति की अनुमति दी जानी चाहिए.

वहीं, दिल्ली सरकार के वकील ने तर्क दिया कि शादी के पंजीकरण की मांग करने वाले दंपत्ति की प्रत्यक्ष उपस्थिति अनिवार्य है और यह प्रक्रिया वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से नहीं की जा सकती क्योंकि इसके लिए 'लाइव फोटो' लेने की आवश्यकता होती है.

(पीटीआई-भाषा)

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