बेंगलुरु : कर्नाटक के गोपीनाथम के गांव हनुरू तालुक में आज भी इंटरनेट की सुविधा नहीं है. यहां रहने वाले छात्र और अन्य श्रमिक मोबाइल नेटवर्क के लिए 12 किलोमीटर का सफर तय करते हैं.
कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन के चलते शिक्षण संस्थान ऑनलाइन कक्षाएं चला रहे हैं. वहीं कुछ कंपनियां घर से काम करने की सुविधा दे रही हैं, लेकिन गांव में रहने वाले छात्रों और लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पर रहा है.
गोपीनाथम गांव सहित पुदुर, अठूर, कोट्टायुर, जंबुपट्टी गांव में हजारों परिवार आज भी 2G नेटवर्क पर निर्भर हैं. जैसे-तैसे इंटरनेट चलाकर काम करने वालों की परेशानी तब बढ़ जाती है जब बिजली गुल हो जाती है. इसके चलते तेज इंटरनेट कनेक्टिविटी के लिए यहां रहने वाले लोगों और छात्रों को 12 किलोमीटर दूर स्थित होजेनक्कल फॉल्स जाना पड़ता है.
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यहां जाने का रास्ता जंगल से होकर गुजरता है. लोगों का कहना है कि काम करने के लिए नेटवर्क की जरूरत होती है और नेटवर्क पहाड़ों पर मिलता है. होजेनक्कल फॉल्स जाते समय जंगली जानवरों का हमला होने का डर भी बना रहता है.