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देखिए आज कैसा है जवाहर बाग...उस खौफ-ए-मंजर को याद कर कांप जाती है लोगों की रूह

2 जून, 2016 की उस काली तारीख को याद कर आज भी मथुरावासियों की रूह कांप जाती है. इसी दिन यहां चर्चित जवाहर बाग कांड हुआ था. जवाहर बाग को अवैध कब्जाधारियों से मुक्त कराने के दौरान पुलिस के दो अधिकारियों सहित कई लोगों की मौत हो गई थी. खैर, आज यहां सबकुछ बदल चुका है. लोग शांति से यहां बैठने व टहलने के लिए आते हैं. लेकिन इन दिनों इस चर्चित पार्क में असामाजिक तत्वों के प्रवेश से लोग खासा परेशान हैं.

See how Jawahar Bagh is today remembering that dreade scene
देखिए आज कैसा है जवाहर बाग...उस खौफ-ए-मंजर को याद कर कांप जाती है लोगों की रूह
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Published : Mar 14, 2022, 2:14 PM IST

मथुरा: 2 जून, 2016 की उस काली तारीख को याद कर आज भी मथुरावासियों की रूह कांप जाती है. इसी दिन यहां चर्चित जवाहर बाग कांड हुआ था. जवाहर बाग को अवैध कब्जाधारियों से मुक्त कराने के दौरान पुलिस के दो अधिकारियों सहित कई लोगों की मौत हो गई थी. बाग में हुए अग्निकांड के बाद पूरा बाग जलकर राख हो चुका था. वहीं, जवाहर बाग कांड में तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसआई संतोष यादव शहीद हो गए थे और कब्जाधारियों से बाग मुक्त कराने के दौरान भारी संख्या में पुलिसकर्मी जख्मी हुए थे. बाग में हुई आगजनी और हिंसक घटना ने तत्कालीन सपा सरकार को हिलाकर रख दिया था. लेकिन आज इस बाग की तस्वीर ही कुछ और है.

बदली तस्वीर पर उस खौफ-ए-मंजर को याद कर आज भी कांप जाती है लोगों की रूह

तथाकथित सत्याग्रहियों की ओर से अपनी बेतुकी मांगों को पूरा कराने की मांग को लेकर जवाहर बाग की 200 एकड़ से अधिक भूमि पर आंदोलन के नाम पर कब्जा कर लिया गया था. वहीं, अवैध कब्जाधारी काफी समय से जवाहर बाग में डेरा डंडा डाले बैठे थे. इधर, लगातार स्थानीय लोग अधिवक्ताओं व शासन-प्रशासन से जवाहर बाग में किए गए अवैध कब्जे को खाली कराने की मांग कर रहे थे. लेकिन शासन-प्रशासन कब्जाधारियों के सामने बौने नजर आ रहे थे.

लेकिन 2 जून, 2016 को मथुरा प्रशासन अवैध कब्जाधारियों से जवाहर बाग को मुक्त कराने का मन बना चुका था, जिसके चलते पुलिस प्रशासन की ओर से जवाहर बाग को मुक्त कराने का प्रयास किया गया. लेकिन इस दौरान अवैध कब्जाधारियों के सरगना रामवृक्ष यादव के नेतृत्व में कब्जाधारियों ने हथियारों से लैस होकर पुलिस के ऊपर हमला कर दिया. इस दौरान तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसआई संतोष यादव के शहीद होने के साथ ही बाग में मौजूद 29 लोगों से अधिक की मौत हो गई थी.

इस मामले में तत्कालीन सपा सरकार और सरकार में मौजूद कई मंत्रियों पर रामवृक्ष से संबंध होने के भी आरोप लगे थे. जिसके बाद वर्तमान सरकार की ओर से जर्जर और खंडहर हो चुके जवाहर बाग को एक नया रूप दिया गया है. जवाहर बाग अब एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो चुका है, जहां लोगों के लिए लगभग सभी सुविधाओं को उपलब्ध कराया गया है. जिससे स्थानीय लोगों को काफी लाभ होता है.

जवाहर बाग

असामाजिक तत्वों का अड्डा बना जवाहर बाग

जवाहर बाग कांड के बाद वर्तमान सरकार ने जवाहर बाग को एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया है. जिसमें ओपन जिम, बच्चों के लिए झूले, वॉकिंग ट्रेक, कैंटीन की सुविधा, स्विमिंग पूल, बुजुर्ग के लिए अलग से बैठने व टहलने की व्यवस्था जैसी कई सुविधाएं मुहैया कराई गई है. ऐसे में आज जवाहर बाग की सुंदरता देखते बनती है. प्रतिदिन यहां भारी संख्या में लोग आते हैं और हरियाली का आनंद लेने के साथ ही पार्क में उपलब्ध सुविधाओं का भी आनंद लेते हैं.

ये भी पढ़ें- कपास की बढ़ती कीमतों के बीच KVIC ने खादी संस्थानों को कीमतों में बढ़ोतरी से बचाया

लेकिन अब धीरे-धीरे जवाहर बाग में असामाजिक तत्व भी प्रवेश करने लगे हैं. जिसके चलते बाग में घूमने आने वाले लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. वहीं, इस संबंध में जिला उद्यान निरीक्षक का कहना है कि ऐसी चीजों पर अंकुश लगाया जा रहा है और पुलिस का सहयोग लिया जा रहा है. ताकि यहां आने वालों को किसी प्रकार की दिक्कत न हो.

मथुरा: 2 जून, 2016 की उस काली तारीख को याद कर आज भी मथुरावासियों की रूह कांप जाती है. इसी दिन यहां चर्चित जवाहर बाग कांड हुआ था. जवाहर बाग को अवैध कब्जाधारियों से मुक्त कराने के दौरान पुलिस के दो अधिकारियों सहित कई लोगों की मौत हो गई थी. बाग में हुए अग्निकांड के बाद पूरा बाग जलकर राख हो चुका था. वहीं, जवाहर बाग कांड में तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसआई संतोष यादव शहीद हो गए थे और कब्जाधारियों से बाग मुक्त कराने के दौरान भारी संख्या में पुलिसकर्मी जख्मी हुए थे. बाग में हुई आगजनी और हिंसक घटना ने तत्कालीन सपा सरकार को हिलाकर रख दिया था. लेकिन आज इस बाग की तस्वीर ही कुछ और है.

बदली तस्वीर पर उस खौफ-ए-मंजर को याद कर आज भी कांप जाती है लोगों की रूह

तथाकथित सत्याग्रहियों की ओर से अपनी बेतुकी मांगों को पूरा कराने की मांग को लेकर जवाहर बाग की 200 एकड़ से अधिक भूमि पर आंदोलन के नाम पर कब्जा कर लिया गया था. वहीं, अवैध कब्जाधारी काफी समय से जवाहर बाग में डेरा डंडा डाले बैठे थे. इधर, लगातार स्थानीय लोग अधिवक्ताओं व शासन-प्रशासन से जवाहर बाग में किए गए अवैध कब्जे को खाली कराने की मांग कर रहे थे. लेकिन शासन-प्रशासन कब्जाधारियों के सामने बौने नजर आ रहे थे.

लेकिन 2 जून, 2016 को मथुरा प्रशासन अवैध कब्जाधारियों से जवाहर बाग को मुक्त कराने का मन बना चुका था, जिसके चलते पुलिस प्रशासन की ओर से जवाहर बाग को मुक्त कराने का प्रयास किया गया. लेकिन इस दौरान अवैध कब्जाधारियों के सरगना रामवृक्ष यादव के नेतृत्व में कब्जाधारियों ने हथियारों से लैस होकर पुलिस के ऊपर हमला कर दिया. इस दौरान तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसआई संतोष यादव के शहीद होने के साथ ही बाग में मौजूद 29 लोगों से अधिक की मौत हो गई थी.

इस मामले में तत्कालीन सपा सरकार और सरकार में मौजूद कई मंत्रियों पर रामवृक्ष से संबंध होने के भी आरोप लगे थे. जिसके बाद वर्तमान सरकार की ओर से जर्जर और खंडहर हो चुके जवाहर बाग को एक नया रूप दिया गया है. जवाहर बाग अब एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो चुका है, जहां लोगों के लिए लगभग सभी सुविधाओं को उपलब्ध कराया गया है. जिससे स्थानीय लोगों को काफी लाभ होता है.

जवाहर बाग

असामाजिक तत्वों का अड्डा बना जवाहर बाग

जवाहर बाग कांड के बाद वर्तमान सरकार ने जवाहर बाग को एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया है. जिसमें ओपन जिम, बच्चों के लिए झूले, वॉकिंग ट्रेक, कैंटीन की सुविधा, स्विमिंग पूल, बुजुर्ग के लिए अलग से बैठने व टहलने की व्यवस्था जैसी कई सुविधाएं मुहैया कराई गई है. ऐसे में आज जवाहर बाग की सुंदरता देखते बनती है. प्रतिदिन यहां भारी संख्या में लोग आते हैं और हरियाली का आनंद लेने के साथ ही पार्क में उपलब्ध सुविधाओं का भी आनंद लेते हैं.

ये भी पढ़ें- कपास की बढ़ती कीमतों के बीच KVIC ने खादी संस्थानों को कीमतों में बढ़ोतरी से बचाया

लेकिन अब धीरे-धीरे जवाहर बाग में असामाजिक तत्व भी प्रवेश करने लगे हैं. जिसके चलते बाग में घूमने आने वाले लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. वहीं, इस संबंध में जिला उद्यान निरीक्षक का कहना है कि ऐसी चीजों पर अंकुश लगाया जा रहा है और पुलिस का सहयोग लिया जा रहा है. ताकि यहां आने वालों को किसी प्रकार की दिक्कत न हो.

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