ETV Bharat / bharat

गंगा किनारे नहीं बचा कोई स्थान, अंतिम संस्कार की जगह रेत में दफनाए जा रहे शव

उन्नाव जिले के रौतापुर और बक्सर घाट की हालत बद से बदतर होती जा रही है. यहां अब शवों को दफन करने की जगह ही नहीं बची है. जिधर नजर जाती है हर तरफ दफन किए गए शव ही नजर आ रहे हैं.

रेती में दफनाए जा रहे शव
रेती में दफनाए जा रहे शव
author img

By

Published : May 13, 2021, 10:29 AM IST

Updated : May 13, 2021, 11:27 AM IST

उन्नाव (उत्तर प्रदेश) : ग्रामीण इलाकों में कोरोना संक्रमण बहुत तेजी से फैल रहा है, जिसका असर अब गंगा किनारे घाटों पर दिख रहा है. गंगा के किनारे बड़ी संख्या में शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है. लोग पैसे न होने के कारण शवों को जलाकर अंतिम संस्कार करने के बजाय दफनाकर अंतिम संस्कार करने पर मजबूर हैं. गंगा किनारे घाटों का आलम यह है कि अब शव दफन करने की जगह तक घाटों पर नहीं बची है.

एक महीने में 300 से ज्यादा शव
स्थानीय लोगों ने बताया कि पिछले एक माह में 300 से ज्यादा शव अंतिम संस्कार के लिए यहां लाए गए हैं. लाए गए शवों में अधिकतर शवों को गड्ढा खोदकर रेत में दफन कर दिया जाता है. आलम यह है कि घाट के किनारे अब शव दफनाने के लिए जगह नहीं बची. ऐसा हाल उन्नाव के दो घाट बक्सर और रौतापुर में देखने को मिला.

वीडियो

पढ़ें- देश के कई राज्यों में कबाड़ हो रहे हैं पीएम केयर्स के तहत मिले वेंटिलेटर

उन्नाव में मरने वालों की संख्या में इजाफा
उन्नाव के ग्रामीण इलाकों में एक के बाद एक संदिग्ध परिस्थितियों में बड़ी संख्या में ग्रामीणों की मौत हो रही है. मरने वालों में ज्यादातर को खांसी, बुखार और सांस लेने में दिक्कत हुई और अंत में उनकी मौत हो गई. इस तरह से ग्रामीण इलाकों में मरने वालों की संख्या हजारों में होगी, क्योंकि उन्नाव के रौतापुर घाट पर ही एक माह में करीब 300 के आस-पास शवों को दफनाकर अंतिम संस्कार किया गया.

ज्यादा संख्या में मौत होने से दफनाने की नहीं बची जगह
बताया जा रहा है कि अब शव दफनाने के लिए गंगा किनारे रेत नहीं बची है. अब सिर्फ एक पट्टी ही मौजूद है, जिस पर शवों को जलाकर अंतिम संस्कार किया जाता है, इसके अलावा आस-पास के खेतों में भी कुछ लोग देर-सबेर शवों को दफना जाते हैं. इस घाट पर रौतापुर, मिर्जापुर, लंगड़ापुर, भटपुरवा, राजेपुर, कनिकामऊ, फत्तेपुर समेत कई गांवों के लोग अंतिम संस्कार के लिए आते हैं.

उन्नाव (उत्तर प्रदेश) : ग्रामीण इलाकों में कोरोना संक्रमण बहुत तेजी से फैल रहा है, जिसका असर अब गंगा किनारे घाटों पर दिख रहा है. गंगा के किनारे बड़ी संख्या में शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है. लोग पैसे न होने के कारण शवों को जलाकर अंतिम संस्कार करने के बजाय दफनाकर अंतिम संस्कार करने पर मजबूर हैं. गंगा किनारे घाटों का आलम यह है कि अब शव दफन करने की जगह तक घाटों पर नहीं बची है.

एक महीने में 300 से ज्यादा शव
स्थानीय लोगों ने बताया कि पिछले एक माह में 300 से ज्यादा शव अंतिम संस्कार के लिए यहां लाए गए हैं. लाए गए शवों में अधिकतर शवों को गड्ढा खोदकर रेत में दफन कर दिया जाता है. आलम यह है कि घाट के किनारे अब शव दफनाने के लिए जगह नहीं बची. ऐसा हाल उन्नाव के दो घाट बक्सर और रौतापुर में देखने को मिला.

वीडियो

पढ़ें- देश के कई राज्यों में कबाड़ हो रहे हैं पीएम केयर्स के तहत मिले वेंटिलेटर

उन्नाव में मरने वालों की संख्या में इजाफा
उन्नाव के ग्रामीण इलाकों में एक के बाद एक संदिग्ध परिस्थितियों में बड़ी संख्या में ग्रामीणों की मौत हो रही है. मरने वालों में ज्यादातर को खांसी, बुखार और सांस लेने में दिक्कत हुई और अंत में उनकी मौत हो गई. इस तरह से ग्रामीण इलाकों में मरने वालों की संख्या हजारों में होगी, क्योंकि उन्नाव के रौतापुर घाट पर ही एक माह में करीब 300 के आस-पास शवों को दफनाकर अंतिम संस्कार किया गया.

ज्यादा संख्या में मौत होने से दफनाने की नहीं बची जगह
बताया जा रहा है कि अब शव दफनाने के लिए गंगा किनारे रेत नहीं बची है. अब सिर्फ एक पट्टी ही मौजूद है, जिस पर शवों को जलाकर अंतिम संस्कार किया जाता है, इसके अलावा आस-पास के खेतों में भी कुछ लोग देर-सबेर शवों को दफना जाते हैं. इस घाट पर रौतापुर, मिर्जापुर, लंगड़ापुर, भटपुरवा, राजेपुर, कनिकामऊ, फत्तेपुर समेत कई गांवों के लोग अंतिम संस्कार के लिए आते हैं.

Last Updated : May 13, 2021, 11:27 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.