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'राजनीतिक अवसरवाद' के चलते समुदायों के बीच दरार पैदा की जा रही: अमर्त्य सेन

प्रसिद्ध अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन (Amartya Sen) ने कहा कि देश के लोगों को बांटा जा रहा है. एक कार्यक्रम को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए सेन ने राजनीतिक कारणों से लोगों को जेल भेजने पर चिंता जताई.

Amartya Sen
अमर्त्य सेन
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Published : Jul 9, 2022, 4:45 PM IST

Updated : Jul 9, 2022, 8:25 PM IST

कोलकाता : नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने शनिवार को कहा कि 'राजनीतिक अवसरवाद' के कारण समुदायों के बीच दरार पैदा की जा रही है. सेन ने इस बात पर भी अफसोस जताया कि राजनीतिक कारणों को लेकर लोगों को बंदी बनाने की औपनिवेशिक प्रथा भारत को आजादी मिलने के दशकों बाद भी जारी है.

उन्होंने 'आनंदबाजार पत्रिका' के शताब्दी समारोह को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए कहा, 'भारतीयों को बांटने की कोशिश हो रही है...राजनीतिक अवसरवाद के कारण हिंदुओं और मुसलमानों के सह-अस्तित्व में दरार पैदा की जा रही है.' बांग्ला भाषा के इस दैनिक समाचार पत्र का पहला संस्करण 13 मार्च, 1922 को प्रकाशित हुआ था. प्रफुल्ल कुमार सरकार इसके संस्थापक-संपादक थे.

सेन (88) ने कहा, 'उस समय (1922 में) देश में कई लोगों को राजनीतिक कारणों से जेल में डाल दिया गया था ... मैं तब बहुत कम उम्र का था और अक्सर सवाल करता था कि क्या बिना कोई अपराध किए लोगों को जेल भेजने की यह प्रथा कभी बंद होगी.' उन्होंने कहा, 'इसके बाद, भारत आजाद हो गया, लेकिन यह प्रथा अभी भी जारी है.' उन्होंने कहा कि स्वतंत्र भारत ने कई मामलों में प्रगति की है, लेकिन गरीबी, स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं जैसे मुद्दे बने हुए हैं और अखबार इन्हें वस्तुनिष्ठ तरीके से उजागर कर रहा है. उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि न्याय के मार्ग पर चलने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए.

इस महीने की शुरुआत में, सेन ने भारत की वर्तमान स्थिति पर चिंता व्यक्त की थी और कहा था कि लोगों को एकता बनाए रखने की दिशा में काम करना चाहिए. उन्होंने कहा था, 'मैं चाहता हूं कि देश एकजुट रहे. मैं ऐसे देश में विभाजन नहीं चाहता जो ऐतिहासिक रूप से उदार था. हमें मिलकर काम करना होगा.'

पढ़ें- देश में मौजूदा हालात डर की वजह बन गए हैं, साथ मिलकर काम करना होगा : अमर्त्य सेन

कोलकाता : नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने शनिवार को कहा कि 'राजनीतिक अवसरवाद' के कारण समुदायों के बीच दरार पैदा की जा रही है. सेन ने इस बात पर भी अफसोस जताया कि राजनीतिक कारणों को लेकर लोगों को बंदी बनाने की औपनिवेशिक प्रथा भारत को आजादी मिलने के दशकों बाद भी जारी है.

उन्होंने 'आनंदबाजार पत्रिका' के शताब्दी समारोह को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए कहा, 'भारतीयों को बांटने की कोशिश हो रही है...राजनीतिक अवसरवाद के कारण हिंदुओं और मुसलमानों के सह-अस्तित्व में दरार पैदा की जा रही है.' बांग्ला भाषा के इस दैनिक समाचार पत्र का पहला संस्करण 13 मार्च, 1922 को प्रकाशित हुआ था. प्रफुल्ल कुमार सरकार इसके संस्थापक-संपादक थे.

सेन (88) ने कहा, 'उस समय (1922 में) देश में कई लोगों को राजनीतिक कारणों से जेल में डाल दिया गया था ... मैं तब बहुत कम उम्र का था और अक्सर सवाल करता था कि क्या बिना कोई अपराध किए लोगों को जेल भेजने की यह प्रथा कभी बंद होगी.' उन्होंने कहा, 'इसके बाद, भारत आजाद हो गया, लेकिन यह प्रथा अभी भी जारी है.' उन्होंने कहा कि स्वतंत्र भारत ने कई मामलों में प्रगति की है, लेकिन गरीबी, स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं जैसे मुद्दे बने हुए हैं और अखबार इन्हें वस्तुनिष्ठ तरीके से उजागर कर रहा है. उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि न्याय के मार्ग पर चलने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए.

इस महीने की शुरुआत में, सेन ने भारत की वर्तमान स्थिति पर चिंता व्यक्त की थी और कहा था कि लोगों को एकता बनाए रखने की दिशा में काम करना चाहिए. उन्होंने कहा था, 'मैं चाहता हूं कि देश एकजुट रहे. मैं ऐसे देश में विभाजन नहीं चाहता जो ऐतिहासिक रूप से उदार था. हमें मिलकर काम करना होगा.'

पढ़ें- देश में मौजूदा हालात डर की वजह बन गए हैं, साथ मिलकर काम करना होगा : अमर्त्य सेन

Last Updated : Jul 9, 2022, 8:25 PM IST
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