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पूर्व CJI गोगोई पर आरोप लगाने वाली महिलाओं के फोन पर भी नजर, और कौन-कौन हैं सूची में, जानें

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Published : Jul 19, 2021, 9:02 PM IST

Updated : Jul 19, 2021, 9:18 PM IST

पेगासस विवाद में किनके-किनके नाम शामिल हैं, मीडिया वेबसाइट ने इसका खुलासा किया है. इसके अनुसार पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई पर आरोप लगाने वाली महिलाओं के पतियों के फोन पर लगातार नजर रखी जा रही थी. दावा किया गया है कि आरोप लगाने के बाद ही इन पर नजर रखी जा रही थी. केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल और राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर के भी फोन निगरानी में थे.

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पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई

हैदराबाद : अप्रैल 2019 में सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई पर उनके कुछ महिला स्टाफ ने सेक्सुअल प्रताड़ना की शिकायतें की थीं. हालांकि, यह आरोप सिद्ध नहीं हो सका था. पेगासस विवाद में द वायर ने दावा किया है कि शिकायत करने वालों के भी फोन पर निगरानी रखी जा रही थी.

शिकायत करने वाले स्टाफ को दिसंबर 2018 में बर्खास्त कर दिया गया था. वेबसाइट ने दावा किया है कि शिकायत करने वाली महिला कर्मचारियों के पतियों के आठ मोबाइल नंबर निशाने पर थे. उनके दो भाइयों के भी नंबर पर नजर रखी जा रही थी. हालांकि, वेबसाइट ने दावा किया है कि इन मोबाइल नंबरों का वह फोरेंसिक जांच नहीं कर सके.

इस वेबसाइट के मुताबिक सरकार ने पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल सिर्फ विपक्षी नेताओं, पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के लिए नहीं किया, बल्कि इसके जरिये अपने मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल और अश्विनी वैष्णव पर भी नजर रखा था.

द वायर का दावा है कि पेगासस स्पाइवेयर के जरिए राहुल गांधी, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर, चुनाव आयुक्त अशोक लवासा, राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के निजी सचिव की जासूसी की गई. इस लिस्ट में विश्व हिंदू परिषद के नेता प्रवीण तोगड़िया, तत्कालीन कैबिनेट मंत्री स्मृति इरानी के ओएसडी संजय कचरू का भी नाम है. घातक स्पाइवेयर स्मार्टफोन के प्रमुख विपक्षी रणनीतिकार प्रशांत किशोर में पाया गया था. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यह निगरानी 2017 से 2019 के बीच की गई थी.

द वायर की रिपोर्ट के मुताबिक, पेगासस ने निगरानी के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के भतीजे और सांसद अभिषेक बनर्जी को भी चिह्नित किया था. इसके अलावा कई ऐसे नाम हैं, जो अन्य कारणों से सरकार के निशाने पर रहे हैं.

एनएसओ समूह के ग्राहकों द्वारा निगरानी के संभावित लक्ष्य के रूप में चुने गए नंबरों के लीक डेटाबेस में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी सरकार में कम से कम दो मंत्री शामिल हैं. अश्विनी वैष्णव को हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है. वह अभी रेल, संचार और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री हैं.

निगरानी के दायरे में वैष्णव की पत्नी भी थीं. वैष्णव उड़ीसा से राज्यसभा सदस्य हैं. हालांकि संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि फोन टैपिंग से जासूसी के आरोप गलत हैं. उन्होंने कहा कि लीक डेटा का जासूसी से कोई लेना-देना नहीं है.

रिपोर्ट के अनुसार, राज्य मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल के 18 करीबियों पर स्पाइवेयर के जरिये नजर रखी जा रही थी. प्रह्लाद सिंह पटेल अभी हुए फेरबदल में जल शक्ति मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाए गए हैं. दावा है कि संभावित निगरानी के लिए चुनाव के कामकाज से जुड़े कई लोगों को भी चुना गया था. इसमें अशोक लवासा शामिल हैं, जो 2019 के चुनावों की अगुवाई में आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के लिए मोदी को दोषी ठहराने वाले एकमात्र चुनाव आयुक्त थे. रिकॉर्ड में प्रमुख चुनाव प्रहरी एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के संस्थापक जगदीप छोखर भी शामिल हैं, जिन्हें लवासा के साथ ही पेगासस ने टारगेट किया था.

सूची में वायरोलॉजिस्ट गगनदीप कांग का नाम भी शामिल है. वह COVID-19 के खिलाफ भारत की लड़ाई का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही हैं. उन्हें 2018 में संभावित निगरानी के लिए चुना गया था, जब वह निपाह वायरस के खिलाफ लड़ाई में मदद कर रही थी. लीक हुए डेटा में बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के भारत प्रमुख हरि मेनन और कम से कम एक अन्य फाउंडेशन कर्मचारी भी शामिल हैं, जिन्हें 2019 के मध्य में निगरानी के लिए चुना गया था. एक स्वास्थ्य-क्षेत्र गैर-लाभकारी और उस समय भारत में तैनात यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल का एक अधिकारी भी निगरानी का एक संभावित लक्ष्य था.

बता दें कि पेगासस इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप की ओर से विकसित स्पाइवेयर है. कंपनी का दावा है कि इसे आतंकवाद और अपराध की निगरानी के लिए सरकारों को बेचा जाता है.

ये भी पढ़ें : पेगासस विवाद : निशाने पर राहुल और उनके करीबी ?

हैदराबाद : अप्रैल 2019 में सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई पर उनके कुछ महिला स्टाफ ने सेक्सुअल प्रताड़ना की शिकायतें की थीं. हालांकि, यह आरोप सिद्ध नहीं हो सका था. पेगासस विवाद में द वायर ने दावा किया है कि शिकायत करने वालों के भी फोन पर निगरानी रखी जा रही थी.

शिकायत करने वाले स्टाफ को दिसंबर 2018 में बर्खास्त कर दिया गया था. वेबसाइट ने दावा किया है कि शिकायत करने वाली महिला कर्मचारियों के पतियों के आठ मोबाइल नंबर निशाने पर थे. उनके दो भाइयों के भी नंबर पर नजर रखी जा रही थी. हालांकि, वेबसाइट ने दावा किया है कि इन मोबाइल नंबरों का वह फोरेंसिक जांच नहीं कर सके.

इस वेबसाइट के मुताबिक सरकार ने पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल सिर्फ विपक्षी नेताओं, पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के लिए नहीं किया, बल्कि इसके जरिये अपने मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल और अश्विनी वैष्णव पर भी नजर रखा था.

द वायर का दावा है कि पेगासस स्पाइवेयर के जरिए राहुल गांधी, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर, चुनाव आयुक्त अशोक लवासा, राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के निजी सचिव की जासूसी की गई. इस लिस्ट में विश्व हिंदू परिषद के नेता प्रवीण तोगड़िया, तत्कालीन कैबिनेट मंत्री स्मृति इरानी के ओएसडी संजय कचरू का भी नाम है. घातक स्पाइवेयर स्मार्टफोन के प्रमुख विपक्षी रणनीतिकार प्रशांत किशोर में पाया गया था. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यह निगरानी 2017 से 2019 के बीच की गई थी.

द वायर की रिपोर्ट के मुताबिक, पेगासस ने निगरानी के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के भतीजे और सांसद अभिषेक बनर्जी को भी चिह्नित किया था. इसके अलावा कई ऐसे नाम हैं, जो अन्य कारणों से सरकार के निशाने पर रहे हैं.

एनएसओ समूह के ग्राहकों द्वारा निगरानी के संभावित लक्ष्य के रूप में चुने गए नंबरों के लीक डेटाबेस में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी सरकार में कम से कम दो मंत्री शामिल हैं. अश्विनी वैष्णव को हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है. वह अभी रेल, संचार और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री हैं.

निगरानी के दायरे में वैष्णव की पत्नी भी थीं. वैष्णव उड़ीसा से राज्यसभा सदस्य हैं. हालांकि संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि फोन टैपिंग से जासूसी के आरोप गलत हैं. उन्होंने कहा कि लीक डेटा का जासूसी से कोई लेना-देना नहीं है.

रिपोर्ट के अनुसार, राज्य मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल के 18 करीबियों पर स्पाइवेयर के जरिये नजर रखी जा रही थी. प्रह्लाद सिंह पटेल अभी हुए फेरबदल में जल शक्ति मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाए गए हैं. दावा है कि संभावित निगरानी के लिए चुनाव के कामकाज से जुड़े कई लोगों को भी चुना गया था. इसमें अशोक लवासा शामिल हैं, जो 2019 के चुनावों की अगुवाई में आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के लिए मोदी को दोषी ठहराने वाले एकमात्र चुनाव आयुक्त थे. रिकॉर्ड में प्रमुख चुनाव प्रहरी एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के संस्थापक जगदीप छोखर भी शामिल हैं, जिन्हें लवासा के साथ ही पेगासस ने टारगेट किया था.

सूची में वायरोलॉजिस्ट गगनदीप कांग का नाम भी शामिल है. वह COVID-19 के खिलाफ भारत की लड़ाई का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही हैं. उन्हें 2018 में संभावित निगरानी के लिए चुना गया था, जब वह निपाह वायरस के खिलाफ लड़ाई में मदद कर रही थी. लीक हुए डेटा में बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के भारत प्रमुख हरि मेनन और कम से कम एक अन्य फाउंडेशन कर्मचारी भी शामिल हैं, जिन्हें 2019 के मध्य में निगरानी के लिए चुना गया था. एक स्वास्थ्य-क्षेत्र गैर-लाभकारी और उस समय भारत में तैनात यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल का एक अधिकारी भी निगरानी का एक संभावित लक्ष्य था.

बता दें कि पेगासस इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप की ओर से विकसित स्पाइवेयर है. कंपनी का दावा है कि इसे आतंकवाद और अपराध की निगरानी के लिए सरकारों को बेचा जाता है.

ये भी पढ़ें : पेगासस विवाद : निशाने पर राहुल और उनके करीबी ?

Last Updated : Jul 19, 2021, 9:18 PM IST
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