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पेगासस विवाद : जांच आयोग गठन के खिलाफ याचिका पर केंद्र व बंगाल सरकार को नोटिस - न्यायामूर्ति सूर्यकांत

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को उस याचिका पर केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किए जिसमें पेगासस जासूसी के आरोपों की तफ्तीश करने के लिए जांच आयोग गठित करने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है.

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Published : Aug 18, 2021, 8:15 PM IST

नई दिल्ली : प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायामूर्ति सूर्यकांत और न्यायामूर्ति अनिरूद्ध बोस की तीन सदस्यीय पीठ ने याचिका पर केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किए और इस मामले को 25 अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया.

याची की ओर से पेश हुए वकील सौरभ मिश्रा ने पीठ से कहा कि उन्होंने राज्य सरकार द्वारा जांच आयोग के गठन के लिए जारी अधिसूचना को उसके अधिकार क्षेत्र के आधार पर चुनौती दी है. उन्होंने पीठ से कहा कि जांच आयोग ने सार्वजनिक सूचना जारी की है और रोजाना आधार पर कार्यवाही चल रही है. पीठ ने कहा कि इंतजार कीजिए, हम देखते हैं. पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि याचिका की प्रति प्रतिवादियों को भी दें.

वकील ने कहा कि याचिका में पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा पिछले महीने जासूसी के आरोपों की जांच के लिए जांच आयोग के गठन के संबंध में जारी अधिसूचना को अधिकार क्षेत्र के आधार पर चुनौती दी गई है. पीठ ने कहा कि समस्या आपके हलफनामे में अस्पष्टता से है. आप कहते हैं कि आप जांच चाहते हैं, साथ ही आप जांच आयोग का विरोध करते हैं. आपके हलफनामे एवं आपकी याचिका में निरंतरता होनी चाहिए.

केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले सोलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मामले में संवैधानिक प्रश्नों पर वह अदालत का सहयोग करेंगे. उन्होंने पीठ से कहा कि मैं इतना ही कह सकता हूं कि यह असंवैधानिक है. पश्चिम बंगाल सरकार ने शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति ज्योतिर्मय भट्टाचार्य को जांच आयोग का सदस्य बनाया है. इस आयोग के गठन की घोषणा राज्य सरकार ने पिछले महीने की थी.

यह भी पढ़ें-न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया पर मीडिया में अटकलें, खबरें बेहद दुर्भाग्यपूर्ण : प्रधान न्यायाधीश

अंतरराष्ट्रीय मीडिया के एक संघ ने खबर दी है कि भारत के 300 से ज्यादा सत्यापित फोन नंबर उस सूची में शामिल थे जिन्हें पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल कर निगरानी के लिए संभावित रूप से रखा गया था. इससे पहले मंगलवार को उच्चतम न्यायालय ने कथित पेगासस जासूसी कांड को लेकर दायर कई याचिकाओं पर केंद्र को नोटिस जारी किया था. इन याचिकाओं में कथित पेगासस जासूसी मामले में स्वतंत्र जांच की मांग की गई है.

(पीटीआई)

नई दिल्ली : प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायामूर्ति सूर्यकांत और न्यायामूर्ति अनिरूद्ध बोस की तीन सदस्यीय पीठ ने याचिका पर केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किए और इस मामले को 25 अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया.

याची की ओर से पेश हुए वकील सौरभ मिश्रा ने पीठ से कहा कि उन्होंने राज्य सरकार द्वारा जांच आयोग के गठन के लिए जारी अधिसूचना को उसके अधिकार क्षेत्र के आधार पर चुनौती दी है. उन्होंने पीठ से कहा कि जांच आयोग ने सार्वजनिक सूचना जारी की है और रोजाना आधार पर कार्यवाही चल रही है. पीठ ने कहा कि इंतजार कीजिए, हम देखते हैं. पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि याचिका की प्रति प्रतिवादियों को भी दें.

वकील ने कहा कि याचिका में पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा पिछले महीने जासूसी के आरोपों की जांच के लिए जांच आयोग के गठन के संबंध में जारी अधिसूचना को अधिकार क्षेत्र के आधार पर चुनौती दी गई है. पीठ ने कहा कि समस्या आपके हलफनामे में अस्पष्टता से है. आप कहते हैं कि आप जांच चाहते हैं, साथ ही आप जांच आयोग का विरोध करते हैं. आपके हलफनामे एवं आपकी याचिका में निरंतरता होनी चाहिए.

केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले सोलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मामले में संवैधानिक प्रश्नों पर वह अदालत का सहयोग करेंगे. उन्होंने पीठ से कहा कि मैं इतना ही कह सकता हूं कि यह असंवैधानिक है. पश्चिम बंगाल सरकार ने शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति ज्योतिर्मय भट्टाचार्य को जांच आयोग का सदस्य बनाया है. इस आयोग के गठन की घोषणा राज्य सरकार ने पिछले महीने की थी.

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अंतरराष्ट्रीय मीडिया के एक संघ ने खबर दी है कि भारत के 300 से ज्यादा सत्यापित फोन नंबर उस सूची में शामिल थे जिन्हें पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल कर निगरानी के लिए संभावित रूप से रखा गया था. इससे पहले मंगलवार को उच्चतम न्यायालय ने कथित पेगासस जासूसी कांड को लेकर दायर कई याचिकाओं पर केंद्र को नोटिस जारी किया था. इन याचिकाओं में कथित पेगासस जासूसी मामले में स्वतंत्र जांच की मांग की गई है.

(पीटीआई)

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