ETV Bharat / bharat

Bihar Caste Census: बिहार में जातीय जनगणना पर पटना हाईकोर्ट ने लगाई रोक, जानें कोर्ट का पूरा आदेश

बिहार में जातीय जनगणना पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी (Patna High Court stay on Caste based census ) है. बुधवार को ही इस मामले पर सुनवाई पूरी कर ली गई थी. इस पर फैसला सुरक्षित रखा गया था. गुरुवार को हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश दे दिया. पढ़ें पूरी खबर..

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : May 4, 2023, 3:20 PM IST

Updated : May 4, 2023, 10:47 PM IST

जातीय गणना पर पटना हाईकोर्ट ने लगाई रोक

पटना: बिहार में नीतीश-तेजस्वी सरकार को बड़ा झटका लगा है. राज्य सरकार की ओर से सूबे में जातीय गणना कराई जा रही थी. यह जातीय गणना का दूसरा चरण था. सरकार ने 15 मई तक इस चरण को पूरा करने की अवधि तय की थी. इससे पहले ही गणना को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए फिलहाल हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है. अब इस मामले को लेकर अगली सुनवाई अब 3 जुलाई को होगी.

ये भी पढ़ेंःBihar Caste Census: बिहार में जातीय जनगणना पर लगी रोक, पटना हाईकोर्ट का आदेश

बिहार में जातीय गणना पर रोक: हाईकोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में अब तक चली जातीय गणना का डाटा संरक्षित करने को भी कहा है. साथ ही राज्य सरकार को डाटा शेयर या उनका उपयोग फिलहाल नहीं करने का निर्देश दिया है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के डायरेक्शन के बाद जातीय गणना और आर्थिक सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली अखिलेश कुमार व अन्य की याचिकाओं पर हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ में पिछले दो दिनों से लगातार सुनवाई चल रही थी.

हाईकोर्ट का आदेश
हाईकोर्ट का आदेश

क्या थी याचिकाकर्ताओं की दलील: जातीय गणना को चुनौती देने वाली याचिका के याचिकाकर्ताओं की ओर से दीनू कुमार व ऋतु राज, अभिनव श्रीवास्तव ने और राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल पीके शाही व केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता नरेश दीक्षित ने कोर्ट के समक्ष पक्षों को प्रस्तुत किया. दीनू कुमार ने बताया कि राज्य सरकार जातीय गणना और आर्थिक सर्वेक्षण करा रही है. इसका अधिकार राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर है. उन्होंने बताया कि प्रावधानों के तहत इस तरह का सर्वेक्षण केंद्र सरकार करा सकती है. यह केंद्र के अधिकार क्षेत्र में आता है.

"राज्य सरकार जातीय गणना और आर्थिक सर्वेक्षण करा रही है. इसका अधिकार राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर है. बिहार में राज्य सरकार जो जातीय सर्वे करा रही है वह संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत है. प्रावधानों के तहत इस तरह का सर्वेक्षण केंद्र सरकार करा सकती है. कंटीजेंसी फंड का पांच सौ करोड़ रुपया गरीबों के कल्याण के लिए खर्च की जा सकती है. इसे ऐसे ही जातीय गणना पर सरकार खर्च नहीं कर सकती" - दीनू कुमार, याचिका कर्ता के अधिवक्ता

जातीय जनगणना का टाइमलाइन
जातीय जनगणना का टाइमलाइन

सरकार का क्या है पक्षः सुनवाई के दौरान बुधवार को कोर्ट ने जानना चाहा था कि जातियों के आधार पर गणना व आर्थिक सर्वेक्षण कराना क्या कानूनी बाध्यता है. कोर्ट ने ये भी पूछा था कि कि ये अधिकार राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार में है या नहीं. साथ ही ये भी जानना चाहा था कि इससे निजता का उल्लंघन होगा क्या. दूसरी तरफ राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल पीके शाही ने जातीय गणना को लेकर पक्ष रखा कि जन कल्याण की योजनाएं बनाने और सामाजिक स्तर सुधारने के लिए ये सर्वेक्षण कराया जा रहा है.

  • तेजस्वी यादव ने क्या कहा? : पटना हाईकोर्ट के जाति आधारित फैसले पर बिहार के डीप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा कि कोर्ट का निर्देश पढ़ने के बाद ही सरकार अपना अगला कदम उठाएगी. लेकिन यह जाति आधारित जनगणना नहीं था बल्कि सर्वे था. सरकार का कोई पहला सर्वे नहीं था. यह गणना जनता के हित में था और जनता की यह मांग थी.
  • जातीय जनगणना पर रोक, क्या बोली JDU: जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि सर्वदलीय सहमति बनी थी और उसी के आधार पर जाति गणना का फैसला किया गया था. अदालत का यह तात्कालिक आदेश है. इस मामले में गंभीरता से विचार करना चाहिए.
  • जातीय गणना पर रोक के बाद बीजेपी का तंज : बिहार बीजेपी अध्यक्ष अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि हाईकोर्ट में बिहार सरकार में सही से अपना पक्ष नहीं रखा. जिस वक्त जातीय गणना का फैसला हुआ था, बीजेपी सरकार में थी. आरजेडी सरकार में नहीं थी. आरजेडी वाले इसी तरह से क्रेडिट लेती है. ये लोग क्या आरक्षण की बात करेंगे.
  • क्या बोले उपेन्द्र कुशवाहा? : रालोजद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बिहार में अब रुचि नहीं है. जातीय जनगणना पर रोक के लिए पूरी तरह राज्य सरकार जिम्मेदार है. यह और कुछ नहीं बल्कि राज्य सरकार की लापरवाही है. यह नीतीश सरकार की जवाबदेही थी कि वो कोर्ट को बताती, समझाती. अब बिहार सरकार तुरंत सुप्रीम कोर्ट में अपील करें.

जातीय गणना पर पटना हाईकोर्ट ने लगाई रोक

पटना: बिहार में नीतीश-तेजस्वी सरकार को बड़ा झटका लगा है. राज्य सरकार की ओर से सूबे में जातीय गणना कराई जा रही थी. यह जातीय गणना का दूसरा चरण था. सरकार ने 15 मई तक इस चरण को पूरा करने की अवधि तय की थी. इससे पहले ही गणना को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए फिलहाल हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है. अब इस मामले को लेकर अगली सुनवाई अब 3 जुलाई को होगी.

ये भी पढ़ेंःBihar Caste Census: बिहार में जातीय जनगणना पर लगी रोक, पटना हाईकोर्ट का आदेश

बिहार में जातीय गणना पर रोक: हाईकोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में अब तक चली जातीय गणना का डाटा संरक्षित करने को भी कहा है. साथ ही राज्य सरकार को डाटा शेयर या उनका उपयोग फिलहाल नहीं करने का निर्देश दिया है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के डायरेक्शन के बाद जातीय गणना और आर्थिक सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली अखिलेश कुमार व अन्य की याचिकाओं पर हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ में पिछले दो दिनों से लगातार सुनवाई चल रही थी.

हाईकोर्ट का आदेश
हाईकोर्ट का आदेश

क्या थी याचिकाकर्ताओं की दलील: जातीय गणना को चुनौती देने वाली याचिका के याचिकाकर्ताओं की ओर से दीनू कुमार व ऋतु राज, अभिनव श्रीवास्तव ने और राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल पीके शाही व केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता नरेश दीक्षित ने कोर्ट के समक्ष पक्षों को प्रस्तुत किया. दीनू कुमार ने बताया कि राज्य सरकार जातीय गणना और आर्थिक सर्वेक्षण करा रही है. इसका अधिकार राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर है. उन्होंने बताया कि प्रावधानों के तहत इस तरह का सर्वेक्षण केंद्र सरकार करा सकती है. यह केंद्र के अधिकार क्षेत्र में आता है.

"राज्य सरकार जातीय गणना और आर्थिक सर्वेक्षण करा रही है. इसका अधिकार राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर है. बिहार में राज्य सरकार जो जातीय सर्वे करा रही है वह संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत है. प्रावधानों के तहत इस तरह का सर्वेक्षण केंद्र सरकार करा सकती है. कंटीजेंसी फंड का पांच सौ करोड़ रुपया गरीबों के कल्याण के लिए खर्च की जा सकती है. इसे ऐसे ही जातीय गणना पर सरकार खर्च नहीं कर सकती" - दीनू कुमार, याचिका कर्ता के अधिवक्ता

जातीय जनगणना का टाइमलाइन
जातीय जनगणना का टाइमलाइन

सरकार का क्या है पक्षः सुनवाई के दौरान बुधवार को कोर्ट ने जानना चाहा था कि जातियों के आधार पर गणना व आर्थिक सर्वेक्षण कराना क्या कानूनी बाध्यता है. कोर्ट ने ये भी पूछा था कि कि ये अधिकार राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार में है या नहीं. साथ ही ये भी जानना चाहा था कि इससे निजता का उल्लंघन होगा क्या. दूसरी तरफ राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल पीके शाही ने जातीय गणना को लेकर पक्ष रखा कि जन कल्याण की योजनाएं बनाने और सामाजिक स्तर सुधारने के लिए ये सर्वेक्षण कराया जा रहा है.

  • तेजस्वी यादव ने क्या कहा? : पटना हाईकोर्ट के जाति आधारित फैसले पर बिहार के डीप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा कि कोर्ट का निर्देश पढ़ने के बाद ही सरकार अपना अगला कदम उठाएगी. लेकिन यह जाति आधारित जनगणना नहीं था बल्कि सर्वे था. सरकार का कोई पहला सर्वे नहीं था. यह गणना जनता के हित में था और जनता की यह मांग थी.
  • जातीय जनगणना पर रोक, क्या बोली JDU: जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि सर्वदलीय सहमति बनी थी और उसी के आधार पर जाति गणना का फैसला किया गया था. अदालत का यह तात्कालिक आदेश है. इस मामले में गंभीरता से विचार करना चाहिए.
  • जातीय गणना पर रोक के बाद बीजेपी का तंज : बिहार बीजेपी अध्यक्ष अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि हाईकोर्ट में बिहार सरकार में सही से अपना पक्ष नहीं रखा. जिस वक्त जातीय गणना का फैसला हुआ था, बीजेपी सरकार में थी. आरजेडी सरकार में नहीं थी. आरजेडी वाले इसी तरह से क्रेडिट लेती है. ये लोग क्या आरक्षण की बात करेंगे.
  • क्या बोले उपेन्द्र कुशवाहा? : रालोजद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बिहार में अब रुचि नहीं है. जातीय जनगणना पर रोक के लिए पूरी तरह राज्य सरकार जिम्मेदार है. यह और कुछ नहीं बल्कि राज्य सरकार की लापरवाही है. यह नीतीश सरकार की जवाबदेही थी कि वो कोर्ट को बताती, समझाती. अब बिहार सरकार तुरंत सुप्रीम कोर्ट में अपील करें.
Last Updated : May 4, 2023, 10:47 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.