नई दिल्ली : जुलाई में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी दलों की राज्यसभा में कठिन परीक्षा है. 10 जून को ऊपरी सदन की 57 सीटों के लिए महामुकाबला है. राष्ट्रपति चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल में संसद सदस्य (राज्य सभा और लोकसभा दोनों) और राज्यों में विधान सभाओं के सदस्य होते हैं. सांसदों की कुल संख्या 776 है (राज्यसभा 233 लोकसभा 543 ) प्रत्येक सांसद के वोट का मूल्य 708 है. विधायकों के मामले में देश भर में कुल 4,120 वोट हैं. 1971 की जनगणना के अनुसार उनके वोट का मूल्य एक राज्य से दूसरे राज्य में बदलता रहता है. भाजपा जिसने हाल ही में असम, त्रिपुरा और नागालैंड से 3 सीटें जीतकर 245 सदस्यीय सदन में 101 पर पहुंच गई. उसके पास वर्तमान में 16 रिक्तियों के कारण राज्यसभा में 95 सदस्य हैं.
भाजपा की सहयोगी जद-यू के पास 4 जबकि कांग्रेस के 29, टीएमसी के 13, आप के 8, डीएमके के 10, राजद के 6, वाईएसआरसीपी के 6, टीआरएस के 6, राजद के 5 और एनसीपी के 4 सदस्य हैं. एनडीए को अभी भी एडवांटेज है, लेकिन भाजपा के लिए आगे बढ़ना आसान नहीं होगा, क्योंकि राज्य विधानसभाओं में भगवा पार्टी के विधायकों की संख्या वास्तव में इस साल यूपी, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में मार्च में 4/5 की जीत के बावजूद कम हुई है. आप ने मार्च में पंजाब में जीत हासिल की थी. यह भाजपा को राज्यसभा में संख्या हासिल करने के लिए और अधिक प्रयास करने के लिए मजबूर करेगा, जबकि विपक्षी दलों पर भी अपनी घटती संख्या को बढ़ाने का दबाव होगा.
राज्य सभा की जिन 57 सीटों के लिए 10 जून को मतदान होना है वह 15 राज्यों में फैली हुई हैं, जबकि मनोनीत सांसदों की सात सीटें भी खाली हैं. राज्यवार विवरण से पता चलता है कि उत्तर प्रदेश में 11, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में 6-6, बिहार में 5, कर्नाटक, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश में 4-4, ओडिशा में 3, पंजाब, झारखंड में 2-2 सीटें हैं. जबकि हरियाणा, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना और उत्तराखंड में एक-एक सीट है.
इधर, भाजपा जिसके पास 57 में 23 सीटें हैं उसे कांग्रेस के खिलाफ बढ़त हासिल है. कांग्रेस के पास सिर्फ 8 सीटें हैं. भाजपा को पार्टी शासित यूपी, एमपी, कर्नाटक, हरियाणा, ओडिशा और बिहार में जहां वह जद (यू) के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा है, बढ़त हासिल होगी. कांग्रेस को झारखंड के अलावा पार्टी शासित राजस्थान और छत्तीसगढ़ में फायदा होगा. झारखंड में वह झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन का हिस्सा है. क्षेत्रीय दलों में द्रमुक और आम आदमी पार्टी उच्च सदन में अपनी संख्या बढ़ाने के लिए तैयार हैं, जबकि टीआरएस को तेलंगाना में फायदा होगा.
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भाजपा जिसके पास लोकसभा में 301/543 का प्रचंड बहुमत है, हालांकि वह राज्यसभा में और संख्या जोड़ना चाहती है ताकि विधेयकों को पास कराने में आसानी हो, क्योंकि अक्सर एकजुट विपक्ष से उसे बाधाओं का सामना करना पड़ता है. भाजपा के जिन प्रमुख चेहरों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है, उनमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी हैं. हालांकि, सत्ताधारी दल के लिए उन्हें फिर से निर्वाचित करना आसान होगा. पी चिदंबरम, कपिल सिब्बल, जयराम रमेश और अंबिका सोनी जैसे कांग्रेस के कई दिग्गजों का कार्यकाल भी खत्म होने वाला है.