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रक्षा मामलों की संसदीय समिति पैंगोंग और गलवान घाटी का करेगी दौरा

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Published : Feb 13, 2021, 7:25 AM IST

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को संसद में कहा कि भारत का मुख्य मकसद पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति कायम करना है. पैंगोंग त्सो के दक्षिण तट पर टकराव के बिंदु से युद्धक टैंक और बख्तरबंद वाहनों को हटाया जा रहा है. वहीं रक्षा संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में गलवान घाटी और पैंगोंग त्सो जाने का निर्णय लिया है.

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नई दिल्ली : रक्षा संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में गलवान घाटी और पैंगोंग झील का दौरा करने का फैसला किया है. यह वह क्षेत्र है जहां भारत और चीन की सेनाओं के बीच हिंसक गतिरोध हुआ था. राहुल गांधी भी इस समिति के सदस्य हैं.

इन क्षेत्रों का दौरा करने का निर्णय पैनल की पिछली बैठक में लिया गया था, जिसमें राहुल गांधी शामिल नहीं थे, सूत्रों ने कहा, चूंकि पैनल एलएसी का दौरा करना चाहता है. वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जाने के लिए समिति को सरकार से मंजूरी लेनी होगी.

वहीं पूर्वी लद्दाख में पैंगोग त्सो (झील) इलाके में सैनिकों को पीछे हटाने के लिए चीन के साथ समझौते के बाद बीजिंग और भारत की सेनाएं इस इलाके में सैनिकों की संख्या को लगातार कम कर रही हैं और बख्तरबंद वाहनों को पीछे ले जा रही हैं. सेना के सूत्रों ने शुक्रवार को यह बात कही.

हटाए जा रहे युद्धक टैंक और बख्तरबंद वाहन

उन्होंने बताया कि पैंगोंग त्सो के दक्षिण तट पर टकराव के बिंदु से युद्धक टैंक और बख्तरबंद वाहनों को हटाया जा रहा है, जबकि उत्तरी तट के क्षेत्रों से जवानों को वापस बुलाया जा रहा है.

सूत्रों ने यह भी बताया कि बख्तरबंद वाहनों की वापसी का काम लगभग पूरा हो गया है और दोनों पक्षों द्वारा बनाए गए अस्थायी ढांचों को अगले कुछ दिन में गिराया जाएगा.

इस संबंध में एक सूत्र ने कहा, 'पीछे हटने की प्रक्रिया में वक्त लगेगा, क्योंकि दोनों ही पक्ष सैनिकों और सैन्य वाहनों को वापस बुलाने की सत्यापन प्रक्रिया एक साथ कर रहे हैं.'

सूत्रों ने बताया कि जवानों और बख्तरबंद वाहनों की वापसी केवल टकराव के बिंदु वाले स्थानों से ही हो रही है जहां दोनों ओर के जवान बिलकुल आमने-सामने थे.

रक्षा मंत्री ने दी जानकारी

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को बताया था कि चीन के साथ पैंगोंग झील के उत्तरी एवं दक्षिणी किनारों पर सेनाओं के पीछे हटने का समझौता हो गया है और भारत ने इस बातचीत में कुछ भी खोया नहीं है.

रक्षा मंत्री सिंह ने बताया कि पैंगोंग झील क्षेत्र में चीन के साथ सेनाओं के पीछे हटने का जो समझौता हुआ है, उसके अनुसार दोनों पक्ष अग्रिम तैनाती चरणबद्ध तरीके से हटाएंगे.

पढ़ेंः भारत -चीन मसले पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की 10 बड़ी बातें

सीमा पर नौ महीने तक गतिरोध जारी रहने के बाद यह सफलता मिली है.

राजाथ ने कहा, 'चीन अपनी सेना की टुकड़ियों को उत्तरी किनारे में फिंगर आठ के पूर्व की की तरफ रखेगा. इसी तरह भारत भी अपनी सेना की टुकडि़यों को फिंगर तीन के पास अपने स्थायी ठिकाने धन सिंह थापा पोस्ट पर रखेगा.'

उन्होंने कहा कि इसी तरह की कार्रवाई दक्षिणी किनारे वाले क्षेत्र में भी दोनों पक्षों द्वारा की जाएगी.

वरिष्ठ कमांडर स्तर की बातचीत

ज्ञात हो कि चीनी सेना ने फिंगर-4 और फिंगर-8 के बीच के क्षेत्रों में बंकरों समेत कई विभिन्न निर्माण कार्यों का अंजाम दिया था और फिंगर-4 से आगे भारतीय सेना की गश्त बाधित कर दी थी. भारतीय सेना ने इसका पुरजोर विरोध करते हुए प्रतिक्रिया व्यक्त की.

चीन के साथ नौ दौर की सैन्य वार्ता में भारत ने पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर फिंगर-4 से फिंगर-8 के बीच चीनी सेनाओं को हटाए जाने पर जोर दिया.

राजनाथ सिंह ने कहा, 'इस बात पर भी सहमति हो गई है कि पैंगोंग झील से पूर्ण तरीके से सेनाओं के पीछे हटने के 48 घंटे के अंदर वरिष्ठ कमांडर स्तर की बातचीत हो तथा बाकी बचे हुए मुद्दों पर भी हल निकाला जाए.

पढ़ेंः अमेरिका ने एलएसी पर तनाव कम करने के भारत-चीन के प्रयासों का किया स्वागत

रक्षा मंत्री ने कहा कि समझौते पर बुधवार से अमल शुरू कर दिया गया है.

उन्होंने शुक्रवार को कहा कि अन्य लंबित 'समस्याओं' को अगली वार्ताओं में उठाया जाएगा.

नई दिल्ली : रक्षा संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में गलवान घाटी और पैंगोंग झील का दौरा करने का फैसला किया है. यह वह क्षेत्र है जहां भारत और चीन की सेनाओं के बीच हिंसक गतिरोध हुआ था. राहुल गांधी भी इस समिति के सदस्य हैं.

इन क्षेत्रों का दौरा करने का निर्णय पैनल की पिछली बैठक में लिया गया था, जिसमें राहुल गांधी शामिल नहीं थे, सूत्रों ने कहा, चूंकि पैनल एलएसी का दौरा करना चाहता है. वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जाने के लिए समिति को सरकार से मंजूरी लेनी होगी.

वहीं पूर्वी लद्दाख में पैंगोग त्सो (झील) इलाके में सैनिकों को पीछे हटाने के लिए चीन के साथ समझौते के बाद बीजिंग और भारत की सेनाएं इस इलाके में सैनिकों की संख्या को लगातार कम कर रही हैं और बख्तरबंद वाहनों को पीछे ले जा रही हैं. सेना के सूत्रों ने शुक्रवार को यह बात कही.

हटाए जा रहे युद्धक टैंक और बख्तरबंद वाहन

उन्होंने बताया कि पैंगोंग त्सो के दक्षिण तट पर टकराव के बिंदु से युद्धक टैंक और बख्तरबंद वाहनों को हटाया जा रहा है, जबकि उत्तरी तट के क्षेत्रों से जवानों को वापस बुलाया जा रहा है.

सूत्रों ने यह भी बताया कि बख्तरबंद वाहनों की वापसी का काम लगभग पूरा हो गया है और दोनों पक्षों द्वारा बनाए गए अस्थायी ढांचों को अगले कुछ दिन में गिराया जाएगा.

इस संबंध में एक सूत्र ने कहा, 'पीछे हटने की प्रक्रिया में वक्त लगेगा, क्योंकि दोनों ही पक्ष सैनिकों और सैन्य वाहनों को वापस बुलाने की सत्यापन प्रक्रिया एक साथ कर रहे हैं.'

सूत्रों ने बताया कि जवानों और बख्तरबंद वाहनों की वापसी केवल टकराव के बिंदु वाले स्थानों से ही हो रही है जहां दोनों ओर के जवान बिलकुल आमने-सामने थे.

रक्षा मंत्री ने दी जानकारी

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को बताया था कि चीन के साथ पैंगोंग झील के उत्तरी एवं दक्षिणी किनारों पर सेनाओं के पीछे हटने का समझौता हो गया है और भारत ने इस बातचीत में कुछ भी खोया नहीं है.

रक्षा मंत्री सिंह ने बताया कि पैंगोंग झील क्षेत्र में चीन के साथ सेनाओं के पीछे हटने का जो समझौता हुआ है, उसके अनुसार दोनों पक्ष अग्रिम तैनाती चरणबद्ध तरीके से हटाएंगे.

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सीमा पर नौ महीने तक गतिरोध जारी रहने के बाद यह सफलता मिली है.

राजाथ ने कहा, 'चीन अपनी सेना की टुकड़ियों को उत्तरी किनारे में फिंगर आठ के पूर्व की की तरफ रखेगा. इसी तरह भारत भी अपनी सेना की टुकडि़यों को फिंगर तीन के पास अपने स्थायी ठिकाने धन सिंह थापा पोस्ट पर रखेगा.'

उन्होंने कहा कि इसी तरह की कार्रवाई दक्षिणी किनारे वाले क्षेत्र में भी दोनों पक्षों द्वारा की जाएगी.

वरिष्ठ कमांडर स्तर की बातचीत

ज्ञात हो कि चीनी सेना ने फिंगर-4 और फिंगर-8 के बीच के क्षेत्रों में बंकरों समेत कई विभिन्न निर्माण कार्यों का अंजाम दिया था और फिंगर-4 से आगे भारतीय सेना की गश्त बाधित कर दी थी. भारतीय सेना ने इसका पुरजोर विरोध करते हुए प्रतिक्रिया व्यक्त की.

चीन के साथ नौ दौर की सैन्य वार्ता में भारत ने पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर फिंगर-4 से फिंगर-8 के बीच चीनी सेनाओं को हटाए जाने पर जोर दिया.

राजनाथ सिंह ने कहा, 'इस बात पर भी सहमति हो गई है कि पैंगोंग झील से पूर्ण तरीके से सेनाओं के पीछे हटने के 48 घंटे के अंदर वरिष्ठ कमांडर स्तर की बातचीत हो तथा बाकी बचे हुए मुद्दों पर भी हल निकाला जाए.

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रक्षा मंत्री ने कहा कि समझौते पर बुधवार से अमल शुरू कर दिया गया है.

उन्होंने शुक्रवार को कहा कि अन्य लंबित 'समस्याओं' को अगली वार्ताओं में उठाया जाएगा.

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