नई दिल्ली: ऐसे समय में जब केंद्र सरकार देश भर में प्राचीन स्मारकों के संरक्षण पर अधिक ध्यान देने का दावा कर रही है. सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में कुल 3693 केंद्रीय रूप से संरक्षित स्मारकों (सीपीएम) (centrally protected monuments) में महज 248 संरक्षित स्मारकों पर सुरक्षा गार्ड तैनात हैं. यह सीपीएम की कुल संख्या के लगभग 6.7 प्रतिशत से भी कम है. परिवहन, पर्यटन और संस्कृति पर एक संसदीय स्थायी समिति ने भी इस तथ्य पर कड़ा संज्ञान लिया कि स्मारकों की सुरक्षा के लिए 7000 कर्मियों की कुल आवश्यकता में से, सरकार बजट की कमी के कारण 248 स्थानों पर केवल 2578 सुरक्षा कर्मियों तैनात हैं.
राज्यसभा सांसद टीजी वेंकटेश की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कहा कि बजट की कमी हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए सुरक्षा गार्ड उपलब्ध नहीं कराने का बहाना नहीं होनी चाहिए. हमारे सांस्कृतिक विरासत स्थलों की रक्षा करना आज की सरकार का अनिवार्य कर्तव्य है. सरकार द्वारा स्मारकों की सुरक्षा के लिए 7000 कर्मियों की नियुक्ति के लिए बजट प्रदान किया जा सकता है. इस मौजूदा स्थिति को देखते हुए, समिति का दृढ़ मत है कि केंद्रीय संरक्षित स्मारकों की सुरक्षा के लिए मंत्रालय और एएसआई के पास उपलब्ध बजटीय आवंटन पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है.
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समिति ने अनुशंसा कि है कि मंत्रालय और साथ ही एएसआई सुरक्षा आवश्यकताओं और इसके लिए आवश्यक बजटीय आवंटन का तत्काल गहन मूल्यांकन कर सकते हैं. इस उद्देश्य के लिए अतिरिक्त धन के आवंटन का अनुरोध करने के लिए वित्त मंत्रालय को कहा जा सकता है. ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए देश भर में सभी केंद्रीय संरक्षित स्मारकों के लिए सुरक्षा की एक बुनियादी स्थिति सुनिश्चित की जा सके. संसदीय समिति ने कहा कि स्थानीय पंचायतों और पुलिस को स्मारकों की सुरक्षा में शामिल किया जा सकता है और यदि आवश्यक हो, तो इस संबंध में एएमएएसआर अधिनियम में संशोधन किया जा सकता है.
समिति ने यह भी नोट किया कि विभिन्न महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्मारक और स्थल जैसे पेड्डाथुम्बलम गांव, अदोनी तालुका में राम मंदिर; कुरनूल आदि में केथवरम रॉक आर्ट्स और बेलम गुफाएं, जो हालांकि केंद्रीय संरक्षित स्मारकों की सूची में नहीं हैं, उच्च ऐतिहासिक महत्व के हैं, लेकिन वहां ना तो सुरक्षा गार्ड हैं और ना ही उचित सड़क संपर्क. समिति का मानना है कि देश भर में केंद्रीय संरक्षित स्मारकों (सीपीएम) की निगरानी के लिए उपग्रह इमेजरी का उपयोग करने की गुंजाइश है. ताकि इन स्थलों में अतिक्रमण और किसी भी अवैध निर्माण की गतिविधियों को रोका जा सके.
सैटेलाइट इमेजरी का उपयोग उन स्मारकों का पता लगाने के लिए भी किया जा सकता है जो अभी हमारी जानकारी में नहीं है. यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि भविष्य में कोई भी स्मारक हमारी जानकारी से बाहर ना रहे. इसके लिए भी उपग्रह इमेजरी का उपयोग किया जाना चाहिए. समिति की सिफारिश थी कि एएसआई इसरो से संपर्क कर सकता है और, यदि संभव हो तो, उपर्युक्त उद्देश्यों के लिए इसरो के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर कर सकता है. हालांकि, अपने जवाब में संस्कृति मंत्रालय के प्रतिनिधियों ने कहा कि एएसआई स्मारकों, स्थलों और संग्रहालयों की सुरक्षा संबंधित प्राधिकरण द्वारा समीक्षा की जा रही है और सिफारिश के आधार पर सभी स्मारकों पर सुरक्षा प्रदान करने के लिए लगभग 7,000 कर्मियों की आवश्यकता पर काम किया गया था.
स्मारकों, स्थलों और संग्रहालयों की सुरक्षा के लिए 248 स्थानों पर सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया है. बजट की कमी के कारण 2578 सुरक्षा कर्मियों को ही तैनात किया जा सकता है. मंत्रालय ने कहा कि उपरोक्त के अलावा, 596 सीआईएसएफ कर्मियों (लाल किले, दिल्ली में 317 और ताजमहल, आगरा में 279) को भी उपरोक्त विश्व धरोहर स्थलों की सुरक्षा के लिए तैनात किया गया है. इस मुद्दे पर संपर्क करने पर, लोकसभा सांसद और परिवहन, पर्यटन और संस्कृति पर संसदीय समिति के सदस्य, तपीर गाओ ने आश्चर्य व्यक्त किया कि केंद्र द्वारा संरक्षित स्मारकों की सुरक्षा के लिए एक छोटा बजटीय आवंटन प्रदान किया जा रहा है. गाओ ने ईटीवी भारत से कहा कि अधिकांश स्मारक ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के हैं. इन स्मारकों के संरक्षण के लिए पर्याप्त बजट आवंटित किया जाना चाहिए. उन्होंने दावा किया कि लापरवाही के कारण देश भर में ऐतिहासिक महत्व के कई स्मारकों को नुकसान हो रहा है.
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