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सैन्य उपकरणों में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने को लेकर संसदीय समिति ने की रक्षा मंत्रालय की तारीफ

एक संसदीय समिति ने रक्षा उपकरणों की खरीद के संबंध में संसद में रिपोर्ट पेश की है. समिति ने सैन्य उपकरणों में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने को लेकर रक्षा मंत्रालय की तारीफ की है.

Parliamentary Committee
सदीय समिति ने की रक्षा मंत्रालय की तारीफ
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Published : Aug 11, 2023, 3:00 PM IST

नई दिल्ली : संसद की एक समिति (Parliamentary Committee) ने सैन्य उपकरणों में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के उद्देश्य को हासिल करने के उद्देश्य 'समन्वित प्रयासों' के लिए रक्षा मंत्रालय की सराहना की है.

रक्षा पर स्थायी समिति ने यह भी कहा कि 2018-19 के बाद से घरेलू स्रोतों से खरीद पर खर्च में वृद्धि देखी गई है. समिति ने संसद में गुरुवार को पेश एक रिपोर्ट में कहा कि घरेलू रक्षा विनिर्माताओं से खरीद का प्रतिशत 2020-21 में 63.6 प्रतिशत रहा जो 2018-19 में 54 प्रतिशत था.

रक्षा बजट में बजटीय आवंटन और वास्तविक परिव्यय की परियोजनाओं के बीच अंतर का उल्लेख करते हुए समिति ने व्यावहारिक बजटीय अनुमानों के लिए एक विधि तैयार करने की सिफारिश की.

समिति ने पाया कि संशोधित अनुमान स्तर पर निधियों के अधिक आवंटन की प्रकृति में अधिक अनुमानों की प्रवृत्ति वांछनीय नहीं है. रिपोर्ट में कहा गया है, 'समिति को यह जानकर खुशी है कि रक्षा क्षेत्रों में 'आत्मनिर्भर भारत' के उद्देश्य को साकार करने के लिए समन्वित प्रयास किए जा रहे हैं.'

भाजपा सांसद जुएल ओराम की अध्यक्षता वाली समिति ने भविष्य की परियोजनाओं के लिए उपकरणों के स्वदेशीकरण के लिए किए गए प्रयासों पर खुशी व्यक्त की.

रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति को अवगत कराया गया है कि कुछ महत्वपूर्ण घटक हैं जो विभिन्न अपरिहार्य कारणों से स्वदेशी रूप से उत्पादित नहीं हैं. इसमें कहा गया है, 'इस संबंध में समिति को उम्मीद है कि रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (डीपीएसयू) में गठित स्वदेशीकरण प्रकोष्ठ युद्धपोतों और पनडुब्बियों के लिए आवश्यक कुछ महत्वपूर्ण उपकरणों व वस्तुओं का सफलतापूर्वक स्वदेशीकरण करने में सक्षम होगा.'

समिति ने यह भी कहा कि फरवरी, 2022 तक नौ डीपीएसयू की संचयी ऑर्डर बुक की स्थिति 2,48,487 करोड़ रुपये थी. रिपोर्ट में कहा गया है, 'प्रत्येक डीपीएसयू की ऑर्डर बुक स्थिति के बारे में मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों की जांच करने के बाद, यह अनुमान लगाया गया है कि नौ डीपीएसयू में से हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (एचएसएल) और मिश्रा धातु निगम लिमिटेड (मिधानी) का ऑर्डर बुक वैल्यू अन्य डीपीएसयू की तुलना में काफी कम है.'

इसमें कहा गया है कि 31 दिसंबर, 2022 तक हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड की ऑर्डर बुक की स्थिति 83,707 करोड़ रुपये थी. इसमें हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस एमके 1, एलसीए एमके 1 ए और हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टरों के लिए प्लेटफॉर्म विनिर्माण आदेश शामिल हैं.

वास्तविक आवंटन में लगभग एक लाख करोड़ रुपये का अंतर : रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि तटरक्षक संगठन में स्वीकृत संख्या की तुलना में कर्मियों की लगभग 17 प्रतिशत कमी है. समिति ने यह भी पाया कि सशस्त्र बलों की मांग और 2022-23 के रक्षा बजट में किए गए वास्तविक आवंटन में लगभग एक लाख करोड़ रुपये का अंतर है.

रक्षा मंत्रालय ने समिति को बताया कि बजट अनुमान स्तर पर अधिक अनुमान संशोधित अनुमान स्तर पर आवंटन बढ़ाने का औचित्य बन जाता है, जिसमें कहा गया है कि मंत्रालयों व संगठनों की खर्च करने की क्षमता के आधार पर वित्त मंत्रालय द्वारा अतिरिक्त धन आवंटित किया जाता है.

रिपोर्ट में कहा गया है, 'समिति ने रक्षा मंत्रालय के इस आश्वासन पर भी गौर किया कि रक्षा सेवाओं की परिचालन तैयारियां प्रभावित नहीं होंगी और संशोधित अनुमान स्तर पर जरूरत पड़ने पर धन के अतिरिक्त आवंटन के लिए वित्त मंत्रालय से संपर्क किया जाएगा.'

समिति ने कहा, 'इस संदर्भ में समिति का मानना है कि मंत्रालय की इस बात की पुष्टि के बावजूद कि धन की कमी के कारण सेवाओं की परिचालन तैयारियों से समझौता नहीं किया जाएगा और यदि जरूरत पड़ी तो संशोधित अनुमान स्तर पर अतिरिक्त धन की मांग की जाएगी, अनुमानित और आवंटित धन के बीच भारी अंतर चिंता का विषय है.

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(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : संसद की एक समिति (Parliamentary Committee) ने सैन्य उपकरणों में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के उद्देश्य को हासिल करने के उद्देश्य 'समन्वित प्रयासों' के लिए रक्षा मंत्रालय की सराहना की है.

रक्षा पर स्थायी समिति ने यह भी कहा कि 2018-19 के बाद से घरेलू स्रोतों से खरीद पर खर्च में वृद्धि देखी गई है. समिति ने संसद में गुरुवार को पेश एक रिपोर्ट में कहा कि घरेलू रक्षा विनिर्माताओं से खरीद का प्रतिशत 2020-21 में 63.6 प्रतिशत रहा जो 2018-19 में 54 प्रतिशत था.

रक्षा बजट में बजटीय आवंटन और वास्तविक परिव्यय की परियोजनाओं के बीच अंतर का उल्लेख करते हुए समिति ने व्यावहारिक बजटीय अनुमानों के लिए एक विधि तैयार करने की सिफारिश की.

समिति ने पाया कि संशोधित अनुमान स्तर पर निधियों के अधिक आवंटन की प्रकृति में अधिक अनुमानों की प्रवृत्ति वांछनीय नहीं है. रिपोर्ट में कहा गया है, 'समिति को यह जानकर खुशी है कि रक्षा क्षेत्रों में 'आत्मनिर्भर भारत' के उद्देश्य को साकार करने के लिए समन्वित प्रयास किए जा रहे हैं.'

भाजपा सांसद जुएल ओराम की अध्यक्षता वाली समिति ने भविष्य की परियोजनाओं के लिए उपकरणों के स्वदेशीकरण के लिए किए गए प्रयासों पर खुशी व्यक्त की.

रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति को अवगत कराया गया है कि कुछ महत्वपूर्ण घटक हैं जो विभिन्न अपरिहार्य कारणों से स्वदेशी रूप से उत्पादित नहीं हैं. इसमें कहा गया है, 'इस संबंध में समिति को उम्मीद है कि रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (डीपीएसयू) में गठित स्वदेशीकरण प्रकोष्ठ युद्धपोतों और पनडुब्बियों के लिए आवश्यक कुछ महत्वपूर्ण उपकरणों व वस्तुओं का सफलतापूर्वक स्वदेशीकरण करने में सक्षम होगा.'

समिति ने यह भी कहा कि फरवरी, 2022 तक नौ डीपीएसयू की संचयी ऑर्डर बुक की स्थिति 2,48,487 करोड़ रुपये थी. रिपोर्ट में कहा गया है, 'प्रत्येक डीपीएसयू की ऑर्डर बुक स्थिति के बारे में मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों की जांच करने के बाद, यह अनुमान लगाया गया है कि नौ डीपीएसयू में से हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (एचएसएल) और मिश्रा धातु निगम लिमिटेड (मिधानी) का ऑर्डर बुक वैल्यू अन्य डीपीएसयू की तुलना में काफी कम है.'

इसमें कहा गया है कि 31 दिसंबर, 2022 तक हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड की ऑर्डर बुक की स्थिति 83,707 करोड़ रुपये थी. इसमें हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस एमके 1, एलसीए एमके 1 ए और हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टरों के लिए प्लेटफॉर्म विनिर्माण आदेश शामिल हैं.

वास्तविक आवंटन में लगभग एक लाख करोड़ रुपये का अंतर : रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि तटरक्षक संगठन में स्वीकृत संख्या की तुलना में कर्मियों की लगभग 17 प्रतिशत कमी है. समिति ने यह भी पाया कि सशस्त्र बलों की मांग और 2022-23 के रक्षा बजट में किए गए वास्तविक आवंटन में लगभग एक लाख करोड़ रुपये का अंतर है.

रक्षा मंत्रालय ने समिति को बताया कि बजट अनुमान स्तर पर अधिक अनुमान संशोधित अनुमान स्तर पर आवंटन बढ़ाने का औचित्य बन जाता है, जिसमें कहा गया है कि मंत्रालयों व संगठनों की खर्च करने की क्षमता के आधार पर वित्त मंत्रालय द्वारा अतिरिक्त धन आवंटित किया जाता है.

रिपोर्ट में कहा गया है, 'समिति ने रक्षा मंत्रालय के इस आश्वासन पर भी गौर किया कि रक्षा सेवाओं की परिचालन तैयारियां प्रभावित नहीं होंगी और संशोधित अनुमान स्तर पर जरूरत पड़ने पर धन के अतिरिक्त आवंटन के लिए वित्त मंत्रालय से संपर्क किया जाएगा.'

समिति ने कहा, 'इस संदर्भ में समिति का मानना है कि मंत्रालय की इस बात की पुष्टि के बावजूद कि धन की कमी के कारण सेवाओं की परिचालन तैयारियों से समझौता नहीं किया जाएगा और यदि जरूरत पड़ी तो संशोधित अनुमान स्तर पर अतिरिक्त धन की मांग की जाएगी, अनुमानित और आवंटित धन के बीच भारी अंतर चिंता का विषय है.

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