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'अंतर्देशीय जलयान विधेयक, 2021' संसद में पास, राष्ट्रपति से मंजूरी का इंतजार

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Published : Aug 3, 2021, 1:08 PM IST

Updated : Aug 22, 2021, 8:49 AM IST

संसद ने सोमवार को अंतर्देशीय जलयान विधेयक 2021 (Inland Vessels Bill, 2021) पास किया, जिसमें नदियों में जहाजों की सुरक्षा, पंजीकरण एवं सुगम परिचालन सुनिश्चित करने के लिए प्रावधान किये गये हैं. पढ़ें पूरी खबर...

संसद
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नई दिल्ली : संसद ने सोमवार को अंतर्देशीय जलयान विधेयक 2021 (Inland Vessels Bill, 2021) पास किया, जिसमें नदियों में जहाजों की सुरक्षा, पंजीकरण एवं सुगम परिचालन सुनिश्चित करने के लिए प्रावधान किये गये हैं. लोकसभा में भी यह विधेयक हंगामे के बीच ही पारित हुआ था.

इसका उद्देश्य 100 साल पुराने अंतर्देशीय जलयान विधेयक 1917 को बदलना और अंतर्देशीय जल परिवहन क्षेत्र में एक नए युग की शुरूआत करना है. यहीं नहीं बल्कि इसका उद्देश्य पीएम मोदी के विजन को साकार करना भी है जिसमें विधायी ढाचें को उपयोगकर्ता के अनुकुल बनाना और व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देना है.

इस विधेयक को पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने राज्य सभा में पेश किया. अब यह बिल मंजूरी के लिए राष्ट्रपति को भेजा जाएगा.

चर्चा का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि नदी में परिचालन करने वाले जहाजों का पंजीकरण एवं परिचालन संबंधी व्यवस्था अभी भारतीय जहाज अधिनियम के दायरे में आती है. यह कानून 1917 में बनाया गया था और काफी पुराना हो गया है. उस समय सभी राज्यों के अपने-अपने नियमन थे. एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने के लिए मंजूरी लेनी पड़ती थी और इससे समस्या पैदा होती थी. ऐसे में जहाजों की सुरक्षा, पंजीकरण एवं सुगम परिचालन के उद्देश्य से यह विधेयक लाया गया है.

उन्होंने बताया कि सरकार ने पहले भी इसके लिए कई पहल की थी, जिसमें 111 जलमार्ग को राष्ट्रीय जलमार्ग के रूप में घोषित किया था.

1917 के अंतर्देशीय जलयान अधिनियम को सीमित प्रयोज्यता और उद्देश्यों वाले शुद्ध समेकित कानून के रूप में माना गया था। इस अधिनियम में 1977 और 2007 में किए गए कई संशोधन और अंतिम प्रमुख संशोधन किए गए थे। इस अधिनियम में राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र के भीतर यांत्रिक रूप से चालित जहाजों के प्रतिबंधात्मक आंदोलन, समर्थन की आवश्यकता, सीमित प्रयोज्यता और प्रमाण पत्र की वैधता, गैर-समान मानकों के प्रावधान थे। एक राज्य से दूसरे राज्य में अलग-अलग नियमों के कारण राज्यों में निर्बाध नेविगेशन और क्षेत्र के विकास में बाधाएं और बाधाएं आईं.

पढ़ें : लोकसभा में अंतर्देशीय जलयान विधेयक पेश

मंत्री ने जोर देकर कहा कि एक नई कानूनी व्यवस्था की आवश्यकता है, जो भविष्य के तकनीकी विकास के लिए अनुकूल और अपनाने योग्य हो. जो व्यापार और परिवहन की वर्तमान और भविष्य की संभावनाओं को को सुगम बनाने व अंतर्देशीय जहाजों द्वारा सुरक्षित नेविगेशन को सुविधाजनक बनाने में सक्षम हो.

सरकार का कहना है कि भीड़भाड़ वाली सड़क और रेल नेटवर्क के समांतर परिवहन के एक पूरक और पर्यावरण के अनुकूल साधन के रूप में बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई पहल किए हैं. सरकार के मुताबिक 111 जलमार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग के तौर पर घोषित किया गया है.

1917 के अंतर्देशीय पोत अधिनियम की परिकल्पना सीमित कार्यान्वयन और उद्देश्यों वाले एक शुद्ध समेकित कानून के रूप में की गई थी. इस अधिनियम में कई संशोधन किए गए और पिछले महत्वपूर्ण संशोधन 1977 और 2007 में किए गए थे.

इस अधिनियम में राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र के भीतर यांत्रिक रूप से चालित जहाजों के प्रतिबंधात्मक आवाजाही, अनुमोदन की आवश्यकता, सीमित कार्यान्वयन और प्रमाण-पत्र की वैधता, असमान मानकों एवं विनियमों से जुड़े प्रावधान शामिल थे,जिनके राज्य दर राज्य अलग-अलग होने के कारण विभिन्न राज्यों के बीच निर्बाध नौचालन और इस क्षेत्र के विकास में बाधाएं और अड़चनें आईं.

केन्द्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि एक ऐसी नई कानूनी व्यवस्था की जरूरत थी, जोकि भविष्य के तकनीकी विकास के अनुकूल और अनुरूप हो, व्यापार और परिवहन की वर्तमान एवं भविष्य की संभावनाओं और अंतर्देशीय जहाजों द्वारा सुरक्षित नौचालन को सुविधाजनक बनाने में सक्षम हो.

सरकार ने अंतर्देशीय पोत विधेयक, 2021 (Inland Vessels Bill, 2021) के कई लाभ गिनाए हैं. सरकार के मुताबिक नया अधिनियम अंतर्देशीय जहाजों के सामंजस्यपूर्ण एवं प्रभावी विनियमन और विभिन्न राज्यों के बीच उनके निर्बाध और सुरक्षित परिचालन की सुविधा प्रदान करेगा.

इसके अन्य लाभों में शामिल हैं:

  • अंतर्देशीय जलमार्गों का उपयोग करते हुए निर्बाध, सुरक्षित और किफायती व्यापार एवं परिवहन सुनिश्चित करने के लिए नियमों और विनियमों काएक समान कार्यान्वयन.
  • यांत्रिक रूप से चालित जहाजों के वर्गीकरण और वर्गीकरण के मानकों का निर्धारण, जहाजों के पंजीकरण से जुड़े मानक और प्रक्रियाएं; केन्द्र सरकार द्वारा विशेष श्रेणी के जहाजों की पहचान एवं उनके वर्गीकरण से जुड़े मानकआदि और राज्य सरकारों द्वारा निर्धारित मानकों के अनुपालन से जुड़े प्रावधानों का कार्यान्वयन.
  • संबंधित राज्य सरकारों द्वारा स्थापित प्राधिकरणों की स्थिति को संरक्षित करना और इस प्रकार प्रस्तावित कानून के प्रावधानों के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करना.
  • डिजिटल इंडिया अभियान की भावना को आत्मसात करते हुए एक केंद्रीय डेटाबेस/ पंजीकरण के लिए ई-पोर्टल/क्रू डेटाबेस का प्रावधान.
  • नौचालन की सुरक्षा, जीवन एवं कार्गो की सुरक्षा, पर्यावरणीय प्रदूषण की रोकथाम, व्यापार की स्वस्थ प्रथाओं की व्यवस्था करने, कल्याण कोष का गठन, प्रशासनिक तंत्र की पारदर्शिता एवं जवाबदेही, सक्षम एवं कुशल श्रमशक्ति के प्रशिक्षण और विकास को सुनिश्चित करने के लिए उच्च मानकों का निर्धारण करना.
  • इसमें पोत निर्माण और उसके उपयोग से जुड़ेभावी विकास एवं तकनीकी प्रगति को शामिल किया गया है. 'विशेष श्रेणी के जहाजों' के रूप में पहचाने जाने वाले वर्तमान और भविष्य के तकनीकी रूप से उन्नत जहाजों को विनियमित करना.
  • कबाड़ एवं रद्दी से संबंधितप्रावधान. राज्य सरकार द्वारा मलबे केअभिग्राही (रिसीवर)की नियुक्ति.
  • दायित्व के सिद्धांतों और दायित्व की सीमा से संबंधित प्रावधान. सुरक्षित व्यापार एवं व्यापारिक प्रथाओं को सुनिश्चित करने के लिएबीमा की अवधारणा को विकसित और विस्तारित करना.
  • हताहतों और जांच से संबंधित उन्नत प्रावधान.
  • सेवा प्रदाताओं और सेवाओं के उपयोगकर्ताओं के लिए आसान अनुपालन की व्यवस्था.
  • यह राज्य सरकारों को विनियमन से अछूते गैर-यांत्रिक रूप से चालित जहाजों से संबंधित क्षेत्र को विनियमित करने का एक मंच प्रदान करता है.

(एजेंसी इनपुट)

नई दिल्ली : संसद ने सोमवार को अंतर्देशीय जलयान विधेयक 2021 (Inland Vessels Bill, 2021) पास किया, जिसमें नदियों में जहाजों की सुरक्षा, पंजीकरण एवं सुगम परिचालन सुनिश्चित करने के लिए प्रावधान किये गये हैं. लोकसभा में भी यह विधेयक हंगामे के बीच ही पारित हुआ था.

इसका उद्देश्य 100 साल पुराने अंतर्देशीय जलयान विधेयक 1917 को बदलना और अंतर्देशीय जल परिवहन क्षेत्र में एक नए युग की शुरूआत करना है. यहीं नहीं बल्कि इसका उद्देश्य पीएम मोदी के विजन को साकार करना भी है जिसमें विधायी ढाचें को उपयोगकर्ता के अनुकुल बनाना और व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देना है.

इस विधेयक को पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने राज्य सभा में पेश किया. अब यह बिल मंजूरी के लिए राष्ट्रपति को भेजा जाएगा.

चर्चा का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि नदी में परिचालन करने वाले जहाजों का पंजीकरण एवं परिचालन संबंधी व्यवस्था अभी भारतीय जहाज अधिनियम के दायरे में आती है. यह कानून 1917 में बनाया गया था और काफी पुराना हो गया है. उस समय सभी राज्यों के अपने-अपने नियमन थे. एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने के लिए मंजूरी लेनी पड़ती थी और इससे समस्या पैदा होती थी. ऐसे में जहाजों की सुरक्षा, पंजीकरण एवं सुगम परिचालन के उद्देश्य से यह विधेयक लाया गया है.

उन्होंने बताया कि सरकार ने पहले भी इसके लिए कई पहल की थी, जिसमें 111 जलमार्ग को राष्ट्रीय जलमार्ग के रूप में घोषित किया था.

1917 के अंतर्देशीय जलयान अधिनियम को सीमित प्रयोज्यता और उद्देश्यों वाले शुद्ध समेकित कानून के रूप में माना गया था। इस अधिनियम में 1977 और 2007 में किए गए कई संशोधन और अंतिम प्रमुख संशोधन किए गए थे। इस अधिनियम में राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र के भीतर यांत्रिक रूप से चालित जहाजों के प्रतिबंधात्मक आंदोलन, समर्थन की आवश्यकता, सीमित प्रयोज्यता और प्रमाण पत्र की वैधता, गैर-समान मानकों के प्रावधान थे। एक राज्य से दूसरे राज्य में अलग-अलग नियमों के कारण राज्यों में निर्बाध नेविगेशन और क्षेत्र के विकास में बाधाएं और बाधाएं आईं.

पढ़ें : लोकसभा में अंतर्देशीय जलयान विधेयक पेश

मंत्री ने जोर देकर कहा कि एक नई कानूनी व्यवस्था की आवश्यकता है, जो भविष्य के तकनीकी विकास के लिए अनुकूल और अपनाने योग्य हो. जो व्यापार और परिवहन की वर्तमान और भविष्य की संभावनाओं को को सुगम बनाने व अंतर्देशीय जहाजों द्वारा सुरक्षित नेविगेशन को सुविधाजनक बनाने में सक्षम हो.

सरकार का कहना है कि भीड़भाड़ वाली सड़क और रेल नेटवर्क के समांतर परिवहन के एक पूरक और पर्यावरण के अनुकूल साधन के रूप में बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई पहल किए हैं. सरकार के मुताबिक 111 जलमार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग के तौर पर घोषित किया गया है.

1917 के अंतर्देशीय पोत अधिनियम की परिकल्पना सीमित कार्यान्वयन और उद्देश्यों वाले एक शुद्ध समेकित कानून के रूप में की गई थी. इस अधिनियम में कई संशोधन किए गए और पिछले महत्वपूर्ण संशोधन 1977 और 2007 में किए गए थे.

इस अधिनियम में राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र के भीतर यांत्रिक रूप से चालित जहाजों के प्रतिबंधात्मक आवाजाही, अनुमोदन की आवश्यकता, सीमित कार्यान्वयन और प्रमाण-पत्र की वैधता, असमान मानकों एवं विनियमों से जुड़े प्रावधान शामिल थे,जिनके राज्य दर राज्य अलग-अलग होने के कारण विभिन्न राज्यों के बीच निर्बाध नौचालन और इस क्षेत्र के विकास में बाधाएं और अड़चनें आईं.

केन्द्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि एक ऐसी नई कानूनी व्यवस्था की जरूरत थी, जोकि भविष्य के तकनीकी विकास के अनुकूल और अनुरूप हो, व्यापार और परिवहन की वर्तमान एवं भविष्य की संभावनाओं और अंतर्देशीय जहाजों द्वारा सुरक्षित नौचालन को सुविधाजनक बनाने में सक्षम हो.

सरकार ने अंतर्देशीय पोत विधेयक, 2021 (Inland Vessels Bill, 2021) के कई लाभ गिनाए हैं. सरकार के मुताबिक नया अधिनियम अंतर्देशीय जहाजों के सामंजस्यपूर्ण एवं प्रभावी विनियमन और विभिन्न राज्यों के बीच उनके निर्बाध और सुरक्षित परिचालन की सुविधा प्रदान करेगा.

इसके अन्य लाभों में शामिल हैं:

  • अंतर्देशीय जलमार्गों का उपयोग करते हुए निर्बाध, सुरक्षित और किफायती व्यापार एवं परिवहन सुनिश्चित करने के लिए नियमों और विनियमों काएक समान कार्यान्वयन.
  • यांत्रिक रूप से चालित जहाजों के वर्गीकरण और वर्गीकरण के मानकों का निर्धारण, जहाजों के पंजीकरण से जुड़े मानक और प्रक्रियाएं; केन्द्र सरकार द्वारा विशेष श्रेणी के जहाजों की पहचान एवं उनके वर्गीकरण से जुड़े मानकआदि और राज्य सरकारों द्वारा निर्धारित मानकों के अनुपालन से जुड़े प्रावधानों का कार्यान्वयन.
  • संबंधित राज्य सरकारों द्वारा स्थापित प्राधिकरणों की स्थिति को संरक्षित करना और इस प्रकार प्रस्तावित कानून के प्रावधानों के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करना.
  • डिजिटल इंडिया अभियान की भावना को आत्मसात करते हुए एक केंद्रीय डेटाबेस/ पंजीकरण के लिए ई-पोर्टल/क्रू डेटाबेस का प्रावधान.
  • नौचालन की सुरक्षा, जीवन एवं कार्गो की सुरक्षा, पर्यावरणीय प्रदूषण की रोकथाम, व्यापार की स्वस्थ प्रथाओं की व्यवस्था करने, कल्याण कोष का गठन, प्रशासनिक तंत्र की पारदर्शिता एवं जवाबदेही, सक्षम एवं कुशल श्रमशक्ति के प्रशिक्षण और विकास को सुनिश्चित करने के लिए उच्च मानकों का निर्धारण करना.
  • इसमें पोत निर्माण और उसके उपयोग से जुड़ेभावी विकास एवं तकनीकी प्रगति को शामिल किया गया है. 'विशेष श्रेणी के जहाजों' के रूप में पहचाने जाने वाले वर्तमान और भविष्य के तकनीकी रूप से उन्नत जहाजों को विनियमित करना.
  • कबाड़ एवं रद्दी से संबंधितप्रावधान. राज्य सरकार द्वारा मलबे केअभिग्राही (रिसीवर)की नियुक्ति.
  • दायित्व के सिद्धांतों और दायित्व की सीमा से संबंधित प्रावधान. सुरक्षित व्यापार एवं व्यापारिक प्रथाओं को सुनिश्चित करने के लिएबीमा की अवधारणा को विकसित और विस्तारित करना.
  • हताहतों और जांच से संबंधित उन्नत प्रावधान.
  • सेवा प्रदाताओं और सेवाओं के उपयोगकर्ताओं के लिए आसान अनुपालन की व्यवस्था.
  • यह राज्य सरकारों को विनियमन से अछूते गैर-यांत्रिक रूप से चालित जहाजों से संबंधित क्षेत्र को विनियमित करने का एक मंच प्रदान करता है.

(एजेंसी इनपुट)

Last Updated : Aug 22, 2021, 8:49 AM IST
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