नई दिल्ली : मॉनसून सत्र में इस बार विपक्ष कई मुद्दों पर लामबंद होने की तैयारी कर रही है. नूपुर शर्मा की बयानबाजी, भारत चीन सीमा गतिरोध, डीजल-पेट्रोल के दामों में बढ़ोतरी, सेना की अग्निपथ योजना, जांच एजेंसियों का दुरुपयोग और महाराष्ट्र सरकार का गिरना जैसे कई ऐसे मुद्दे हैं जो इस बार विपक्ष के हाथ लगे हैं.
उम्मीद की जा सकती है कि इस बार का मॉनसून सत्र पूरी तरह से हंगामेदार होगा. लेकिन ऐसा नहीं है कि सरकार ने इनका जवाब नहीं तैयार किया है. सूत्रों की माने तो, इन आरोपों के विरोध में सत्ताधारी पार्टी के सांसदों को भी सभी योजनाओं से संबंधित विस्तृत रिपोर्ट दी जा रही है और सरकार की उपलब्धियों का खाका तैयार कर भाजपा सांसदों को भी इन मुद्दों पर होमवर्क करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि जब विपक्ष इन पर हंगामा करे तो सत्तापक्ष की तरफ से इनका आंकड़ों सहित तथ्यात्मक जवाब दिया जा सके.
बीजेपी के उत्तर प्रदेश से आनेवाले एक संसद ने नाम ना लेने की शर्त पर बताया कि, 'सिर्फ हंगामा कर विपक्ष संसद में गतिरोध नही कर सकता, उन्हें हमारे आंकड़ों और सरकार द्वारा किए गए कार्यों पर भी जवाब देना होगा. अगर विपक्ष हंगामे की तैयारी कर रहा है तो हम रचनात्मक कार्यों की तैयारी कर रहे हैं. यही फर्क है हमारे प्रधानमंत्री और उनके नेताओं के बीच.'
कांग्रेस और बाकी विपक्षी पार्टियां लगातार जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का सरकार पर आरोप लगा रहीं है. आरोप लगते रहे हैं कि चीन से लगी सीमा पर सरकार एक हजार वर्ग किलोमीटर की जमीन के साथ कॉम्प्रोमाइज कर रही है. जिसका जवाब देते हुए बीजेपी ने कहा था कि कांग्रेस को सेना पर भरोसा ही नही है. विपक्ष अग्निपथ को लेकर भी सवाल उठाता रहा है और ये मुद्दा चूंकि युवाओं से जुड़ा है, इसलिए इस बार इस पर भी हंगामा होना तय है. जिस तरह कांग्रेस ने किसान बिल का विरोध किया था, कुछ इसी तरह की योजना पार्टी अग्निपथ योजना को वापस लेने की मांग पर भी बना रही है, जिससे ये सत्र हंगामेदार रहने की संभावना है.
उधर विपक्ष में बैठी डीएमके भी पड़ोसी देश श्रीलंका के आर्थिक हालात पर बहस की मांग करने का मन बना रही है. याद रहे कि इस सत्र में सरकार की तरफ से भी महत्वपूर्ण विधेयक रखे जाने हैं, जिनकी संख्या लगभग एक दर्जन के बराबर है. इनमे बाल विवाह रोकथाम विधेयक, एंटी डोपिंग विधयेक और भारतीय अंटार्टिका विधेयक समेत लगभग दर्जन भर नए बिल रखे जाएंगे. ज़ाहिर है सरकार की भी कोशिश रहेगी कि शोर-शराबे के बावजूद इन बिलों पर बहस करा कर इन्हें पास करवा ले. 18जुलाई से 12 अगस्त तक चलनेवाले इस सत्र के शुरुआती दिन यानी 18जुलाई को ही राष्ट्रपति चुनाव पर वोटिंग होनी है. इसलिए भी ये सत्र खास रहेगा. इसके अलावा इसी सत्र में 6 अगस्त को वाइस प्रेसिडेंट का चुनाव भी होगा. कुल मिलाकर हंगामे और रोमांच से भरा ये सत्र ऐतिहासिक भी होगा और सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों के लिए काफी महत्वपूर्ण भी.
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