मुंबई : आईपीएस अधिकारी परमबीर सिंह, छह महीने बाद बृहस्पतिवार को सार्वजनिक रूप से सामने आए और वह सोमवार को न्यायमूर्ति के. यू. चंडीवाल आयोग के समक्ष पेश हो सकते हैं. सिंह का आरोप है कि तत्कालीन गृह मंत्री देशमुख ने पुलिसकर्मियों से, मुंबई के बार और रेस्तरां के मालिकों से हर महीने सौ करोड़ रुपये जबरन वसूली करने को कहा था. एक सदस्यीय आयोग इन आरोपों की जांच कर रहा है.
शुक्रवार को देशमुख की वकील अनीता कैस्टेलिनो ने वाजे से पूछताछ की. आयोग के समक्ष वाजे के हलफनामे का हवाला देते हुए, वकील ने पूछा कि क्या तत्कालीन मुंबई पुलिस आयुक्त सिंह ने वाजे को किसी दबाव में आकर किसी की ओर से अवैध रूप से धन की उगाही करने को कहा था या नहीं. इस पर वाजे ने जवाब दिया कि सिंह ने उनसे ऐसा नहीं करने को कहा था.
यह पूछे जाने पर कि उन्होंने आईपीएस अधिकारी की सलाह मानी या नहीं, वाजे ने कहा, 'मैं पहले ही फंस चुका था.' वाजे ने खुद को एक ऐसा 'ईमानदार' अधिकारी बताया जिस पर कुछ दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों में दबाव डालकर कानून के विरुद्ध काम करवाया गया.
इस बीच सिंह के वकील ने शुक्रवार को आयोग को बताया कि सिंह अपने विरुद्ध दर्ज एक मामले के सिलसिले में आज ठाणे गए हैं इसलिए आयोग के सामने उपस्थित नहीं हो सकेंगे. वकील ने कहा कि सिंह, शनिवार या किसी और दिन पेश होने के लिए तैयार हैं.
आयोग ने कहा कि वह शनिवार को नहीं बैठेगा इसलिए सिंह को सोमवार (29) नवंबर को पेश होना होगा जिस पर वकील ने सहमति जताई. इस बीच खुद को सामाजिक कार्यकर्ता बताने वाला एक व्यक्ति शुक्रवार को न्यायमूर्ति चंडीवाल आयोग के सामने एक हस्तक्षेप आवेदन लेकर पहुंचा जिसमें सिंह के ठाणे पुलिस आयुक्त रहते उनके द्वारा की गई अनियमितताओं की जांच करने का अनुरोध किया गया है.
याचिका में कहा गया है कि सिंह ने कई बिल्डरों, व्यवसायियों और आम लोगों को गलत मामलों में फंसाया. आयोग ने आवेदन को रिकॉर्ड में दर्ज किया है.
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(पीटीआई-भाषा)