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मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह 'भगोड़ा' घोषित - याचिका स्वीकार

मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह (parambir singh) को भगोड़ा घोषित करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. कोर्ट ने पुलिस को इसकी इजाजत दे दी है. दरअसल परमबीर सिंह के ठिकाने का कुछ पता नहीं चल पा रहा है और वह कई एजेंसियों के समन को दरकिनार कर चुके हैं.

परमबीर सिंह भगोड़ा
परमबीर सिंह भगोड़ा
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Published : Nov 17, 2021, 5:52 PM IST

Updated : Nov 17, 2021, 9:32 PM IST

मुंबई : मुंबई की एक मजिस्ट्रेटी अदालत ने मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह को उनके और अन्य पुलिस अधिकारियों के खिलाफ दर्ज वसूली के एक मामले में बुधवार को 'फरार घोषित' किया.

मामले की जांच कर रही मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने यह कहते हुए भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी सिंह को 'फरार घोषित' किए जाने का अनुरोध किया था कि उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी होने के बाद भी उनका पता नहीं लगाया जा सका है.

दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 82 के तहत अदालत द्वारा उद्घोषणा प्रकाशित किए जाने पर आरोपी को हाजिर होने की आवश्यकता होती है अगर उसके खिलाफ जारी वारंट की तामील नहीं हो पाई है. धारा 83 के तहत उद्घोषणा प्रकाशित किए जाने के बाद अदालत एक आरोपी की संपत्ति जब्त करने का आदेश दे सकती है.

गोरेगांव थाने में दर्ज मामले में पूर्व सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाजे भी आरोपी है. परमबीर सिंह के अलावा सह आरोपी विनय सिंह और रियाज भट्टी को भी अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट एस बी भाजीपले ने 'फरार घोषित' किया है.

जबरन वसूली का मामला

रियल एस्टेट डेवलपर और होटल व्यवसायी बिमल अग्रवाल ने आरोप लगाया था कि आरोपियों ने दो बार और रेस्तरां पर छापेमारी नहीं करने के लिए उनसे नौ लाख रुपये की वसूली की. उन्होंने दावा किया था कि ये घटनाएं जनवरी 2020 और मार्च 2021 के बीच हुई थीं. अग्रवाल की शिकायत के बाद छह आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 384 और 385 (दोनों जबरन वसूली से संबंधित) और 34 (समान मंशा) के तहत मामला दर्ज किया गया था.

पढ़ें- जबरन वसूली के मामलों में परमबीर सिंह को निलंबित करने की प्रक्रिया शुरू

सिंह के खिलाफ ठाणे में भी वसूली का मामला दर्ज है. मामले में वाजे की गिरफ्तारी के बाद सिंह को मार्च 2021 में मुंबई पुलिस आयुक्त पद से हटा दिया गया था.

आपराधिक मामलों के जाने-माने वकील उज्ज्वल निकम ने कहा कि इसके साथ ही पुलिस 30 दिनों के नोटिस के साथ औपचारिकताएं शुरू कर सकती है और फिर आरोपी की चल-अचल संपत्ति को कुर्क किया जा सकता है.

मुंबई : मुंबई की एक मजिस्ट्रेटी अदालत ने मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह को उनके और अन्य पुलिस अधिकारियों के खिलाफ दर्ज वसूली के एक मामले में बुधवार को 'फरार घोषित' किया.

मामले की जांच कर रही मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने यह कहते हुए भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी सिंह को 'फरार घोषित' किए जाने का अनुरोध किया था कि उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी होने के बाद भी उनका पता नहीं लगाया जा सका है.

दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 82 के तहत अदालत द्वारा उद्घोषणा प्रकाशित किए जाने पर आरोपी को हाजिर होने की आवश्यकता होती है अगर उसके खिलाफ जारी वारंट की तामील नहीं हो पाई है. धारा 83 के तहत उद्घोषणा प्रकाशित किए जाने के बाद अदालत एक आरोपी की संपत्ति जब्त करने का आदेश दे सकती है.

गोरेगांव थाने में दर्ज मामले में पूर्व सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाजे भी आरोपी है. परमबीर सिंह के अलावा सह आरोपी विनय सिंह और रियाज भट्टी को भी अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट एस बी भाजीपले ने 'फरार घोषित' किया है.

जबरन वसूली का मामला

रियल एस्टेट डेवलपर और होटल व्यवसायी बिमल अग्रवाल ने आरोप लगाया था कि आरोपियों ने दो बार और रेस्तरां पर छापेमारी नहीं करने के लिए उनसे नौ लाख रुपये की वसूली की. उन्होंने दावा किया था कि ये घटनाएं जनवरी 2020 और मार्च 2021 के बीच हुई थीं. अग्रवाल की शिकायत के बाद छह आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 384 और 385 (दोनों जबरन वसूली से संबंधित) और 34 (समान मंशा) के तहत मामला दर्ज किया गया था.

पढ़ें- जबरन वसूली के मामलों में परमबीर सिंह को निलंबित करने की प्रक्रिया शुरू

सिंह के खिलाफ ठाणे में भी वसूली का मामला दर्ज है. मामले में वाजे की गिरफ्तारी के बाद सिंह को मार्च 2021 में मुंबई पुलिस आयुक्त पद से हटा दिया गया था.

आपराधिक मामलों के जाने-माने वकील उज्ज्वल निकम ने कहा कि इसके साथ ही पुलिस 30 दिनों के नोटिस के साथ औपचारिकताएं शुरू कर सकती है और फिर आरोपी की चल-अचल संपत्ति को कुर्क किया जा सकता है.

Last Updated : Nov 17, 2021, 9:32 PM IST
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