शांतिपुर: पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव में एक सीट पर चौंकाने वाली घटना सामने आई है. नदिया जिले के शांतिपुर ब्लॉक की बगानचरा ग्राम पंचायत सीट पर भाजपा उम्मीदवार केवल एक वोट पाकर जीत गया. वह भी पोस्टल बैलेट वोट से. इसे लेकर सियासी घमासान शुरू हो गया है. विरोधी गुट ने सवाल उठाया है कि पूरे बूथ में वोटों की संख्या सिर्फ एक कैसे हो सकती है! उस ग्राम पंचायत चुनाव में बूथ नंबर 30 कुतुबपुर में बीजेपी की प्रतीका बर्मन उम्मीदवार थीं. उनके खिलाफ प्रतीका की भाभी रत्ना बर्मन तृणमूल कांग्रेस से उम्मीदवार थीं.
आठ जुलाई को राज्य के अन्य हिस्सों की तरह यहां भी पंचायत चुनाव के लिए मतदान हुआ था. नियमानुसार मतदान के बाद मतपेटी को सील कर स्ट्रांग रूम में भेज दिया गया. लेकिन परेशानी 11 जुलाई को वोटों की गिनती के दिन शुरू हुई. पता चला है कि मतदान के दिन, भले ही उस बूथ पर वोटों की गिनती की गई थी, लेकिन उन मतपत्रों पर पीठासीन अधिकारी के हस्ताक्षर नहीं थे और इस वजह से अगर वोट बैलेट बॉक्स में डाले भी गए तो उन सभी वोटों को बीडीओ ने रद्द कर दिया. केवल एक वैध पोस्टल बैलेट वोट, जिस पर पीठासीन अधिकारी के हस्ताक्षर थे, भाजपा उम्मीदवार प्रतीका बर्मन ने चुनाव जीतीं.
पता चला है कि पंचायत समिति, जिला परिषद के मतपत्र पर तो पीठासीन अधिकारी के हस्ताक्षर होते हैं, लेकिन ग्राम पंचायत के मतपत्र पर पीठासीन अधिकारी के हस्ताक्षर नहीं थे. जैसे ही वोटों की गिनती शुरू हुई तो चुनाव प्रक्रिया में शामिल लोगों की नजर इस पर पड़ी. खबर बीडीओ तक पहुंची. कानून के मुताबिक बीडीओ को उन वोटों को रद्द घोषित करने के लिए मजबूर होना पड़ा. इसके बाद बीडीओ और संयुक्त बीडीओ ने एकल वैध डाक मत को प्राथमिकता देते हुए भाजपा उम्मीदवार प्रतीका बर्मन को विजेता घोषित कर दिया. भाजपा की जीत की खबर सुनने के बाद, तृणमूल उम्मीदवार रत्ना बर्मन नाराज हो गईं. उन्होंने बीडीओ को शिकायत दी.
तृणमूल उम्मीदवार रत्ना बर्मन ने आरोप लगाया, 'यह एक साजिश थी कि पीठासीन अधिकारी ने मतपत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए. भले ही 790 वोट गिने गए, लेकिन हस्ताक्षर न होने के कारण सभी वोट रद्द कर दिए गए. बीजेपी एक ही पोस्टल वोट से जीत गई. हम दोबारा चुनाव की मांग कर रहे हैं. पीठासीन अधिकारी जिम्मेदार हैं क्योंकि अगर वोटों की गिनती ठीक से होती तो तृणमूल यहां भारी अंतर से जीतती.' दूसरी ओर, बीजेपी उम्मीदवार के पति विश्वजीत बर्मन ने तृणमूल के आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया कि अगर वोटों की सही गिनती होती तो बीजेपी यहां भारी अंतर से जीतती, क्योंकि इस बूथ पर बीजेपी का प्रभाव काफी है.
इस संबंध में राणाघाट के जिला मजिस्ट्रेट रौनक अग्रवाल ने कहा, 'चुनाव आयोग के कानून के अनुसार, यदि पीठासीन अधिकारी हस्ताक्षर नहीं करता है, तो वोट रद्द कर दिया जाना चाहिए. चूंकि ग्राम पंचायत बूथ में दिए गए सभी वोटों पर पीठासीन अधिकारी के हस्ताक्षर नहीं थे, हम वोट रद्द करने के लिए मजबूर हैं. केवल एक डाक मतपत्र गिना गया था. चूंकि डाक मतपत्र वोट वैध है, इसलिए हमने उस वोट के आधार पर विजेता उम्मीदवार का नाम घोषित कर दिया. हमने पहले ही उसे प्रमाण पत्र जारी कर दिया है. लेकिन दोबारा चुनाव के सवाल पर उन्होंने कहा कि उस क्षेत्र के बीडीओ उचित निर्णय लेंगे.